कुमार मनोज कश्यप
लघुकथा- साँझक भोर
घर मे आब अन्नक एकोटा दाना नहिं बाँचल छलै। पैंचो-उधार की आब केकरो केयो दैत छै? एकरा देबो करतै तs कोन आश पर? कतबो दँत-खिष्टी केलकै, पैरो-दाढ़ी पकड़लकै तैयो बनिया एको कनमा उधार दै लै तैयार नहिं भेलै। बेटा तs पूछ-अछारी कि फोनो-फान बन्न कs देने छै। तैयो आशक मारल पछिले महिना तs सूदि पर पाई लs कs बेटा-पुतोहू लsग गेल छलै। ओहू ठाम सs निराशे हाथ लगलै ...... ओकरो सभक अपने दुःखनामा! शरीर मे बुत्ता आब छै ने जे कोनो मेहनतो-मजूरी कs सकत। जखन जवान-जुहान के काज नै भेटै छै तखन एकरा सभके के पुछतै? तखन आब कोन उपाय? प्राण तs एतेक जल्दी निकलियो नहिं जाईत छै!
ओ उठल आ अलगनी पर सs कुर्ता उतारि ओकरा सुलटा कs पहिरय लागल। 'मर्र! कहाँ बिदा भs गेलै एक्के बेर?' कनियाँ अकचकाईत पुछलकै । 'देखै छियै कोनो जोगार। खाली पानि सs पेटक भुख कते दिन मानतै?' भहरल स्वर मे बजैत ओ घर सs बहरा गेल।
केयो समाद देलकै - बुधना के चौक पर सड़क पार करैत एकटा कार बला ठोकर मारि देलकै। लोक उठा-पुठा कs हॉस्पिटल लs गेलैयै। कनियाँ हाकरोस करैत, छाती पिटैत, खसैत-पड़ैत कहुना हॉस्पिटल पहुँचलै । भोर मे जा कs ओकरा होश एलै। आँखिक सामने कनियाँ के देख कs स्फुट स्वर मे मुँह सs बहरेलै -'ओ गाड़ी बला किछु देबो केलकौ कि ओहिना पड़ा गेलै???'
-कुमार मनोज कश्यप, सम्प्रति: भारत सरकार के उप-सचिव, संपर्क: सी-11, टावर-4, टाइप-5, किदवई नगर पूर्व (दिल्ली हाट के सामने), नई दिल्ली-110023 , # 9810811850 , ईमेल: writetokmanoj@gmail.com
अपन मंतव्य editorial.staff.videha@gmail.com पर पठाउ।