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१.१२.दीपा मिश्र-उसरन डीह- पाठकीय प्रतिक्रिया

दीपा मिश्र

(कवि, उपन्यासकार एवं संपादिका)

उसरन डीह-पाठकीय प्रतिक्रिया

मिथिलाक ज्ञान-परम्परामे धर्मशास्त्र आ कर्मकाण्डक विद्वान आ गंभीर शोधकर्ता भवनाथ झाक जन्म 23 सितम्बर, 1968 ई.मे बिहारक मधुबनी जिलाक हटाढ़ रुपौली गाममे भेल छलनि। संस्कृतमे स्नातकोत्तर भवनाथ झा प्राच्यविद् आ पाण्डुलिपि विशेषज्ञ छथि जिनका संस्कृत, मैथिली आ हिन्दीमे कतेको शोध कृतिक श्रेय देल जाइत छनि। अपन उत्कृष्ट शैक्षणिक कृतिक लेल प्रशंसा पओने छथि जाहिमे अनुवाद आ पाण्डुलिपिसँ ग्रन्थक सम्पादन सेहो शामिल अछि। सम्प्रति महावीर मन्दिरक शोधपत्रिका धर्मायणक सम्पादक छथि।

भवनाथ जीक उसरन डीह नामक कथा आर्थिक प्रलोभन दए सांस्कृतिक उपनिवेशवादक स्थापनाक कथा छियै। तकर जे विरोध करै छै तकरा भकसी झोंका कए हत्या करबाक प्रवृत्ति देखल गेलैए। ओ विरोधी स्वर जतय पसरए लगैत छै तँ काशीमे ओ पुरान पोथी अंगरेजोक द्वारा छीनि लेल जाइत छै। मि. एक्स कें सेहो चिन्ता छनि आ ओ पुछैत छथिन जे ओहि पोथीक एकोटा पात कतहुँ बचलै नै ने? मुदा ओ आश्वस्त छथि जे हम जे काज कए रहल छी से राम सेहो केने छथि आ अंगरेज सेहो ओएह काज केने रहए।

भारतमे 1985मे अमेरिकासँ कृषि पद्धति आयातित भेल रहै। डंकन फार्मूला नाम रहै। ई कथा ओकरे पृष्ठभूमि बना लिखल गेल अछि। ई कथा फ्रेम नैरेटिव अछि। माने एकटा मुख्यकथा के बीच बहुत रास उपकथा ओहिमे होइत छै। एहि कथामे चारि स्तरमे कथा छै, सभ एक संग जुड़ल छै। आ अंततः लेखकक कहब छैन जे मिस्टर एक्स आ राममे कोनो अंतर नहि। कथा पढ़ैत काल मैथिलीक बहुत रास नब शब्द सबसँ परिचय होइए जेना, उसरन जे भेलै परित्यक्त, तुरुंग जे‌ भेल काठक छोट संदुकची, रमना भेल अहात, अहल्या एतय स्त्री नै छथि, ओहुना अहल्या के अर्थ होइए एहन भूमि जकरा जोतबाक आवश्यकता नै हो, दियारा के खेत, जे बीया खसौलक तकर फसिल भेल, अफार खेत, जाहिमे हर नै बहि सकए माने बंजर। त कथा केँ बिना अवरोध पढ़बा गुणबाक लेल पहिने ई सब शब्द बूझब आवश्यक।

फ्रेम नैरेटिव (Frame Narrative) कथा-शैली साहित्यमे बहुत महत्त्वपूर्ण तकनीक अछि। ई शैलीक अर्थ अछिएकटा मुख्य कथाक भीतर अन्य कथाक प्रस्तुति। माने जेना कोनो पात्र अपन अनुभव या कथा सुनबैत अछि, आ ओहि कथा के भीतर आओर पात्र अपन कथा कहय लागैत अछि। एहि प्रकारे मुख्य कथा एकटा फ्रेम” (ढाँचा) बनबैत अछि, जेकर भीतर उप-कथा सभ प्रस्तुत होइत अछि। कथा सभक बहुस्तरीयता (Multiple Layers) एकै संग अनेक दृष्टिकोण आ स्तरक अनुभव प्रस्तुत कऽ सकैत अछि। यथार्थता आ विश्वसनीयता सेहो रहैत छै एहिमे। जखन कथा कहानी सुनबैत पात्र द्वारा कहल जाइत अछि, तऽ पाठकक विश्वास बढ़ैत अछि। एकर कथा-संयोजन आ विस्तार विशेष होइए।

