८.डॉ कैलाश कुमार मिश्र-सारस्वत परिचायिका-कोइलख
डॉ. कैलाश कुमार मिश्र- संपर्क-8076208498
सारस्वत परिचायिका:कोइलख
भारतीय परम्परा गामक परम्परा थिक। हमरा लोकनि आइ शहर आ महानगर दिस भागि रहल छी। ओतहि बसि जाइत छी। मुदा महानगरोक जीवनमे गामकेँ तकैत छी। ओतहु गामेक स्वरूपकेँ देखि कs जीबैत छी। कोनो पाबनि-तिहार अथवा उत्सव गामे जकाँ मनबैत छी ,गामेक स्मरणमे लीन भs कs मनबैत छी। आखिर की छैक गाममे ? की छैक ओकर उत्सव ? गाम आइयो कियैक एतेक प्रासंगिक लगैत अछि ? हम लगभग तीस वर्षसँ मानवशास्त्रक छात्र-रूपमे , गामकेँ बुझवाक प्रयास कs रहल छी। जहिया कहियो गाम जाइत छी ,सिखबाक हेतु जाइत छी। गामक प्रत्येक व्यक्ति हमरा लेल कोनो यूनिवर्सिटी प्रोफेसरसँ कम नहि छथि, अपितु अधिक छथि। ओ किताबी बात नहि ,अपितु जीवनक अनुभव ,गामक परम्परा ,इतिहास आ विशेषता इमानदारीसँ कहैत छथि। ओ कथा वाचक नहि ,यथार्थ विवेचक होइत छथि। हम बुझैत छी - प्रत्येक गाम एक स्वतंत्र इकाइ थिक। ओ सर्वसम्पन्न अछि।
किछु गोटा गामक अध्ययनकेँ रोमांचित बना दैत छथि। ई ओना देखबा , सुनबा आ पढ़बामे नीक लगैत अछि ,किन्तु यथार्थसँ दूर होब ' लगैत अछि। हम मुदा गामकेँ गामेक नजरिसँ देखs चाहैत छी।
एही कड़ीमे एक नाम थिक हितनाथ झाक। ओ बैंक अधिकारी रहल छथि। मधुबनी जिलाक कोइलख गामक निवासी छथि। विद्वान पिताक सन्तान थिकाह। साहित्य अकादेमी पुरस्कारसँ सम्मानित डॉ0 भीमनाथ झाक अनुज थिकाह। मैथिली भाषा-साहित्य , इतिहास आ कलामे गंभीर अभिरुचि रखैत छथि। हिनका अपन गाम ,ओहि ठामक लोकक इतिहासपर गर्व छनि तथा तकरा ओ संसारकेँ अवगत करबs चाहैत छथि।
कोइलख ऐतिहासिक समयसँ आइ धरि सभ क्षेत्रमे अपन सन्ततिक योगदानसँ यशक भागी रहल अछि। शिक्षा आ विकासक कोनो क्षेत्र प्रशासन ,पुलिस ,न्याय ,तंत्र,व्याकरण ,गणित ,ज्योतिष ,चिकित्सा ,अभियांत्रिकी ,साहित्य ,संतपरम्परा, राजनीति ,सामाजिक कार्य आदिमे एहि गामक लोकक अभूतपूर्व योगदान रहल अछि। एहि दृष्टिसँ कोइलख सन्तानगर्भा रहल अछि। एही उद्देशसँ लगभग साल भरिसँ सामग्री एकत्र करबामे ओ लागि गेलाह ,जकरा 210 पृष्ठक पोथीक रूप देलनि। पोथीक नाम थिक -कोइलख।
एहि पोथीकेँ चारि भागमे बाँटि कs पढ़ल जा सकैत अछि -कोइलखक पूर्व ख्यातिप्राप्त सन्तति, वर्तमान ख्यातिप्राप्त सन्तति ,कोइलखमे कार्यरत संस्था एवं संगठन तथा परिशिष्ट। परिशिष्टमे छौ विद्वानक लेख संकलित अछि। सभ कोइलखसँ सम्बद्ध अछि। ओकर वाचन आनन्द दैत अछि। सभमे ज्ञान अछि ,कोइलखक महिमा अछि। कतहु अतिशयोक्ति नहि अछि।
