प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका

विदेह नूतन अंक
वि दे ह विदेह Videha বিদেহ http://www.videha.co.in विदेह प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका Videha Ist Maithili Fortnightly ejournal विदेह प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका नव अंक देखबाक लेल पृष्ठ सभकेँ रिफ्रेश कए देखू। Always refresh the pages for viewing new issue of VIDEHA.

 

लालदेव कामत

चन्द्रहास : पोथी चर्चा


मैथिली क्षेत्रमे वयोवृद्ध प्राध्यापक प्रो० अमरनाथ झा'क अद्वितीय योगदान भेल रहनि। ओ प्रतिष्ठित सी एम् कालेज - दरिभंगा,आर के कालेज - मधुबनी आ एम एल एस कालेज अपन गाम सरिसब पाहीमे अध्यापन काज कयलन्हि। हुनक रचना आर्यावर्त, वैदेही, मिथिला - मिहिर आदि पत्र-पत्रिकामे समय समय पर प्रकाशित होईत रहलनि। शास्त्रीय निवन्धक अतिरिक्त आकाशवाणी - दरिभंगा सँ वार्ता सेहो प्रसारित भेल रहनि। जखन आचार्य रमानाथ झा : उपलब्धि ओ प्रभाव " सारस्वत सरमे हे मराल" नामक पोथी प्रकाशित भेलनि तँ एहू पुस्तिका'क (चन्द्रहास) प्रकाशनक उत्सुकता जागलैन। से साहित्यिकि - सरिसब- पाही सँ दरसन् २००३ मेँ ३९ पृष्ठ'क लघु पोथी प्रकाशित भेल छलनि। एहिक दाम पन्दरह टाका छैक। हिन्दू धर्म - सम्प्रदाय केर चर्चित कथा प्रसंग चन्द्रहास मूल- दी स्टोरी आफ चन्द्रहास, लेखक- राई बहादुर ए सी मुखर्जी केर मैथिली अनुवाद अमरनाथ बाबू कबल पूर्वहि कयने रहथि। धरि ओ ताहिक प्रकाशन लेल एक सप्ताहिक पत्रिकामे पठौने छलाह ,मुदा कोनू कारणेँ समय पर नहिं छपि सकलैन ताहि बातक मोन मे कचोट रहनि। जहन ' सारस्वत सर मे हे मराल ' पाठक समक्ष आनलथि तँ एहूक लेल तैयार भेलाह, जे खूब विद्यार्थी लोकनिक बीच सराहल गेल य। संक्षेपणत: कथावस्तुमे दू अन्त:कथा भक्त प्रहलाद आ आस्तिकता सँ भरल ध्रूवके संदर्भत: सेहो आयल छैक। मुख्य पुरूष पात्रमे पाँच वर्षीय चन्द्रहास' केर चरित - चित्रण जानि पाठककेँ नैतिकवान आ धार्मिक बनयमे सहज सहायक होईछ। एक समय नगर कीर्तन करैत नेना दलके मुखिया चन्द्रहासक मीठ कंठ सँ बहराएल भगवत भजन सुनि सब केओ हरखित होईछ। बालक चन्द्रहास विपत्तिक झमारल मुदा बामा पैरमे छ: औंगरिक भाग-कपार तँ संगे रहैक। गाड़ामे पहिरने सीकरी ,ताहिमे गोल छोट पाथर लाल टूहटूह वस्त्रमे द्युतिमान खंड जे ओकर रक्षा कवच रहैक। कन्तल'क राजधानीके गली- कुचिमे अपन बाल टीमके संग भगवत भजन गबैत नगर कीर्तनमे रमल देखि नर- नारी लोकनिक ध्यान स्वत: अपना दिश खिंचैक । से राजाक मुख्य पुरहीत गालबजी ओहि वालकके ललाट पर एक तेज देखते मातर ई जनतब राजदरबारमे देने रहैक। ओ इहो आग्रह राजा सँ करने रहथिन अपने अपुत्र छी,से नै तँ एहि बालकके अपना ओहिठाम राखि पालन