
ग्रुप कॅप्टन (डॉ) वी एन झा
जोशीमठ मे भू-धसान आ ओकर मानवीय पक्ष
विषय-वस्तु

उत्तराखंड में बदरीनाथ धाम जाए के रास्ता में आवै वाला प्रमुख शहर जोशीमठ
किछु प्राकृतिक आ किछु मानवकृत आपदा-विपदा सँ गुजरि रहल अछि। ओना तँ
टेक्टोनिक प्लेट पर स्थित समस्त चमोली जिला भूकंप सँ प्रभावित अछि, मुदा
जोशीमठ में अनियंत्रित बहुमंजिला गृह-निर्माण व घना आवादी ओहि ठाम भू-धसान
के मुख्य कारण बनि गेल अछि I एहि ठामक नवीनतम प्राकृतिक आपदा जे २७ दिसम्बर
२०२२ क शुरू भेल आ ८ जनवरी २०२३ धरि एक भयावह रूप ल चुकल छल, अनेकों मकान
में दरार आवि गेल आ धरातल वा सड़क फाटए लागल । बहुतों घर - दीवार सभ में
बड़-बड़ दरार आवि गेल रहए आ किछु तँ धराशाई सेहो भ गेल । घर, आंगन-प्रांगण,
सड़क-गली मार्ग, सभ में दरार आबि गेल रहए आ कतहु-कतहु घरक सतह सेहो धँसै
लागल। वार्ड संख्या १, ४, ५ आ ८ में एहि आपदा क असर बेसी रहल। एहि
प्राकृतिक आपदा सँ बहुतों घर बिलकुल असुरक्षित भऽ गेल आ रहए जकाँ नहिं रहल,
जकर तस्वीर नीचा देखायल गेल अछि। जोशीमठ आ पूरा चमोली जिला में हाहाकार मचि
गेल, जाहि पर पूरा भारत आ विश्व के ध्यान आकर्षित भऽ गेल रहए । भारत आ
दुनियाक मीडिया ओतय रहि, तरह-तरह के समाचार देवै लें वाध्य रहए।
दिवस-रात्रि देश दुनियाँ में मात्र एके समाचार छल—जोशीमठ के की हेतै ?


तत्काल बचाव कार्य
आपदा पश्चात उत्तराखण्ड राज्य सरकार अति सराहनीय बचाव कार्य कयलक । जतबे घर असुरक्षित भऽ चुकल रहए तेकरा चिन्हित कए केँ ओतऽक लोकनि केँ एक सुरक्षित जगह मे स्थान्तरित कए हुनकर देखभाल शुरू कयल गेल । किछु लोक ओहि असुरक्षित घर केँ छोड़ए लें तैयार नै छल जिनका मनाओल गेल । राज्य प्रशासन द्वारा भरसक मदद के आह्वान कए ओ सभु परिवार केँ सुरक्षित स्थान पर लाओल गेल । सभ केँ तुरंत राहत पहुँचाएल गेल आ एक सहमति बनायल गेल जे जतेक लोकनि जोशीमठ सँ बाहर अन्यत्र सुरक्षित जगह जा चुकल छलाह, हुनका घर के किराया सेहो देल जाओल । राज्य आ केंद्र सरकार के सभु राहत संस्था (SDRF, NDRF) केँ तैनात क देल गेल जेकर वैज्ञानिक दल केँ स्थिति का जायजा लेबा लेल पठाएक आदेश देल गेल । सरकारी व अनेकों गैर-सरकारी संस्था केँ राहत कार्य में लगा देल गेल । पीड़ित परिवार में सँ किछु एहेनों समूह छलाह जे चमोली क्षेत्र में दशकों सँ चलि रहल अनियंत्रित निर्माण कार्य व पहाड़-कटाव में सरकारी लापरवाही सँ क्षुब्ध छल।
भू-धसान के मुख्य कारण
१९७७ में
जोशीमठ चमोली में आएल प्राकृतिक विपदा के बाद जे वैज्ञानिक समूह के ‘मिश्रा
कमिटी’ बनाओल गेल छलन्हि, ओ अपने समयक सरकार सभ केँ आवश्यक कदम उठेबै लेल
दिशा-निर्देश देल छल जे तत्कालीन सरकार अनदेखी का देलन्हि । खास बात ई अछि
जे तत्कालीन जनता दल आ तत्पश्चात कांग्रेसक राज्य आ केंद्र सरकार सभ ओ
महत्वपूर्ण रिपोर्ट केँ ठंढा बस्तामें राखि, ओहि पर किछु कार्रवाई नैं
केलक। बाद में आपदा के पुनरावृत्ति भेल, तें देहरादून स्थित वाडिया हिमालयन
भूगर्भ संस्थान सेहो जाँच करि केँ एक आओर रिपोर्ट सरकार केँ सौंपलक, मुदा
