प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका

विदेह नूतन अंक
वि दे ह विदेह Videha বিদেহ http://www.videha.co.in विदेह प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका Videha Ist Maithili Fortnightly ejournal विदेह प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका नव अंक देखबाक लेल पृष्ठ सभकेँ रिफ्रेश कए देखू। Always refresh the pages for viewing new issue of VIDEHA.

डा. आभा झा

चाणक्य

संस्कृतमे एकटा सूक्ति छै - ‘क्रियसिद्धि: सत्त्वे भवति महतां नोपकरणै:’ अर्थात् कोनो काजक सफलता लेल संसाधनसॅं बेशी आत्मबल आ सङ्कल्पक दृढ़ताक आवश्यकता होइत छैक।एहि सूक्तिकेॅं चरितार्थ देखबा लेल सकलसाधनसंपन्न रावण आ वनवासी रामक बीचक युद्ध देखल जा सकैछ, हस्तिनापुरक राजोचित शक्ति आ सुविधासॅं संयुक्त कौरव सेना आ वन-वन भटकैत पाण्डवक मध्य भेल युद्धकेॅं सेहो रेखांकित कएल जा सकैछ।एहि तरहक अन्य बहुत रास उदाहरण इतिहासक पन्ना उनटौला पर देखल जा सकैछ,जाहिमे मगधमे भेल अभूतपूर्व सत्ता-परिवर्तनक उल्लेख करब अप्रासंगिक नहि होयत। जखन राजा लोकनिक छोट- छोट स्वार्थक परिणामस्वरूप खण्ड प खण्ड भेल भारत विदेशी आक्रमणकारीक जालमे फॅंसल चलल जा रहल छल तखन एकटा नि:स्व ब्राह्मण संकल्प लेलनि अखण्ड भारत बनयबाक आ ओहि लेल अपन राजनीति, अर्थशास्त्र, युद्धकला आ वेदादिक अध्ययनक सभटा कौशल झोंकि देलनि एकटा मेधावी किशोर पर आ तैयार कएलनि मौर्य साम्राज्यक संस्थापक चंद्रगुप्त मौर्यकेॅं। ओ नि:स्व ब्राह्मण छलाह महान राजनीतिज्ञ, अर्थशास्त्री,दार्शनिक आ कूटनीतिज्ञ चाणक्य, जनिक नाम के नहि जनैत अछि? शक्तिमन्तो जॅं अनाचारी भए जाइ त’ ओकरा उखाड़बाक संकल्पकेॅं साकार करए बला दूरदर्शी कौटिल्यक राष्ट्रक प्रति निष्ठाक विषयमे संभ्रम ओ आदर के नहि रखैत अछि? हुनका हिसाबसॅं कोनो नियम वा आदर्श शाश्वत नहि होइत छैक -आवश्यक होइत छैक ‘राज्य-हित सर्वोपरि’ मंत्र।ओ राज्यकेॅं मजगूत करबा लेल गुप्तचरी (जासूसी), कूटनीति आ युद्धकलाक विशेष नियम बनौलनि आ करव्यवस्था, व्यापार, कृषि आ सेनासंगठनक आधुनिक सिद्धांतक न्यों रखलनि ।प्रशासन, अर्थव्यवस्था, कर नीति, विदेश नीति आ युद्धनीति पर विस्तृत ग्रंथ ‘अर्थशास्त्र’ आ राजनीति आ आचरणक सिद्धांत पर ‘चाणक्य नीति’ आइयो पूर्ववत् अर्थवत्ता रखने अछि।

ओहन दूरदर्शी चाणक्यक जीवन पर संस्कृतमे एकटा प्रसिद्ध नाटक अछि विशाखदत्त रचित मुद्राराक्षस, जाहि मे चाणक्यक राजनीतिक कुशलता, कूटनीति आ नन्दवंशक पतनक बाद चन्द्रगुप्त मौर्यक राज्याभिषेक धरिक घटनाक वर्णन भेल अछि।एहि ग्रन्थमे चाणक्यक राजनीतिक बुद्धिमत्ता, अटूट धैर्य, रणनीतिक सोच, राष्ट्रहितक प्रति निष्ठा आ कूटनीतिक पराकाष्ठाक वर्णन भेल अछि। महामात्य राक्षसकेॅं अपना पक्षमे करबा लेल ओ बाटक शुचिताक ध्यान नहि रखैत छथि आ अंग्रेजीक ई सूक्ति चरितार्थ करैत छथि -’Everything is fair in love and war’.

