कुन्दन कर्ण
बीहनि कथा-पंच-परमेश्वर
परमेसराक कान तक ओकर बेटा साहिल के अबण्डपनाक खिस्सा सब पहुँचय लगलैक , मुदा
बेटा पांजसँ फ़ाज़िल छलैक। परमेसरा के हिम्मत नहि छलैक जे बेटा के परतारि
सकितैक। परमेसरा के आभास होमय लगलैक जे शीघ्रहि ओकरा पंचैतीक सामना करय
पड़तैक। एहि प्रकोपसँ बचबाक लेल परमेसरा के एकटा उपाय सुझलैक। गामक पंचैती
केनिहार नेतासन लोकसबसँ मित्रता बढ़ा उहो अनका घ'रक पंचैती करय लागल। आब ककरो
बुत्ता नहि छै ओकरा पर पंचैती बैसेबाक- परमेसरा आब "पंच-परमेश्वर" बनि गेल
अछि!!
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