प्रणव कुमार झा
पोथी चर्चा : "प्रीति कारण सेतु बान्हल": सम्पादक - श्री आशीष अनचिन्हार
"प्रीति कारण सेतु बान्हल" पोथी श्री आशीष अनचिन्हार के संपादन मे प्रकाशित पोथी छैक जै मे वर्तमान मैथिली साहित्य जगत के दीप्तिमान स्तम्भ दंपत्ति श्री गजेन्द्र ठाकुर आ श्रीमती प्रीति ठाकुर केर मैथिली साहित्य जगत के लेल कैल गेल योगदान आ पुरातन मैथिली विवाह आ पंजी पद्धति के संरक्षण एवं संवर्धन लेल कैल गेल प्रयास आ योगदान पर प्रकाश देल गेल अछि। कुल 478 पृष्ठ के एहि पुस्तक मे 32 टा सहयोगी लेखक सबहक आलेख, संस्मरण, साक्षात्कार, आलोचना आदि छैक जे संप्रति साहित्य, इतिहास, पत्रकारिता एवं अन्य विधा सँ जुड़ल छैथ। जेना छोट-पैघ बहुते रास नदी सभ मिलि कय समुद्रक निर्माण केने होय। ऐ मे से कै टा त संप्रति मैथिली साहित्य जगत के जनल मनल हस्ताक्षर छैथ।
पोथी केर विषय-वस्तु के मोट मोट तीन वर्ग मे हम वर्गीकृत करय चाहब : - i) श्री गजेन्द्र आ श्रीमती प्रीति ठाकुर केर पारिवारिक जीवन के गाथा आ ओय सब से जुड़ल संस्मरण आदि। ii) ऐ साहित्यकार द्वय के द्वारा मैथिली साहित्य एवं मैथिल संस्कृति के द्योतक कागजात सबहक अनुवाद आ डिजिटाईजेशन के अति महत्वपूर्ण काज मे योगदान आ ओकर यात्रा केर गाथा आ iii) साहित्यकार द्वय द्वारा कैल गेल काज सबहक विषय जेना पंजी प्रणाली आदि संबन्धित विषय सब पर आलेख आ चर्चा ।
ऐ पुस्तक के विभिन्न खंड एवं विषय सूची के शीर्षक केर रूप मे विभिन्न पारंपरिक लोकगीत सबहक पंक्ति देल गेल अछि जेना "आजु जनकपुर मंगल भुप सभ आओल हे…"। संप्रति हिंदी कथा लेखन विधा मे सत्य व्यास के लेखन मे सेहो एहन प्रयोग भेटईत छैक। ऐ तरहक प्रयोग पाठक मे विषय-वस्तु आ पोथी के ल क जिज्ञासा बढ़ाबै छैक।
अलग अलग सहयोगी लेखक द्वारा अपन-अपन शैली में उपरोक्त तीन टा मे से कोनो एक वा एक से बेसी वर्ग मे आलेख लिखल गेल अछि जे साहित्यकार द्वय के सम्पूर्ण बेक्तिगत आ साहित्यक जीवन के विभिन्न पहलू के समावेशित करय अछि। लेख पढ़ई काल पाठक के रूप मे कतेक रास नव-पुरान संदर्भ सभ मस्तिष्क के सोझा उपस्थित भ जाइत छैक। संगहि मैथिल ब्राह्मण पंजी प्रथा जेहन विषय के प्रति जिज्ञासा आ कम से कम ऐ विषय पर सतही ज्ञान के संचार सेहो।
आशीष अनचिनहार आ मुन्ना जी आदि द्वारा साहित्यकार द्वय के साक्षात्कार हुनक मनोवृति आ हुनक काज मे बेक्तिगत रुचि आदि मे जानय के अवसर दैत छैक। किछू लेखक अपन संस्मरण द्वारा श्री गजेन्द्र ठाकुर के पारिवारिक जीवन के सेहो निक चित्र झीकने छैथ आ पाठक के ओहि संबंध मे रोचक जानकारी प्राप्त करबा मे सक्षम बनाबै छैथ।