करी आ जहन पैघ भऽ जाए तँ अपना पुत्रीक वियाह कय एकरा युवराज बनाओल जाए। राजा सेहो बालकके भजन सुनि आनन्दित होई छथि। गालीब पंडित जी सँ पुछै छथिन अपने एकर पूर्ण परिचय केर पता लगाकय आऊ। राजदरबारमे बालक केर दाय-माय सँ पुछारि कयल गेल तँ ओ बतबैत छथिन , हम ऐ राजकुमार केँ केरल राज्य सँ एतय आनि अहींक राजपाटमे रहि गुजर काटैत छी। ऐ बच्चाक जन्मदात्री माय अपन पतिकेँ आक्रमणकारी हाथे मारल जाएब सँ त्रस्त अपने सती बनै सँ पूर्व ई बालक हमरा सुमझा देलनि। हम खबाशनी आईधरि नेनाकेँ दुष्ट ओ दानव सँ सुरक्षित राखने छी। से ओ हिचुँकि कनैत कल्पैत कहलकैन हमर बालक कतय राजाजीक बचिया संग क्रिड़ा करैत य,से देखाऊ। बच्चाकेँ दुष्ट मंत्री धृत तँ अपना ओहिठाम भजन सुनैक नामे ल' गेल रहैक। कतेको सिपाही खोजी करय ताकुतमे लागि जाईछ।
एम्हर धूर्त धृत मंत्री अपन पुत्र सँ राजा बेटीक वालिग भेलासन्ता वियाह कराय सब धनक मालिक बनैक लिलसा मोनमे सदा पोसने रहैत बेटा मदनकेँ राजतिलक चाहैत रहैत य। परंच गालब पंडितके विचार सँ हृदयमे चोट पहुंचैत देखि ओहि गायक बालकके दू जलाद हाथे अकाबोन जंगलमे मृत्यु दण्ड भोगय पठाबैक दृष्टांत अछि। ऐ बेर दूनू जल्लाद जीवनदान दैत भक्तिभावमे रहबाक ओहि बालककेँ वचन दैत ओकर सहमति सँ वमापैरके औंठा काटि अनैत छैक आ मंत्रीकें दैत बकशिस धन पबैत अछि। ओ वालक अरण्यमे रहि एक गाछक खोधरिमे भगवत भजन निमग्न गाबि रहल रहैत छैक,से वनरक्षक कुलिन्द जे नि:संतान रहैछ ओ अकानैत भजनके आवाज दिश अबैत छैक। ऐ वालक सँ चिन्हा - परिचय करैत अपना ओहिठाम आनि पोषपुत बना दूनू प्राणी भगवत भजन सुनैत आनन्दित रहैछ। से एक दिन १२ वरखक वाद धृत जंगल कर' ओसुलै लेल कुलिन्द ओतय अबैत छैक आ एहि किशोर बालकके देखि तजबीज करैत अचरजमे पड़ैत य। वामापैरके औंठा कटल चेन्हासी देखैक संग अशंका निर्मूल नहिं रहै,से मोनमे सोचल जे ओ दूनू जल्लाद ठकपनी केलक। आब ओ एक बहाना बनाय जंगल रक्षक केँ कहलक अहाँ बहुत धन सोना संग्रह कय लेने छी। हमरा ओहिठाम ऐ बालककेँ घोड़ा सबारी सँ एक चिठ्ठी पहुंचाय देबै कहियौन। ओहि बालकके नामकरण पाल्यपिता - माता धरि चन्द्रहास रखने रहय,तकरा पत्र पहुँचेबाक आदेश दैत छथि। मुहरबंद पत्रमे ओ विष देबाले पुत्रकेँ निर्देशित कयने रहैक। दोसर बेर केर ऐ महासंकट सँ चन्द्रहास बचैत छैक । एक अति रूपवती मंत्री बेटीक परियास सँ,जे फूलवारीमे अपन सखि सभके संग पहिलूक सांझ सँ पहिने कमल फूल आनय गेल छलीह। अपरप छँटा एक नवजुवक केँ बान्हल घोड़ाके बगल गाछतर सुतल देख आ ऐ सुदर्शन युवक केँ मुखाकृतिक आभाकेँ बेर- बेर निंहारैक।