पोथी पढ़बा काल लागत जे प्रत्येक पाठक जेना कोइलखेक होथि ,जे लेखकक भावनाक संग स्वयंकेँ जोड़ने चलैत छथि। एहि गाममे पुरुष तँ एकसँ एक धुरंधर भेवे कयलाह अछि , महिला सेहो अनुकरणीय छथि। विशेष रूपेँ दू महिला - रानी चन्द्रावती तथा श्रीमती गौरी मिश्रक उल्लेख एहि बातकेँ प्रमाणित करबा लेल पर्याप्त अछि जे ई गाम सभ क्षेत्रमे आगाँ रहल अछि। एक बात जे मनकेँ दुखी करैछ से ई जे एहन पैघ गाम ,एहन प्रजातांत्रिक गाम ,एहन ऐतिहासिक गाम थिक कोइलख ,तथापि ब्राह्मण छोड़ि आन जातिक कोनो व्यक्ति सफलताक झंडा कोनो क्षेत्रमे कियैक ने गाड़ि सकल छथि ? एहि विषयपर चिन्तन आवश्यक अछि। एहिमे सुधार करबाक शीघ्र आवश्यकता अछि। यद्यपि श्री मोतीलाल ठाकुर एक मात्र दुर्लभ रत्न थिकाह जे बरही जातिसँ छथि। नेनेसँ पढ़बामे संस्कारी रहथि। काका हिनका पढ़ोलनि। इंजीनियर बनलाह। फेर इंग्लैंड चल गेलाह। किछु दिन नौकरी ,फेर अपन व्यवसाय शुरू कयलनि। संसारक अनेक देशमे हिनक व्यवसाय पसरल छनि। NRI बनि गेल छथि , तैयो गामसँ लगाव छनि। गामक अनेक प्रकारक सामाजिक कार्यमे संलग्न रहैत छथि। आब दू महिलाक विषयमे। पहिल महिला कोइलखक पुत्री थिकीह , दोसर पुतोहु। हितनाथजी द्वारा दुनू महिलाक उल्लेख नीक लागल। हुनक मनमे महिलाक प्रति सम्मान छनि ,तकर तकर परिचायक ई थिक। रानी चन्द्रावतीक नैहरक नाम गंगा छलनि। हुनक विवाह बनैली (पूर्णिया)क राजा पद्मानंद सिंहक पुत्र कुमार चंद्रानंद सिंहसँ भेलनि ,ताहिसँ हिनक नाम चन्द्रावतीक रूपमे परिवर्तित भs गेलनि। ई जखन पन्द्रहे वर्षक छलीह तखने पतिक निधन भs गेलनि। किन्तु ई धैर्यशीला बनलि रहलीह आ अपन योग्यता ,कार्य-कुशलता , चतुरता एवं इच्छाशक्तिक बलपर राजकाजक संचालन सफलतापूर्वक करैत रहलीह तथा यशक भागी बनलीह। कोइलखमे फ्री मिड्ल स्कूल ,मायक नामपर पोखरि ,पिताक नामपर मन्दिरक निर्माण ,देवघर ,भागलपुर ,विंध्याचल आ काशीमे अनेक कीर्ति कयलनि। हिनक काजसँ प्रसन्न भs वाइ-सराय हिनका रानीक सम्मानसँ सम्मानित कयने छलाह। दोसर महिला श्रीमती गौरी मिश्र अपन चिकित्सक पतिक संग विदेश गेलीह ,ओतयसँ डिग्री हासिल कयलनि। मिथिला पेंटिंग आ कलाकार लेल कयल गेल हिनक योगदानकेँ के नहि जनैत अछि ?
