प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका

विदेह नूतन अंक
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प्रमोद झा 'गोकुल'

सापिन

भोरका उखराहा मे कोनो घरक मजमा अलगे होइ छै ।इसकुलियया बच्चाक लंच बाकस से ल' के कमौवा धैर के तैयार कय फेर हँसि के बिदा करै मे जे गति होइ छै से कोनो कुशल गृहणीयें कहि सकैत छथि ।जहिना सेनाक जवान के सीमा पर सजग चौकसी रहैत छैक तहिना हिनको सब के रहै छैन ।कनियों चूक भेला पर बिन गोला बारुदक धमाका सहजहिं होमय लगैत छैक आ हिनका लोकैन के अकारण कोट मार्सल सुरूह भय जाइत छैन तेँ मनोरमा सतर्क भय समय सँ पहिनहिं आइ तैयार छथि ।
मोने मोन फुसफुसेली जे रिंकिया नेहेने सोनेने छैहे, जामे सकूलक टास्क बनौतै तामे गाड़ियो ओकर चैलिये औतै।ततबे मे छोटकी बहीन उमा सेहो आबि गेलै ।जान मे जान एलै मनोरमा के ।आब निश्चिंत से डागदरक ओइठाँ जायब ।ओतौ की होयत से नहिं जानि! चारिम महिना छियै ।जाँच बला कहलकै जे 'फेनो बेटिये है पेट मे' तेँ ,नै ते किन्नौ ने हम ई काम कैरतियै! अपने हाथे अपन बच्चा के मारै मे ककर ने करेज दहलतै! मुदा करियौ की ?भगमान एगो पहिनै द' देलकै ,ओकरे निमेरा नीक नहैंत कैल पार नै लगै छै आ फेनो तै पर से बियाह दान जर जैतुक अलहदा ।धौर!हमहुँ कोन मन कथा मे लैग गेलियै ?अपनो ते तैयार हेबा के छै!अपनो जे घड़ी ने एलखिनहें !हैया आबि ते गेलखिध! मर !कत'चल गेल रहियै ?
-आर कत'जेबै ?डागदरक लग नम्मर लगा एलौंहें !
-ओ••••कै बजे के?
-से ते नै कहलक; मुदा जल्दिये!
-बेस ते चैह पीबि के तैयार भ'जाउ झप सिना! ता हमहूँ छौंड़ी के तैयार क' दै छियै ,इसकुलिया गाड़ी ऐबते हेतै! आ हे! उमियो आबि गेलैहे!
-आँइ! एली उमा दाइ!!तखन ते•••••
-हे मोन नै बेसी बढ़ौ! चुप चाप बाथ रूम मे घुसू से कहि दैत छी ।चौल करैत बजली मनोरमा ।
-बेस सरकार जे आज्ञा !एतबा कहि सगुन तैयार होइले चल गेलाह आ एमहर लैग गेली मनोरमा अपन तैयारी मे रिंकु के सेहो अपन सकुलक सब टास्क ते तैयार भ'गेल रहै परंच मैथिली सरक एकटा सवाल नै बैन पौलकै तेँ माय सँ पूछि बैसलि--
गै माँ!
-हँ कह ने!
-एगो सवाल के जबाब कहबेँ!
-पूछ ते !
-सवाल छै मैथिली मे!
-हँ गै कह ने!
ते सुन! जे अपन बच्चा के अपने खा जाइ छै ओकरा एक शब्द मे की कहबै?
-सा-••पि•••न ••••अचानक मनोरमाक मूह सँ ई शब्द निकलि गेलै ।ओ सोचय लागलि जे ठीके हम सापिन छी ।अपन संतान के अपने खाइ बाली! न न न्न •••एहन काज हम किन्नौं नै करब ।फेनो बेटिये हेतै सएह ने! ओकरे पढ़ा लिखा के किछ बना देबै! अंतरे की छै बेटी बेटा मे? रिंकुवा बाबू के मना क' दै छियै ।ओकरो भीतर से मोन ते नैहें छलैहे, हमहीं जिद केलियै तेँ ।
उधेरबुन मे बैसलि मनोरमा एना मे बिगरैत सम्हरैत अपन छवि निहारि रहल छलि ।शनैः शनैः दृढ़ताक आभा ओकर मुखमण्डल पर पसरि रहल छलै कि तखने सगुन टोकार मारलकै-
एना कतय हेरायल छी?
-न न नै! हरबड़ाइत बजलीह मनोरमा
-किछ बात ते जरूर छै! बाजू ने!!
-डागदर लग नै जेबै आब हम! एके साँस मे बजली
-से किएक?
-हम सापिन नै बनब •••अपन बच्चाके अपने नै खायब ••••फफकैत मनोरमा सगुनक अंक लागि गेलीह आ ओहो मनोरमाक केश मे हाथ फसबैत बजलाह- धुर बताहि! हमहुँ ते इएह चाहैत छलहुँ ।

-प्रमोद झा 'गोकुल', दीप,मधुवनी (विहार), फोन-9871779851

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