देखते आयल मुरेठामे एक कागत खोंसल। से ओ चोरी सँ नीक जहांति पत्र लैत पढ़ल तँ अपन पिताक लिखल जहर - माहूर (विष) देबा ले मदनके आदेश छलैक से जानि मोहमे पड़ल । ओ दयाभावे ओहि अति रूपवान परदेशीके जान बचेबाक उद्देश्य सँ अपना कपड़ाके पीन सँ तरहथीमे भेंस शोणित बहार कय विष शव्दक आगू सटाकय एक अक्षर 'या' लिख देलीह। ओहि पत्रकेँ ओहिना फेर मुरेठामे खोंसि देलनि आ ओतय सँ चुपे ससरि गेलीह । संग आयल सखी लोकनि सं घर घुमि चलै लेल कहैत सब केओ झील लग सँ झटकारिकेँ आंगन पहुँच जाई गेलीह। जहन चन्द्रहासकेँ जगबैत ओकर दू समांग ओतय आबि कहलकैन अराम अपने खूब केलहुँ , चलू मदनजीक ओहिठाम आब अन्हार भ' जायत! कथा रोचक अछि, ई समीक्षा विधाके लिक सँ हंटिके लेखन कय रहलहुँ अछि। पाठककेँ इहो बताबैत छी- जे गबैया राधेश्याम तर्ज वा आन दोसरो पोथीक सहारे विषय कीर्तन करैत होथि,जेना स्व० रास बिहारी दासजीक मुहेँ हम सुनने रही - जे विषया नामक मंत्रीके बेटी अपन आँखिक काजैर सँ केशक मिहिंकी किलिफ सँ 'या' वर्ण विष के आगू लिखने छलीह। मंत्री'क लिखल अक्षर आ मोइस सँ मिलैत "या" अक्षर अवश्ये जोड़ल गेल हेतैक विषया द्वारा। मदन जी चन्द्रहास हाथे पत्र पाबि शुद्ध - शुद्ध पढैत पिताके आज्ञा पालनमे उद्यत होई छैक। आंगनक स्त्रीगणमे विषयाक वियाह मादे परिवेशमे वातावरण देखि स्वंय चन्द्रहासोक मोनमे कोतुहल सन होय। परिणय सुत्रमे प्रातेभने चन्द्रहास मदनके बहिन सँ बन्हा गेला ओहि रहस्यके नवोदित दुल्हिन बताबैत अपन दुल्हा सँ पिताके षड्यंत्र पर हरसमैत धियान रखबाक सहचेती करैत दाम्पत्य जीवनक आरम्भ केलीह हेन। गालीब जी राजा लग ओहि चन्द्रहास मादे संवाद करैत मदन सहित हुनका राजदरबारमे भोजन पर निमंत्रित करैत छैक। ओहिठाम रनिबास सँ आदर पाबि धायमाय सेहो चन्द्रहासक आदर करैत पबैत अछि। ता घरमुहांन मंत्री, बेटीक वियाह सुनि अचंभित रहैछ आ मदन सँ पत्रके पुछारि कय विष देबाक बदला विषया देवाले प्रसंग बावत तेसर खेप पुनः जान सँ जमायकेँ मरेबाक योजना बना लैत य। से सहटिकेँ चन्द्रहास लग जाए मंत्री कहैत छैक- अपने दोहरी साँझके देवी मंडील असगरे जाय निवेदित करब ,ई अहांक मंगल कामना लेल आवश्यक छैक। ओ गुप्त रूपेँ मंडीलमे बलि लैक धरगर खंडा ल'के' प्रवीण चंडाल केँ घटना करय पहिले आगन्तुक'क धर सँ शिर अलग करैक आदेश द' देने रहैक। से मदन कनेकबे कालमे पाहुनकेँ राजालग ल' जेबाक काज करैत अछि। राजाज्ञा अनुसारे ओ पुगि गेला आ देरी भेलान्तर मदनजीकें बुझा देने रहथिन,से देवी मंदिर ओ समय सं चलि जेताह। होनी जे हेबाक रहय से मदनके हत्या भ'कऽ रहल। ओ जहन अपन जमायके जीवीत देखल तँ बताह जेकाँ मंदिर दिश पराइत छैक।अपन बेटाकेँ मृत देखि अपनों प्राण त्यागि लेलक। ई सूचना संचार दहोदिश पसरलैक। एम्हर राजा चन्द्रहास केँ अपना राज्यक अभिषेक करैत केरल राज्य सँ फिरंगी केँ सेहो जाकय भगेलक। आब तँ दूं राज्यक राजा बनल रहलाह चन्द्रहास जी।

