अंक ३९२ पर टिप्पणी
प्रणव झा
आदरणीय संपादकमण्डल, विदेहक ३९२म अंक पढ़ल। ग्रुप कैप्ट (डा.) वि एन झा क
"अंतरिक्ष पर्यटन के वैज्ञानिक दृष्टिकोण" सन विषय पर मैथिली मे लेख देख
प्रसन्नत भेल। ऐ तरहक विषय पर विशेषज्ञ द्वारा प्रामाणिक मैथिली लेख केर
लेल डा० झा आ विदेह दुनु बधाई के पात्र छैथ। प्रमोद झा 'गोकुल' के लघुकथा
लिकलिक वर्तमान मे परीक्षा के पर्चा लीक के मामला आ ओकर गरीब आ सीमित साधन
बला छात्र सब पर परय बला दुष्प्रभाव के गंभीरता के संजीदगी से उठाबै अछि।
अजित कुमार झा क 'विकास समिति' वर्तमान परिप्रेक्ष्य मे शहर, कस्बा सब मे
विकसित होइत कालोनी के विकासगाथा आ ओई संगे मानव समाज के बदलईत मिजाज के
चित्रण क्रबाक निक प्रयास रहल। प्रो दमन कुमार झा क 'नेपालमे मैथिली नाटकक
विकास आ परिणाम' जानकारिपूर्ण लेख। कुल मिला के अंक मे छपल रचना सब खूब
विविधता नेने रहल, विषयवस्तु आ लेखन शैली दुनु रूप मे। सादर।
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