
लालदेव कामत
लघुकथा- जूडो कराटे
सतजीत आ चैनसी नव दम्पतिके वैवाहिक जीवन हालिमे शुरह भेल रहय। दूनू प्रौढ़
आ समझदार बुझल जाइत रहैक। से चैनसी क' नैहर आ सासुरमे बढ़ मान आदर होय।
सतजीत सेहो अपन गाममे अपना सूझबुझ आ सदव्यवहार सँ गामक समाज आ परोपट्टामे
सराहल मास्टर रहय। ससुराईरमे तँ आरो नामी व्यक्ति कहेने छलैक। कारण एको पाई
दान- दहेज नहिं लेने रहथि। एक राति दूनू प्राणीमे जूडो कराटे मादे पैघौतक
गप सरक्का चललनि। एकतँ १२/११ फिटक शयन कक्षमे जगह चीजबौस्त सँ अजबारल ,
दोसर दिश जूडो कराटे म के बेशी पारंगत,जाहि सँ सदा अपन स्वंय रक्षा करि
सकतथि! से तेहन ठुंसा हुसतीमे लागलनि जे सिलाई मशीन सहित नैहर गाड़ी मँगाकेँ
सदा लेल चलिए गेलीह। आब फेर हठात् मेलजोल तँ बढ़ल मुदा रहतीह घरजमैये धरि।
जरलाहा जूडो-कराटे कतय सँ धरफराएले छलैक।
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