राज किशोर मिश्र, रिटायर्ड चीफ जेनरल मैनेजर (ई), बी.एस.एन.एल.(मुख्यालय), दिल्ली,गाम- अरेर डीह, पो. अरेर हाट, मधुबनी
थाकल छी, मुदा थकलहुॅं नहि
था कल छी , मुदा थकलहुॅं नहि ,
घा म सँ ती तल, महकलहुँ नहि ।
पञ्चपा त्र सॅं दऽ अछि नजल,
जा हि गा छक केलहुँ ति रपेच्छन,
सुखा रहल अछि वृक्ष ओ,
अरुदा के, ओकर केलक भक्षण?
हँ, हरि अर डा रि सभ सुखा रहल अछि ,
प्रदूषण मा था भुका रहल अछि ।
लक्ष्य -पथ केॅं पा वन बुझि ,
कर्तव्य सँ करैत रहलहुँ पूजन,
अपना भरि तऽ चलि ते रहलहुँ,
दुनु पा एर फुलल, ओहि मे सूजन।
छी ठा ढ़ , ध्येय सँ कि छु पहि ने,
चलल ने हो इछ, तऽ छी ॲंटकल,
कुंठा , अवसा द सभ केलक प्रहा र,
परञ्च, कनेको नहि छी भटकल।
समस्या ,अजो ध -अजो ध ना ग
बनि क' फुफका रि रहल अछि ,
का त-करो ट दऽ नि कलि ने सकै छी ,
ता कि -ता कि , खेहा रि रहल अछि ।
चलल जखन सँ हमर जि नगी ,
आ, पहुँचल एखन जा हि पड़ा ब,
संघर्ष -घा म सँ ती तल, ओकरा ,
सदि खन,घेरने रहलैक ख्वा ब।
ललका रा सुनैत रहलहुँ चुनौ ती क,
खो ली , मुह मुनल सफलता -पौ ती क।
जि नगी -युद्घक यो द्घा बनलहुँ,
चक्रव्यूह के तो ड़ि ते रहलहुँ।
हुँ
घुमि ते रहलहुँ संघर्ष -परि धि मे,
लगअओने आँखि वि जय के नि धि मे।
जयका र कखनो ,
कखनो फटका र,
को शि श सुफल ,
कखनो बेका र।
कखनो , पुरुषा र्थक भरी हुंका र,
वि धुआइ कखनो , सुनि क'हुतका र।
सुनी कखनो क' मो न के वा द ,
ओकरे सँ, कखनो करी वि वा द।
बा हरो युद्ध ,अन्दरो युद्ध,
रण- यो द्घा कखनो , कखनो बुद्ध।
भेटल कि छु , आ कि छु छूटल,
भा ग, नी क, कखनो फूटल।
इएह सभ करैत -करैत जि नगी संग,
आबि गेलहुँ एहि ठा म,
कतहु बा ट सो झरा एल भेटल,
कतहु तऽ भेटल ,जा म।
जि नगी , खएलक समय के,
आ कि , समय खएलक जि नगी ,
रहस्य बनल अछि अपने मे,
ओ, जड़ि सँ लऽ कऽ फुनगी ।
था कल मो न, आ'था कल देह,
मुदा , घटल ने लक्ष्य सँ एखनो नेह।
था कि गेलहुँ तऽ की भेलै?
जो द्घा छी बूढ़ ,मगर लड़ैत रहब,
जी तब की हा रब, जा नि ने,
मुदा , था कि ओक'हम बढ़ैत रहब।
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