ओकरा पर सेहो किछु खास कदम नइ उठाउल गेल। केवल कांग्रेस सरकार केँ दोष देब
उचित नहि होयत, कारण कि ओकर बाद क अन्य सरकार सभ सेहो ओहि रिपोर्ट केँ
ध्यान में राखि कोनों ठोस कार्य नहि कएलक । परिणाम ई भेल जे जोशीमठ में
अंधाधुंध रूप सँ बहुमंजिला पक्का मकान केर अनियंत्रित निर्माणक विस्फोट भेल
आ ओकर परिणाम हम सभक समक्ष अछि।
उल्लेखनीय छै कि जोशीमठ प्राचीन कालीन भूस्खलन के अस्थिर मलबा के ऊपर एक
असंतुलित सतह पर स्थित छै, जेकर ऊपर वजन के सीमित सीमा होबाक चाही । जँ ओ
भूखंड के वजन ओहि सीमासँ बेसी भ जाएत तँ ओकरा जमीन मे धँसै के संभावना बढ़ि
जाएत । जोशीमठ के संदर्भ में वैज्ञानिक मंतव्य अछि जी ओतए एतैक बेशी घर-बार
के अनियंत्रित निर्माण करलऽ गेलऽ छै जे सुरक्षित सीमा स॑ बहुत गुना अधिक छै
। एकर अलावा किछु पहाड़ी के ऊँच ढलान ओकरा औरो बेशी अस्थिर बना देल छै,
जेकरा प॑ अत्यधिक भार के कारण भूस्खलन-भूधसान के अत्यधिक संभावना भ गेल अछि
।

भारत-एशिया केरऽ ‘टेक्टरिक चट्टान’ केरऽ टक्कर के कारण बार-बार होवै वाला
भूकंपऽ स॑ ई दूनू आशंका कई गुना बढ़ि जाय छै । ई सब के संयुक्त परिणाम ई छै
कि जोशीमठ में भवन निर्माण के विस्फोट के कारण घर-आँगन में धसान आरू दरार भ
रहलऽ छै । संलग्न चित्र मे सेहो इएह बात देखाओल गेल अछि । इहो बुझाइत अछि
जे किछु घर मे दरार नीचाँ उतरि रहल अछि। लेखक ई कहे में संकोच नहिं करै छथि
जे एरोस्पेस व जैविक विज्ञान के वैज्ञानिक होवै के अतिरिक्त ओ भू-विज्ञान
में अनेकों शोध केने छथि व शोध-पत्र सेहो प्रकाशित केने छथि I
विगत में सभु राज्य सरकार एहि ठाम अनियंत्रित भवन निर्माण किए नहि
रोकलन्हि, ओ समझ सँ परे अछि। एहि शहर मे एकटा सीवरेज सिस्टम क निर्माण किएक
नहि कैल गेल, ओ बुझबा स परे अछि। सीवेज सिस्टम मात्र एक वार्ड मे स्थापित
अछि आ दोसर निर्माणाधीन अछि जेकर अत्यावधि परिचालन नहि भेल अछि । बाँकी सभु
वार्ड के दूषित जल (sewage) कतय जाइत अछि से ककरो ज्ञात नहि । हँ। कोनों
परिवार कहियो अपन-अपन सेप्टिक टैंक साफ नहि करय छथि I तँ ई प्रायः स्पष्ट
छै कि हर सेप्टिक टैंक स॑ दूषित जल के जमीन म॑ रिसाव होय रहलऽ छै आ संभवतः
ओ पानी भूस्खलन म॑ मदद क रहलऽ छै ।
जोशीमठ के भू-धसान पर राजनीति आ दोषारोपण
जोशीमठ के एक छोट जनमानस में बिना कोनो ठोस सबूत के एहो अवधारणा अछि जे ओ
भू-भाग के पाछू अनेकों किलोमीटर दूर बनि रहल जलविद्युत परियोजना के कारण ई
भू-धसान भ रहल छै । हुनका सब के ई बुझेवाए पडत जे एहि सीमावर्ती क्षेत्र
में वैज्ञानिक दृष्टि सँ संचालित सुरक्षित सड़क आ जन-विकास के परियोजना
अत्यावश्यक अछि I एहि मे किछु देशद्रोही लोकनि चीन या कम्युनिस्ट पार्टी के
समर्थक, भारत सरकार के विरुद्ध आंदोलन के समर्थन क रहल छथि I संभवतः ओ सब
नहि चाहैत छथि जे चीन के सीमा सँ लागल ई सीमावर्ती क्षेत्र के विकसित होवए
।
जल-विद्युत परियोजना कें जिम्मेदार ठहराबै कें एकटा आओर कारण छै I यहाँ
वर्ष 2006-07 म॑ ‘जेबी जल-विद्युत परियोजना' केरऽ कमीशन के किछु दिन बाद
