अंक ३६५ पर टिप्पणी
आशीष अनचिन्हार
सनेस थिक दूर्वादल, आशीर्वादक,
माल-जाल अछि रकटल, अकरे सोआदक।
उम्मेद अछि जे राजकिशोर मिश्रजी अपन रचनाशीलता बनेने रहताह।
शम्भु कुमार सिंह आ रोशन जनकपुरी जी लागातर आबि रहल छथि से नीक। कुमार मनोज
कश्यप जीक लघुकथा केर विषय ठीक अछि मुदा ओकर अंतकेँ आर ठोस बनाएल जा सकै छलै।
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