मैथिलीमे दीनानाथ पाठक बन्धु प्रणीत ‘चाणक्य’ एकटा महत्त्वपूर्ण ग्रंथ अछि,जकर विषयोपस्थापन आ प्रवाह अनायासे पाठककेॅं अपना दिशि खिंचैत छैक। ओकर पहिल सर्गक एकटा छोट सन उद्धरण सोझां रखबासॅं अपनाकेॅं रोकि नहि पाबि रहल छी-

'कान खोलि संसार सुनय ई हमर वाक्य अतिशक्य

 राजनीति केर पृष्ठभूमिपर उतरि गेल चाणक्य'

रविसम दीप्त, अनलसम दाहक पवि सम कठिन कठोर

 कोनो गूढ़तम भाव-मग्न चिन्तासँ आत्म-विभोर

अंग अंगसँ चूबय टपटप सुदृढ़ आत्म-विश्वास

 पाटलिपुत्रक जनपथ पर के घूमि रहल गत त्रास ?

कोनो महापुरुषक ई गुणगौरव थिकनि जे हुनका विषयमे कतबो कहल गेल हो,कहबा लेल बहुत किछु शेष रहि जाइत छैक।से हुनक व्यक्तित्वक संयम, आत्मविश्वास, ज्ञान आ नेतृत्वक्षमतादि गुणसॅं अभिभूत श्री राजकिशोर मिश्र सेहो चाणक्य नामसॅं छ: सर्गक एकटा खण्डकाव्यक प्रणयन कएलनि अछि।कविक शैक्षिक पृष्ठभूमि विज्ञान रहलाक बादो हिनक मातृभाषा-प्रेम ओ प्रतिबद्धताक प्रमाण अछि मैथिलीमे लिखल ई एकैसम पोथी।एकैस टा पोथीमे बीसटा पद्यात्मक अछि आ एकटा निबंध संग्रह। अर्थात् पद्यरचनामे अधिक रुचि रहलाक बादो गद्यलेखन दिशि सेहो प्रवृत्ति छनि। मात्र मैथिलिए नहि, हिन्दीमे सेहो एगारह टा कविताक पोथी लिखि श्री राजकिशोर मिश्र जी अपन अद्भुत लेखन-गतिक परिचय देने छथि।

आब किछु गप एहि खण्डकाव्यक मादेॅं- जेना कि पूर्वमे कहल जा चुकल अछि जे ई छ: सर्गक काव्य अछि,जाहिमे पांच सर्गमे चाणक्यक जीवनक लोकविदित प्रसंग सभ रुचिर काव्यात्मक भाषामे प्रस्तुत कएल गेल अछि।छठम सर्गमे किछु चाणक्यनीतिक श्लोकक मैथिली अनुवाद देल गेल अछि आ एहि तरहेॅं ई एकटा अभिनव प्रयोग बनल अछि। प्रायः कविगण पूर्वलिखित विषय सभकेॅं कथात्मक वा काव्यात्मक भाषामे अपना ढंगसॅं लिखैत रहलाह अछि, मुदा मूललेखकक श्लोकादिक अनुवाद अलगसॅं देबाक प्रवृत्ति नहि देखल गेल अछि। मुदा ऐतिहासिक काव्यलेखनक परंपरामे कल्पनाक बहुत पुट देबाक अवसरो नहि रहैत छैक,से सीमा राजकिशोर मिश्रजीकेॅं सेहो पएर छनने होयतनि, तेॅं मात्र एकठाम ओ घननन्दकेॅं जीवित कारागारमे देबाक प्रसंग किछु हटिक’ लिखि सकलाह।ओत्तहु ओ अपनाकेॅं विवादरहित बनैबा लेल कहैत छथि -