भूस्खलन केरऽ घटना घटित होय गेलऽ छेलै । कतौ कतौ नया भूमिगत जल स्रोत आरू
प्रवाह स्वतः भ गेल छलै जेकरा आम लोकनि मीलों दूर जल बिजली परियोजना स॑ आवै
वाला बुझल, लेकिन एकर पुष्टि नहिं भ सकल अछि ।

ओ लोकनि ई बुझए में असमर्थ छथि जे नया जल श्रोत के कारण जोशीमठ के भूस्खलन
सेहो भ सकैछ I एहिठाम सँ ५ किलोमीटर दूर 'चाय गाँव' में सेहो भू-स्खलन व
नया जलश्रोत पाओल गेल अछि हालांकि तुलनात्मक रूप स बहुत कम I ओहि गाँव में
बहुत कम घर के निर्माण भेल छै जाहि सँ जमीन पर दवाब कम छैक I ई सभु सँ ई
कही सके छी जे कि एनटीपीसी के सुरंग जे 4 किलोमीटर दूर बनाओल जाय छै, जेकर
एखन तलक कमीशन सेहो नै भेल छै, जोशीमठ म॑ भ रहलऽ भूस्खलन लेली जिम्मेदार
नहिं बनाओल जा सकैछ । किछु भ्र्रान्त लोकनि द्वारा ई गलत धारणा ओहि लोकनि
में परोसल जा रहल अछि जे एनटीपीसी मे हाइड्रो पावर बनाबे क बौद्धिक क्षमता
नहि अछि, ओ केवल कोयला स बिजली पैदा करब जनैत अछि। दोसर दिस एनटीपीसी आ
सरकार एहि गलत धारणा के सक्षमता सँ खंडन करबा मे सेहो असमर्थ बुझाइत अछि।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तुरंत प्रभावित क्षेत्र के दौरा केलनि, जनता सं
बात केलनि, एक समिति के गठन केलनि आ सरकार तीन तरहक मुआवजा के प्रस्ताव
रखने रहथि : -
• एक घर निर्माण ल एकमुश्त मुआवजा
• एक सुरक्षित स्थान पर जमीन के बदला में जमीन
• सरकारी पीडब्ल्यूडी घर बनेबाक प्रस्ताव
ई तीनू विकल्प भूस्खलन सं प्रभावित लोकनि केँ देल गेल छल मुदा किछु लोकनि
एहि सं संतुष्ट नहि छलाह I हुनका सभकेँ बेसी जमीन आ मुआवजा चाही। सरकार
केरऽ कार्रवाई स॑ असंतुष्ट किछु लोकनि 'जोशिमथ लैंडफिलिंग संघर्ष समिति' के
गठन केलन्हि जेकर मुख्य मांग निम्नलिखित छै:-
• जिनकर घर नष्ट भ गेल अछि हुनका अधिकतम मुआवजा भेटबाक चाही।
• सरकार के प्रभावित लोक के बेशी जमीन देबाक चाही I
• वर्तमान समस्या सरकार के लापरवाही के कारण अछि, एहि लेल सरकार के एकर
जिम्मेदारी लेबय के चाही I
• अवैध आ अनियमित भवन निर्माण सँ संबंधित अधिकारी केँ बर्खास्त करय के चाही
I
• हुनका इहो चाही जे चमोली रेंज आ एनटीपीसी पावर प्रोजेक्ट मे जारी ट्रैफिक
बंद भ जाए I
• मोदी के विकास मॉडल हुनका पसंद नहि छनि जाहि में पहाड़ी दूर-दराज स्थान
में सड़क आओर बिजली पहुँचाओल जाइछ I
• ओ चाहैत छथि जे सरकार के हर समिति मे हुनका लोकनिक प्रतिनिधित्व होवए
चाही जिनकर सहमति सँ पहाड़ी क्षेत्र में नव-निर्माण व विकास के निर्णय लेल
जा सकए I
एहि सब के अतिरिक्त सेहो एहन-एहन मसला उठि रहल अछि जाहि सं ई स्पष्ट नहिं
अछि जे ओ लोकनि की चाहैत छथि I लगै छै कि किछु वामपंथी आरू बीजेपी के
राजनीतिक विरोधी भी संघर्ष समिति म॑ शामिल भ केँ अराजकता फैलाबे के प्रयत्न
क रहल अछि । हुनकऽ ध्येय जोशीमठ के भूस्खलन स॑ प्रभावित लोकनि केँ सहायता
पहुचवाईक नै छै बल्कि मोदी सरकार केँ कठघरा में आनैक रहै । ई तँ सर्व-विदित
अछि जे किछु लोकनि देश में अराजकतावादी गतिविधि सँ प्रेरित छथि जेना कि
सीएए, शाहीनबाग, किसान आ एग्निवर आन्दोलन रहन्हि । एहि सँ जोशीमठ आंदोलन