एहि प्रकारेँ पारिजात-हरणक रचयिता म.म.उमापति उपाध्यायसँ लs कs पद्मश्री डॉ0 मोहन मिश्र तथा सिनेमा आ थियेटरक दुनियाँमे नरेन्द्र झा धरिक यशोगान आ कृतित्वसँ कोइलख गाम यशक भागी बनैत रहल अछि। ज्ञानक परम्परामे संस्कृत विद्वानसँ आरम्भ भs कs संस्कृत वाङ्गमयक विभिन्न शाखा-उपशाखा -न्याय ,दर्शन ,धर्मशास्त्र ,व्याकरण ,ज्योतिष ,तन्त्र ,वेद आदिपर झंडा गाड़ैत मैथिली ,अंग्रेजी ,विज्ञान सभ विषयमे एहि गामक लोक निष्णात होइत गेलाह अछि एवं कोइलख गौरवमय होइत गेल।
हितनाथ झाक बैंक अधिकारी होयब सेहो एहि पोथी लेल नीक साबित भेल। कोना ? से एना जे ई प्रत्येक व्यक्तिसँ संबंधित सूचनाकेँ बहुत संक्षेपमे , तथ्यपरक आ ईमानदारीसँ वर्णन कयने छथि। पाठककेँ एको शब्द बेसी अथवा विषयक सीमासँ बाहर नहि लगैत छैक। कविचूड़ामणि काशीकांत मिश्र मधुप सेहो मूलतः एही गामक वासी छलाह। प0 सुरेन्द्र झा सुमनकेँ कोइलखक सम्बन्धमे पढ़ि कs गामक प्रति सहज प्रेम होबs लगैत छैक।
कोइलखमे आठ मन्दिरक संग मस्जिद आ ईदगाह सेहो अछि। जल -प्रबंधनक हेतु एकैस पोखरि अछि। स्कूल ,पोस्टऑफिस सभ अछि। 8648 लोकक आवादीवाला गाम 1937 परिवारमे विभक्त अछि। कोइलख सन गाममे 59.70 प्रतिशत साक्षरता चिन्ताक विषय थिक। आबो जँ एहि ठामक लोक चाहथि तँ एहि स्थितिकेँ ठीक कs सकैत छथि।
कोइलखक प्रसंग लिखैत डॉ0 भीमनाथ झा कहैत छथि - " सैकड़ो वर्ष पूर्व गामक पश्चिम होइत बहैत लक्ष्मणा नदी लग कोइला मोनिक खोदाइ करैत काल बौद्धकालीन करिया ग्रेनाइट पाथरक अष्टभुजी ,अद्भुत भंगिमावाली ,लगभग तीन फीटक भद्रकालीक जीवन्त मूर्ति उखड़ल जे गामक सिद्धपुरुष प0 वासुदेव झाक इष्टदेवीक रूपमे मान्य भेल। हिनक अथवा कोनो पूर्वक वासुदेवक नामपर गामक नाम " वासुदेवपुर " छल ,जे पछाति कोकिलाक्षी (भद्रकाली)भगवतीक नामपर क्वैलख भेल आ बादमे कोइलख भs गेल। डॉ0 भीमनाथ झाक कथ्यसँ बहुत किछु करबाक स्कोप बनैत छैक। एहिमे बज्रमान बौद्धिक प्रवेश भs जाइत अछि। कहब अनुचित नहि होयत जे कोइलाबीर मलाहक देवता छथि ,तंत्रक देवता छथि। भगवती कतहु बौद्धतंत्रक देवी तँ ने थिकीह ! किन्तु ई शोधक विषय थिक।
कोइलखक महिमा अनन्त अछि। एहि गाममे बहुत किछु भेलैक अछि आ आगाँ बहुत किछु करबाक प्रयोजन छैक। ई गाम ऐश्वर्यशाली आ गुणी अछि। एहि ठामक विद्वान आ सम्पन्न ग्रामीण उत्तम काज बिना कोनो सरकारी सहायतोक कs सकैत छथि। लेखकक अनुसार अनेको व्यक्तिक समावेश पोथीमे नहि भs सकलनि अछि। ओ प्रायः दोसर खण्डमे एकर पूर्ति करथि। किछु संस्था , यथा खादी भण्डार, पुस्तकालय आदिकेँ पुनर्जीवित कयल जा सकैत अछि। शिक्षाक प्रसार सभ जाति-वर्गक लोकमे कयल जा सकैछ। गाम एहि तरहेँ विद्वत्ता आ सम्पन्नताक यात्रामे सदैब आगाँ बढ़ैत जायत।
हमर पिता स्व0 रामनन्दन मिश्र गाँधीवादी छलाह। खादीक नौकरीक आरम्भ ओ कोइलख खादी भण्डारसँ कयने रहथि। ओ कोइलखक लोकक प्रशंसा करैत अघाथि नहि। पता नहि कियैक ,हमरो ई पोथी पढ़ि कs किछु एहने अनुभव भेल जेना अपने गामक विषयमे पढ़ि रहल छी। एहि अनुभव लेल एक बेर फेर पोथीक लेखककेँ बधाइ।
(साभार :मिथिला दर्शन 2018)
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