किछु विद्वानक इहो कहब छनि

घननन्द युद्धमे मारल गेल

किछुके मत छनि,बन्दी नहि ओ

मगध साम्राज्यसॅं बारल गेल।(पृष्ठ93,सर्ग 4)

एहि खण्डकाव्यक आरंभमे देल पात्र परिचय आ सर्वत्र प्रयुक्त सरल भाषा एकरा काव्यमय मंचनक योग्य बनबैत छैक।एहि तरहेॅं ई व्यावहारिक रूपसॅं अधिक उपयोगी बनल अछि।आरंभिक दू टा पद्य आ पांचम सर्गक अंतक किछु पद्य सोझां राखि रहल छी जे कविक चाणक्यक प्रति अनुराग आ गौरवबोधकेॅं स्पष्ट करैत अछि -

ओ युग द्रष्टा ओ युग स्रष्टा

भारत भूखंडक स्वाभिमान

 सहस्राब्दोमे कहियो कहियो

 लए छथि जन्म एहन श्रीमान्।

 विश्व इतिहासक विराट क्षितिज पर

चाणक्य चमकैत अमर्त्य नक्षत्र

 ओ शिक्षक नीति ओ अर्थशास्त्रक

छथि भ’ गेल मानक प्रमाण पत्र।(पृष्ठ 13,सर्ग 1)

कवि ओहि इतिहास-पुरुषक बुद्धि,नीति, दूरदृष्टि, युद्धकौशल, देशभक्ति आ भोगक प्रति अनासक्तिक दृष्टान्त सहज आ रोचक भाषामे भावी पीढ़ीकेॅं देमय चाहैत छथि आ तेॅं काव्यक समापनोक बेरमे हुनक गुणगान करैत कहैत छथि -

वर्तमान, आओर भविष्यमे

 जीबिते रहत ओ अतीत

 जदपि नहि ई स्वर्ग-लोक

 कालोकेॅं अछि लेने ओ जीत।

नीति हुनक, अर्थनीति हुनक

ओ कालजयी, ओ अजर-अमर

ओ अछि अमर्त्य, नहि मरणशील

ओ जीति चुकल अछि काल-समर ।

बीतल बेसीए, दू सहस्राब्दी मुदा,

जीबिते अछि चाणक्य-नीति

सद्नीति, अर्थनीति, राजनीति

ओहिमे सनातनक जीवन-रीति ।

एखनो ओहिना प्रासंगिक

 एखनो ओ 'बूझि' जीवन्त

बीतल बीचमे जुग कतेक

 मुदा जीबिते छथि श्रीमंत ।

(सर्ग5, पृष्ठ 112)

अंतमे एतबहि जे कविताक विषय-वस्तु नव नहि अछि, मुदा एकर प्रस्तुति करैत काल कविक मानस केंद्रमे छनि सामान्य पाठकवर्ग,जिनका ध्यानमे राखि बहुत सरल भाषामे संपूर्ण कथानक उपस्थित कएलनि अछि।ई कोनो भाषा लेल बहुत पैघ काज होइत छैक।जतेक विस्तृत पाठकवर्ग,ततबे भाषिक विस्तार। विद्वत्ता-प्रदर्शनक अपन व्यामोह होइत छैक, मुदा ओहिसॅं लाभान्वित होइत छैक बहुत छोट विद्वत्समुदाय! हॅं,एकटा गपक ध्यान राखब जरूरी छलै, ‘चाणक्य’ शीर्षकसॅं एकहि भाषामे दू टा काव्य परवर्ती पाठककेॅं भ्रमित सेहो करतै आ ई लेखकीय नियम आ मर्यादाक अंतर्गत सेहो नहि।नाममे किछु परिवर्तन कएने एहि दोषसॅं बांचल जा सकैत छलै । अस्तु!

कविक एहि नूतन कृति लेल बहुत बहुत बधाई आ अधिकाधिक पाठक धरि पोथीक पहुंचबाक शुभकामना।

 

अपन मंतव्य editorial.staff.videha@gmail.com पर पठाउ।