एकटा फ्रेम रहिते लेखक आसानीसँ ढेर पात्र आ प्रसंग जोड़ि सकैत अछि। साहित्यिक सौंदर्य कथामे विविधता, रोचकता आ नाटकीयता सेहो एहिमे आबि जाइत अछि। लोक परंपरा संग जुड़ाव देख सकैत छी जेना एहू कथामे भेटैये। लोककथा, पुराण, पंचतंत्र, ‘हजार एक रात जेकाँ कथा सभमे ई शैली बहुत प्रचलित अछि। विषयगत अनुभवक बिना एकरा नै लिखल जा सकैये। मुख्य कथा आ उपकथा बीच तुलना करैत पाठक गूढ़ संदेश बुझि सकैत अछि।

आब एक बेर फेर अबैत छी उसरन डीह कथा पर।

शहरक हो हल्ला भरल वातावरणसँ जखैन मि. एक्स गाम अबैत छथि त' एना बुझाइत छैन जेना प्रकृति ओतयसँ लोकक डरसँ भागि एतय निचेनसँ सुतय आबि गेल हो। ओ बड प्रसन्न छलाह आ ओहि कंपनीकेँ आभारी रहैत छथि जे एहि सुरम्य स्थल पर हुनका अपन प्रतिनिधि बनाकेँ पठेलकैन। कथा आरंभेसँ प्रकृति संग मनुष्यक प्रतिस्थापना करैत प्रतीत होइए। हुनका प्रभार भेटल छैन ओहि इलाकाक सालोंसँ पड़ल चीनी मिलकेँ पुनः कोना आरंभ कयल जाए तकर जांच पड़तालक। दस दिन ताबड़-तोड़ एहि लेल लागि के ओ काज करैत छथि आ काज जखैन बहुत हद तक सोझरा गेलैन त' मोन निचेन भेलैन। आब ओ कनेक शांति चाहैत छथि। घड़ी घंटा के अबाज सुनि मंदिर दिस जाइत छथि। ओ मंदिरक भव्यता आ शांतिक तुलना गिरजासँ करैत छथि। ओतय पंद्रह सोलह बरखक बालाकेँ देखि चकबिदोर लागि जाइत छैन। मोन पड़लैन एकरा त' रोज देखैत छथि। मुदा आइ हुनकर जेना हृदय कंपित होइत छन्हि। ठोर सुखाएल जा रहल। ओ कोनहुना ओकरा पेबाक व्योंतमे लगैत छथि। कथामे एहि जगह ई स्पष्ट नै बुझना गेल जे ओ ओकरा प्रति स्नेह भाव राखि रहल वा कामातुर भ' रहल। पाठक एतय आबि ओझरा जाइत छथि।

आब जखैन ओहि बाला के प्राप्तिक योजना बनबैत पुजगरी अबैये त' एतयसँ कथाक पृष्ठभूमि पूरा बदैल जाइए। पुजारी हुनका खिस्सा सुनबैत छथिन राजा के जिनका खुदाइमे बहुत रास पुरातत्व संरक्षणक वस्तु भेटैत छन्हि। राजा ओकरा कलकत्तामे संग्रहालय के बेचैत छथि। एहि क्रममे उसरल डीहक खुदाइ होइए जाहिमे एकटा तुरूंग भेटैये। कोहुनाके ओकरा खोलल जाइए त' ओहिमे तरिपत (ताड़पत्र) भेटैये। राजा ओकरा पढ़ेबामे असफल होइत छथि अंततः एकटा पंडित पढ़ैत छथि। ओकरा एकटा पंडित पढ़िके सारांश सुनेलखिन -

आब एतयसँ विश्वामित्र, राम आ लक्ष्मणक कथा आरंभ होइए। ओ सब मिथिला क्षेत्र पहुँचैत शस्य श्यामला धरतीक मध्य एकटा उसरल डीह देखलैन। राम लक्ष्मणक उत्कंठा बढ़ैत गेलैन। एतेक हरिहर धरतीक मध्य एहन पाथर, बेजान सन भूमि किएक अछि, कोना अछि? आब हुनकर सभक उत्सुकता देखि विश्वामित्र बैसाके कथा कहैत छथिन-आब एतयसँ फेरो नब कथारंभ होइए।

