हितनाथ झा
मैथिली साहित्यमे
तारानाथ झा एवं हुनक परिवारक योगदान
विदेह लेल 'मैथिली साहित्यमे तारानाथ झा एवं हुनक परिवारक योगदान’ विषयपर
लिखबाक लेल जखन आशीष अनचिन्हारजी हमरा कहलनि तँ कनेक काल लेल हम भावशून्य
अवस्थामे चलि गेलहुँ कारण नहि गछब उचित नहि होइत आ गछब हमरालेल अतीतक बिसरल
बातकेँ पुनि समक्ष आनब आ लोकक मध्य रखबामे जे सामर्थ्य हेबाक चाही से अपनामे
कनियो नहि पाबि रहल छी ओकर अनेक कारण अछि। पहिल जखन हम दू-अढ़ाइ वर्षक
रही,तखने हमर पिताक निधन भ' गेलनि। हमरा लेल तँ दुनियाँ ओही समय अन्हार भ'
गेल छल, मुदा पिता सदेह उपस्थित नहियो रहैत हुनक आशिष हमरा सदति माथपर रहैत
छल , ई हम तखन बुझलियैक जखन हमरा ज्ञान-प्राण होबय लागल आ समयक गतिक अनुसार
आगाँ बढ़बाक लेल डेग केहनो विकट परिस्थितिमे अवरोध नहि होइत छल। दोसर-तेसर
आदिक कारणक तहमे एखन नहि जा हमरा आशीष अनचिन्हारजीक आग्रह टारब अपन पिताक
आशीर्वादक बदला कृतघ्नता होइत जे अल्पायुमे बैकुण्ठवासी होइतहुँ सामाजिक,
शैक्षणिक, चिकित्सीय,साहित्यिक गतिविधिमे जे सक्रिय छलाह, तत्कालीन समाजक
प्रेरणास्रोत बनल छलाह, ओहिसँ अपन समाजकेँ वंचित राखि हुनक त्याग-तपस्याकेँ
सेहो अल्पायु बना देब कृतघ्नता नहि होइत तँ आर की ? जखन आशिष अनचिन्हारजी
एहि हेतु विदेह पत्रिका ल' क' हमरा समक्ष उपस्थिति भेलाह आ धारावाहिक रूपेँ
साहित्यिक समाजमे व्यक्तित्व आ कृतित्वकेँ अनबाक लेल कहलनि तँ हमरा
स्वीकारब अनिवार्य बुझना गेल।
गछि तँ लेलियनि, जेना-तेना अपन सामर्थ्यक अनुसार लिखबाक लेल सोचलहुँ, तँ
भेल पहिल अंकमे ' तारानाथ झाक वंशावली देल जाय। तैंतीस पीढ़ीक ई वंशावली अछि
जाहिमे अद्यावधि कुलबृक्ष तक लेल गेल अछि,जतेक हुनक अंश छथिन।
एखनि हम एतबहि कहब जे हुनक आगाँक पीढ़ी लोकनिक साहित्यिक जे अवदान अछि,ओहिमे
ज्येष्ठपुत्र प्रो.भीमनाथ झाक अवदान सर्वविदित अछि। साहित्यिक ककहराक लेल
हमरहु कलम कहुखन चलि जाइत अछि। हमर माँझिल भाइ जे राजनगर कॉलेजमे कार्यरत
छलाह मित्रनाथ झा सेहो अल्पायु भेलाह। चि.प्रो.दमन कुमार झा,तारानाथ झाक
ज्येष्ठ पौत्र आ प्रो. भीमनाथ झाक बालक ल.ना. मि.विश्वविद्यालय,दरभंगाक
वर्तमानमे मैथिलीक विभागाध्यक्ष छथि आ मैथिली साहित्यमे हिनक योगदान अनेक
विधामे महत्वपूर्ण अछि। तारानाथ झाक ज्येष्ठ पौत्री आ प्रो. भीमनाथ झाक
ज्येष्ठ पुत्री मैथिली आ हिन्दीक कवयित्रीक रूपमे सुपरिचित छथि।
एहि अंकमे प्रो. भीमनाथ झाक रचित काव्यमय वंशावली देल जा रहल अछि आ अग्रिम
अंकसँ पारिवारिक,सामाजिक,साहित्यिक, संपादकीय दायित्व, चिकित्सकीय आदिक
अवदानक विषयमे लिखब।
तारानाथ झाक वंशावली
मूल : खौआड़े नाहस गोत्र : काश्यप
बीज प्रजापति, वाचस्पति, गणपति-सुत शशिधर
तनिक गदाधर, हरिमणि, रत्नपाणि विद्वद्वर
देवादित्य-तनय पाँखू-सुत भूले तनिकर
राम, तदनु नरसिंहक सुत लवशर्मा बुधवर
तनिक उमापति, तनिक रमापति, तनि सुत हरिहर
रहथि गुणाकर, तनिक बुद्धिकर, नारायण वर
पुनि निकार आ कमल, गुणाकर, ब्रह्मदत्त झा-
सुत गोसाइँ, पुनि वेणीदत्तक सुत बबुआ झा
तनिक तनय श्रीनाथक सुत छथि तारानाथे
मासिक पत्र "प्रभात" चलौलनि अपना हाथे
तनिक तीन सुत -भीम-मित्र-हितनाथ थिकहुँ आ
'भीम'क पाँच, चारि 'मित्र'क, दू 'हित'हुक अगुआ
सात बहिन आ चारि भाइ-बिच तीनुक माथे
भीमनाथ सुत 'दमन'-'सुमन' दुहु भाइ सनाथे
सुता 'अर्चना' मध्या 'रत्ना' छोटि 'सर्जना'
जेठिक एक, दुनूसँ दू -दू नातिक गहना
दमनक सुत ' आदर्श कुमार ' कुलक छथि आशा
चिरंजीवि रहि अपन सुनामक बजबथु ताशा
'आदर्श'क सोदरा थिकथि 'निधि' दमनक कन्या
सुमनक 'सुधा' - 'सुमेधा’ सरस्वती सम धन्या
मित्रनाथ अल्पायु, ' सुभाष ' तनिक सुत सेहो,
सुता ‘वंदना'-‘शिखा'-‘निशा’केँ साशिष स्नेहो
तेसर भाइ बैंक अधिकारी पढ़ुआ -लिखुआ
' हितनाथ 'हुक ' धनंजय ' पौत्र ' हृधान ' दुलरुआ
' रितु ' नामक कर्मठ कर्तव्यशील दृढ़ कन्या
सुत 'प्रत्यूष’क बनलि माय ओहो छथि धन्या
(रचना : भीमनाथ झा)
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हजारीबाग-825301
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