समिति कए सतर्क रहय पड़त। जोशीमठ नगर निगम के पार्षद स॑ बातचीत के दौरान ई
बात के खुलासा भेल कि सरकार पीड़ित के प्रति बहुत संवेदनशील छलन्हि आरू
अलग-अलग समिति पीड़ित लोकनि के पुनर्वास के पुरजोर प्रयत्न केलन्हि ।
वैज्ञानिक जाँच रिपोर्ट
अन्यान्य आठ संस्था सँ वैज्ञानिक जाँच रिपोर्ट सरकार केँ देल गेल जेकरा पर
उत्तराखंड उच्च न्यायालय संज्ञान लेलन्हि I मोटा-मोटी ई तय भेल जे :-
• चमोली जिला के जोशीमठ व अन्यान्य शहर में भू-धसान के प्रबल समस्या अछि I
• भारत के भूगर्भ वैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) के अनुसार मात्र जोशीमठ में ८१
भूगर्भ दरार अछि जाहि में ४२ नवीन अछि I भूकंप सँ ई दरार के चौड़ा होवै के
संभावना अछि जाहि सँ पुनः भू-धसान भ सकैछ I
• जोशीमठ भू-धसान में NTPC के हाइड्रो-इलेक्ट्रिक प्र्रोजेक्ट के कोनों दोष
नहिं अछि I
• दरार मुख्य रूप स घना आबादी वाला क्षेत्र मे प्रकट भेल अछि I एहन घना
आवादी के रोके पडत I
• केंद्रीय भूजल बोर्ड आरू नेशनल जियोफिजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (NGRI)
रिपोर्ट सँ पता चललै कि मारवारी म॑ जेपी कॉलोनी के पास बहय वाला नाला घन
आबादी वाला क्षेत्र के नीचाँ भूगर्भ में 18-48 मीटर गहरा अछि जेकरा भू-धसान
स सीधा संबंध भ सकैत अछि ।
• जेपी कॉलोनी म॑ जल श्राव केँ NTPC के तोपवन-विष्णुगढ़ जलविद्युत परियोजना
के सुरंग स॑ कोनो संबंध नै छै ।
सारांश
राज्य व केंद्र सरकार उत्तराखंड के जोशीमठ आपदा में व्यथित जनसमुदाय केँ
पर्याप्त राहत देबाक प्रयास केलन्हि, मुदा पीड़ित लोकनिक मानवीय पहलू पर
सेहो ध्यान देबय के आवश्यकता अछि । एहि लेल हुनकर शारीरिक, मानसिक आ
बौद्धिक सहायता आ हुनकर व्यवसाय आ रोजी-रोटी के सेहो देखए के आवश्यकता अछि
जाहि सं हुनकर परिवार के नुकसान के यथासंभव भरपाई व समाधान भ सकै I ई राहत
के बात रहै कि स्थानीय 'सिटी काउंसिल' सँ मानवीय व वित्तीय सहायता मिलला के
बाद बहुत हद तक पीड़ित लोकनि के स्थिति बदलल I बंद स्कूल-कॉलेज क॑ फेर स॑
शुरू कएल गेल ताकि छात्रऽ के शिक्षा म॑ कोनो तरह के बाधा नै आबै । पर्यटन
पुनः शुरू भेल आ जीवन-यापन सेहो I सम्प्रति जोशीमठ पुनः अपन पुरान दिनचर्या
पर लीन अछि किन्तु समस्या के कोनों स्थायी समाधान नहिं भेल छैक I
आठ अन्यनंय वैज्ञानिक संस्थान अपन-अपन रिपोर्ट सरकार के समर्पित केलन्हि
जेकर आंकलन उत्तराखंड उच्च न्यायालय में कएल गेल आ ओहि आधार पर किछु
अनुशंषा सेहो कएल गेल I ई संभावना सँ मुँह नहिं मोड़ि सकैत छी जे भविष्य में
सेहो भूकंप सँ उत्पन्न भयंकर भू-धसान व भू-स्खलन होवए I परमात्मा भारत के ई
भूखंड पर दयादृष्टि राखै I
-ग्रुप कॅप्टन (डॉ) वी एन झा; सेवा निवृत्त वायुसेना अधिकारी; मुख्य,
वायुसेना चिकित्सा अनुसन्धान; प्रोफेसर, विभागाध्यक्ष ओ स्नातकोत्तर
परीक्षक (RUGHS); वरिष्ठ वैज्ञानिक ‘F’ व सह निदेशक (डी आर डी ओ); सदस्य,
Institute of Defence Scientists & Tech (IDST).
अपन मंतव्य editorial.staff.videha@zohomail.in पर पठाउ।
