प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका

विदेह नूतन अंक
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राम शंकर झा"मैथिल"
हृदय विधन अछि
/ बियैन : (स्मृति शेष)

हृदय विधन अछि

हृदय विधन अछि..!

हअम विशेष छलहूँ

आब शेषसो रहब

शेषसो रहब कि नहिं

हृदय विधन अछि

खण्ड खण्ड कए

मारि मूंगरि मारि

मारि डेंगेया मारि

गतर गतर छिटकाअ

अपने सब समांग

कोना कहू कोना बाजू

जखन अपने पूत कपूत

हृदय विधन.....!

हअम माअ छि

सब किछु सहि लेब

मुदा करेजा फटैया

कियौ बज्जिका लेल

कियौ सूरजपुरिया

कियौ अंगीका लेल

सब हअमरे संतान

हृदय विधन....!!

डांर मे मजगुत नहिं

हिमालय सँ गंगा धरि

लाखों वर्षक चमकैत

सबहक जन्मौटि सँ

मरला कें बादो हमरे

माअ सन मिठ सोहनगर

हअम सबहक मैथिली

हअम सबजाना मैथिली

ह्रदय विधन अछि....

कतेक भोकारि खिजी

हअमर नेना-भुटका

छोटका मंझिला बड़का

कें आँखिक सोझा मे

दहा रहल भसिया रहल

हे हअमर सोन सन

मैथिल पूत आब कतेक

हृदय विधन अछि...!

शेषसो रहब कि नहिं

ह्रदय विधन अछि..!!

 


बियैन : (स्मृति शेष)


आब कि देख रहल छि

कथि देख रहल छि...!

कियाक ऐना देख रहल छि

अन्हा कें नहिं देख रहल छि

मुदा अन्हाक तिरछी नजर

हअम देख रहल छि

अन्हाक केशक जुट्टी मे

लटकल ककबा..

ओह! धरफड़ इहो ककबा

आब कि देख रहल छि

कथि देख...!

एखनो नजर गरेने छि

आब कि देख रहल छि

अन्हाक कनपटी मे सटल

तरेगन सन लौकैत टिकुली

हे भगवती आब कि करियै

आय हमहूँ बतिहि भेलहूँ

एखनहुँ हमरे दिस टकुर टुकुर

आब कि देख रहल छि

कथि देख....!

अन्हाक आँखिक काजर

अन्हाक अधर-ओष्ठ लागल

रे दैव!आय कि सँ की भअ गेलै

अन्हा फुंसी बाजि रहल छि

आ कि हअमरा सँ परिहास

हअम फुंसी बाजब मुदा

गबाह बनल अछि

अन्हाक सम्मुखिन्....

आब कि देख रहल छि

कथि देख....!

अन्हाक ह्रदय सँ सटल

घरनिपा नुरीक छिंट

हे भगवती...

गोसौनिक सिराआगु आ

घर निपैत अन्हाक पदचापक

हअमरा आभास बुझना गेल

जेना मोरनी प्रणय निवेदनक

स्वीकार करबाक वज्रधर

सङ्ग मुरलीधर कें नेने

हमहूँ बेसुध भए भेलहूँ नटवर

एहि मे हअमर कोण दोख

आब कि देख रहल छि

कथि देख...!

अन्हाक कानक बाली

आब कानक बालीकें

कि भेल..

बाली ऐना झूली रहल

जेना जेठक दुपहरिया

अन्हाक नेहु नेहु बियैन

बाउ बाउ किनकर बाली

किनकर बियैन

आँखि फुजि गेल

चेहा क उठि बैसलहुँ

सिरमा राखल बियैन

मुदा आब स्मृतिक बियैन

जें रहि रहि शीतलहरिक

आत्मबोध..

सोंझा सिरा आगुक मोर

कखनो निहारी सिरा आगु

कखनो निहारी बियैन

आब कि देख रहल छि

कथि देख...!

ई बियैन तअ वर गाछ लेल

वर गाछ हउँकब बियैन

बस आब स्मृति शेष

हुनकर बियैन

आब कि देख रहल छि

कथि देख रहल छि

बस आब तअ

स्मृति शेष..स्मृति शेष...!!

-राम शंकर झा"मैथिल", मोबाइल -7970778787

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