आन आन आलेख, संस्मरण आ साक्षात्कार के अतिरिक्त श्री जगदीश चंद्र ठाकुर ‘अनिल’ आ डॉ० कैलाश कुमार मिश्र द्वारा मिथिला पंजी प्रबंध पर लिखल आलेख पाठक केर रूप मे हमरा लेल बेक्तिगत रूप से खूब रुचिगर आ उपयोगी लागल। सुश्री कल्पना झा के आलेख सेहो मोन के छुलक आ गुदगुदेलक। एकठाम ओ कहय छैथ जे एकटा उमैर भेला पर किताब कीनैत डर होई छैन्ह जे नव पीढ़ी कहाँ कहियो ओय पोथी के उल्टेतै पलटतै। उल्टे दुनियाँ से बिदा भेला पर भ सकय अछि जे हुनका उपराग दैन जे ई की जमा क के ध गेलिह अछि। मुदा हमर ऐ विषय मे सोचनाइ अलग अछि आ जे कि हमर अपन अनुभव के आधार पर अछि। हमर बाबा जे की संस्कृत के विद्वान छलाह आ एकटा ठाकुरबारी मे पुरोहित। हम जखन नेने छलहु 9-10 वर्ष के तखने स्वर्गवासी भ गेल छलाह। हमरा याद अछि हुनक पेटारा मे बोरा के बोरा भरि भरि के आध्यात्म आ धर्म-संस्कृत केर पोथी सभ छलईन्ह। सभ किताब के हमर कक्का कबाड़ी मे बेच देलखिन मुदा किछु कल्याण विशेषांक, गीता आ पुराण हम छाँटि नेने रही (ओहि समय मे पुस्तक मे देल गेल फोटो सबहक लोभे) । बाद मे नहु नहु ओई पोथी सभ के पढ़ईत गेलहु त ओई सब मे हमरा रुचि आबय लागल। ओई समय मे हमर विचार-व्यवहार आ धर्म-कर्म मे हमर रुचि के आकार देबय मे ओय पुस्तक सबहक हम महत्वपूर्ण योगदान देखय छी। पितिया लगा के हम 7 भाई बहिन मे हमरे टा ओई पोथी सभ पर मोन गेल छल। अर्थात प्रोबेबलिटी त ओत्तौ 1/7ते छलई। ताहि लेल हमर ई विचार अछि जे जखन हम कथा या कथेतर के रूप मे किछु विचार-संस्कार अथवा किछु सूचना पोथी के आकार मे संरक्षित करय छी, त कम्मे प्रोबेबलिटी सही मुदा किछ न किछ चांस रहय छै जे अगिला पीढ़ी तक ओ विचार-संस्कार आ सूचना पहुंचय। ई पोथी सेहो एकटा कथेतर साहित्य छैक जै मे विषय पर किछु रोचक लेख त छैक तथापि विषक के गूढ़ता के कारण सब प्रकार के पाठक लेल मनोरंजक होय ई आवश्यक नहि। मुदा पुस्तक मे देल सूचना मैथिली साहित्य जगत एवं मैथिल संस्कृति दुनु के लेल संरक्षणीय छैक। ताहि लेल ऐ प्रकार के पोथी के संकल्पना संयोजन एवं सम्पादन लेल श्री आशीष अनचिन्हार जी बधाई, प्रशंसा आ साधुवाद के पात्र छईथ। मिथिला आ मैथिली से संबन्धित संस्था, कॉलेज आदि के पुस्तकालय मे ऐ तरहक पुस्तक के संग्रह हेबाक चाहिए।
भौतिक रूप से सेहो पोथी नीक बनल अछि। पोथी केर कवर पेज, एकर कागत केर क्वालिटी, फॉण्ट, फॉण्ट साइज़, मुख्य आवरण आ पृष्ठ पेज केर रंग संयोजन, डिज़ाइन, फॉरमेट आदि नीक गुणवत्ता के बनल अछि जे पाठक के हाथ मे ल क पढ़े मे एकटा सुखदगर अनुभव कराबय छैक। पोथी डॉट कॉम के एकरा लेल सराहना कैल जा सकय अछि। पुनः ऐ पोथी लेल श्री आशीष अनचिन्हार जी, श्री गजेन्द्र ठाकुर जी आ श्रीमती प्रीति ठाकुर जी के खूब रास बधाई।
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