पौराणिक बालकथा- मौसरी धुपाधुप

हेमन्त रितुके सुआगतार्थ सब जोन अपना गिरहथके अरहेला पर भीठा बाध काज करय गेल रहैक। जोनमे सोझमतिये जेकाँ सब केओ अपना - अपना पाहि पर लागल धान फसिल हाँसु सँ काटय। दुपहरमे पूभर सँ कनुनियां बुढ़िया मुरही आ लाय बेचय आ सँगमे ओकर बेटा कलरा पान सुपारी डोलमे लेने खेत लग जुमैत छैक। चाल पारैत सोझमतिया सबसँ पहिले एक पाजा धानक शीस कतरिकेँ आदहा आरि पर मीर लेलक आ दू आहूल ओकरा दैत मीठा पान सब खेलक आ लाय - मुरही जेथगरकेँ बेसाहि लेलक। सब जन अपना - अपना धियापुता लऽ अगहनी सनेश बाध सँ गामपर मुन्हारि साँझधरि आनत गिरहत सँ नुकाके। ओनय सोमना, मंगला , बुधना, सुकना आ रविया केर बाऊ बैंगहा पर धानक' बोझ उगहय आ छोपय बाध विदाह होय सँ पहिनहि मालजाल फोलि बहटाबैत अपना - अपना छौंड़ाके चरवाही करय चहटी पर जंगल पठौलक। वृहस्पतिया आ शनियां जे बपटुअर छौरी रहय से ओकरो दूनू गोटेयके माय भगली आ सोझमतिया अपन गाए बाछी खोलि चराबय लेल गैवार सभक जेड़मे संग धरा देलीह। चहटी पर पहिले सँ ओतय अपन महिंस चराबैत मोहमुदबा रहय, बाल बेदरा सँ ओ चेष्टगर छलैक। चहटी पर माल - मवेशी केँ कनौ रोमबाक झंझटि नहिं रहैय। तेँ समय खेपय सातो चरवाह खेल - धुपमे लागि गेल। मनलगू 'बान्हक सुईया ताकू' म रमि जाइ गेल। ऐ खेलमे एक गोटाके विपरीत दिशामे घुमिके ठाढ़ हुअ पड़ैत छैक। जहन सब लोक महराए गबैत आ मूलगैन दू गिरहके कटकी'क सुइया बना , सबा हाथके माटिक बान्हमे भेँसके झाँपि दै तँ ओहि सूईया केँ खोजी करय ओकरा कहल जाय। जे नहिं ताकि सकै तँ ओकरा गाल फुलाकेँ हौफ बनल रहय पड़ैक। एहि खेलमे जहन दण्ड भोगैत शनियां ठाढ़े छलै तँ सब कियो " हे रौ झम्मा ,हेरौ झम्मा - तहूँ जे छिए बलेसरा " धुन गबैत वृहस्पतिया केर नाम पुकारैक सुईया घोंसियबै ले,तँ एतबेमे दूर्भावनावश रंगमे भंग भऽ गेलैक ! अजरा जबर्दस्ती मियां टोलक मोहमुद बाधा उपस्थित केलक। शनियां केर फुलल दूनू गाल पर मौसरी धुपाधुप करैत हलुक सँ करैत ओकर दूनू गाल मीर लाल क' देलकैक। शनिया किकिया उठल आ कनैत गाम पर पराएल चलि आयल। शनियांक माय बोझ उघि कऽ घर अयलीह तँ अपना दस बरखक धियाकेँ कननमुँह भेल बैसल कोनटे सँ देखलीह। जा ओ पुछारि करिते रहय ,आकि वृहस्पतिया दूनू मायधी ओकरा ओहिठाम झटकारि केँ आबि सब खेरहा प्रमाणिक रूपेँ कहय लगलैक। हे यै! हमरा सँ सब छोटे सँगी- साथी सब चहटी पर मिल बैठकेँ खेलाईत रहिऐ। जहन अहाँक शनियांक बारी चोर बनैक अयलैक तँ ओ बान्ह पर दूनू हाथक गहुआ सँ सुईया नहिं झांपि सकलै। तेँ गाल फुलाकय अस्थिर रहक छलैक बेशी कालधरि। हमरा सभ लग सहटि मोहमुद कका आबि खेल देखैत रहय; ओ अहाँक बेटीके गाल दूनू हाथे धुपसिन हलुक थापर चला, लगलैक गाल मिरकेँ लाल करय। से बड़ी जोर सँ शानियां दैया किकिया उठल छलैक। आ तेँ मौसरी धुपाधुप खेल उसरि गेल छलैक। आब झट दऽ चारू गोटय महमुदबा ओतय जाकय ओकरा अम्मी आओर बब्बाके उलहन दैत भगली सब करतुत बुझेलकैन। फुसराहटि सुनि आँगन सँ डेढ़िया पर महमुद केर बीबी कारिया बुरकामे समक्ष अयलीह आ अपना सौहरकेँ हटैत कहलखिन शनियां बुच्ची ढेड़बा सँ सियान भेल जा रहल छैक। से देखैत तों छौड़ी सबके संगहत बाला खेलमे कियेक शागिर्द भेलह! हियाँ पर कान पकड़ि घटी मानह, नहिं तँ हिन्नू टोलमे ऐ परिघटना मादे आइये बड़का शोर मचि जेतह।अनघोल होइतहिं शनियांक समांग सबुटा जुटि जेतह, हल्ला बोल उठि जेतह। तबे महिरम बुझबहक ' मसुरी धुपा धूप' केर!

अपन मंतव्य editorial.staff.videha@zohomail.in पर पठाउ।