गौतम ऋषि आ वृत्रहा इन्द्रक। जनिक कारण ई सब घटल। शतमन्युक गौरवे आन्हर छलाह। छल बलसँ ओ धन संग्रह करैत छलाह। कोनो नीक वस्तुके ओ अपन संपत्ति बनाबय चाहैत छलाह। सुन्दर वस्तुक उपभोग करब हुनक पहिल कामना रहैत छल। अहल्या, जे अद्भुत भूमि छल ओकरो पर हुनक कुदृष्टि पड़ि गेलैन आ एक बेर गौतम नै छलाह ताहि बीच छलसँ ओ ओकर स्वामित्व ल' लेलैन। घुरलाक बाद गौतम ई बुझला पर ओकर प्रति मोहभंग क' वैराग्य ल' लेलैन। अहल्या अभिशप्त पाषाणी भ' गेलीह। आब विश्वामित्र केँ कहला पर राम ओहि भूमिकेँ उद्धार केलैन।

 

कथा आब वापस पहिलुक कथा सब दिस घुरब शुरू भ' जाइए।

ई कथा सुनि राजा भावुक भ' गेलाह।ओ ओहि तरिपतकेँ देवनागरी कराबय चाहलैन जकरा छलसँ अंग्रेज सब जरा दैये। आब मिस्टर एक्स ई कथा सुनि जोरसँ साँस खिंचैत छथि आ पुजगरीकेँ पुछैत छथिन जे ओकर एको पन्ना बचलै त' नै,? पुजगरीक नै कहै पर ओ निचेन होइत छथि। आ पुनः चीनी मिलक उद्धारक बारेमे सोचय लगलैथ।

कथा नीक अछि मुदा एतय कतौ कतौ विचलन होइए। एकर कारण एकटा आरो अछि जे प्रेम नैरेटिव कथाक सबसँ विकट पक्ष होइए ओकर जटिलता। बहुत स्तर आ उपकथा होइत-होइत पाठक भ्रमित भऽ सकैत अछि।जे अहूमे भेल से। तरिपत्र बला राजाक उत्साह अचानक अंग्रेज विद्वानक तरिपत्र जरेबासँ नष्ट होइत देखाओल गेल अछि। कथा सभक समय जेना फरिछाएब कठिन भ जाइए पढ़ैत काल। ओना ई पाठक पर सेहो निर्भर करैये।एहि तरहक कथा लिखलासँ मुख्य कथा पर बड असर पड़ैये। जे कथा मिस्टर एक्स से शुरू भेल ओ जेना बीचेमे हेरा जाइए। वापस जखैन पाठक हुनका लग तक पहुंचैये त ततेक युग घूमि अबैये जे ओ पात्र भ्रामक बुझना लगैये जकरा संग कथाक आरंभ भेल छल। उपकथा सभ कतेक बेर मुख्य कथा के कमजोर बना दैत अछि अथवा ओकर महत्व कम भऽ जाइत अछि।

जँ फ्रेम नैरेटिव स्वाभाविक ढंगसँ नहि जुड़ल अछि, तऽ ई बनावटी लागय लगैये। कथानकमे कृत्रिमता आबि जाइए ओना एहि कथामे लेखक ई नै आबय देलैन। हँ एतय एकटा आरो दिक्कत छै जे पढ़ैत पढ़ैत मुख्य कथा के प्रवाह टूटि जाइत छै आ कथा जेना ओझराए लगैत अछि। बहुत उपकथा जोड़लासँ कथा अनावश्यक रूप सँ नमहर आ बोझिल भऽ जाइत अछि। फ्रेम नैरेटिव कथा साहित्यिक सौंदर्य, गहराई आ विविधता दैत अछि, मुदा ओकर सफल प्रयोग लेल लेखककेँ बहुत सावधानी रखबाक आवश्यकता अछि, नहि तँ ओहिमे ओझराहटि, कृत्रिमता आबि सकैत अछि। एहि कथासँ बहुत रास जंगला सेहो खुजैये। एकरा एकबेरमे बूझब नै संभव। ओ गहन दृष्टि आ कनेक इतिहासक ज्ञान सेहो रहब आवश्यक।

भवनाथ जी नीक रचनाकार छथि। हुनक बहुत रास कथा सब हम पढ़ने छी। बेसीतर ओ प्रेम नैरेटिव लिखैत छथि। हुनकर ज्ञानक फलक विस्तृत छन्हि जे हुनक सब कथा पढला पर दृष्टिगोचर होइत अछि।

संपादकीय टिप्पणी- एहि आलेखमे भवनाथजीक किछु पोथीक नाम सभ देल गेल छल जकर उल्लेख भवनाथजीक परिचय बला खंडमे भेले छै। दोहरावसँ बचबाक लेल एहिठाम एकरा संपादित कएल गेल अछि।

 

 

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