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कल्पना झा- मैथिली साहित्यमे उपेन्द्र नाथ झा 'व्यास' एवं हुनक परिवारक योगदान -19

कल्पना झा

मैथिली साहित्यमे उपेन्द्र नाथ झा 'व्यास' एवं हुनक परिवारक योगदान -19

नेना-भुटका लेल अनमोल उपहार: अक्षर परिचय

"अक्षर परिचय" पोथी जखन-जखन हाथ मे लैत छी, बहुत किछु चलए लागैत अछि दिमाग मे। "सन्यासी, "श्रीमद्भगवद्गीता, "मैथिली महाभारत" सन पोथीक रचयिता "अक्षर परिचय" पोथी मे ककहारा लिखलनि अछि। ओहिना नहि अद्भुत व्यक्तित्व कहैत छिअनि हम, कि समाज। एहन सर्वतोमुखी योग्यता सभक भीतर थोड़बे ने भ' सकैत छनि।

"मैथिली साहित्यमे उपेन्द्र नाथ झा 'व्यास' एवं हुनक परिवारक योगदान" पर लेख सभ लिखबाक क्रम मे एखनहि हमरा पता लागल जे "अक्षर परिचय" पोथी मे संलग्न कविता 'अटकन मटकन खेल खेलाउ, आम बीछि गाछीसँ लाउ" बहुत दिन पहिनहि लिखल छलनि। प्रायः विवाह-पूर्वहि। एकदम ठीक-ठीक तँ कहब कठिन छनि घरक सदस्यो सभ लेल। मुदा एतबा पता लागल गप्पक क्रम मे जे 'व्यास' जीक बालक श्री सत्येन्द्र कुमार झा, जनिक जन्म सन् 1958क छनि, से जखन चारि-पाँच बरखक भेलाह, तखनहि सँ हुनका कंठाग्र छनि "अटकन मटकन खेल खेलाउ, आम बीछि गाछीसँ लाउ।" जेना मिथिलाक धिया-पूता के बाल्यकालहि सँ कंठाग्र कराओल जाइत रहल अछि, "सा ते भवतु सुप्रीता देवी शिखरवासिनी उग्रेण तपसा लब्धो यया पशुपतिः पतिः।" तहिना 'व्यास' जी अन्यान्य श्लोक सभक संग "अटकन मटकन खेल खेलाउ, आम बीछि गाछीसँ लाउ" कंठाग्र करवा देने छलथिन। एहि प्रसंग सँ सिद्ध होइत अछि जे ई रचना सन् 1962-63 सँ पहिने तँ निश्चित लिखल जा चुकल छलनि। मुदा प्रकाशित बहुत बाद मे करबाओल गेल। एहि पोथीक जे प्रति हमरा लग अछि, तकर प्रकाशन वर्ष 1988 लिखल अछि। ई दोसर संस्करण अछि। प्रथम संस्करण 1984 मे प्रकाशित भेल छलनि, एहन सुनल अछि। प्रथम संस्करणक साल एहि पोथी मे लिखल नहि अछि कत्तहु।

 

"अक्षर परिचय" मैथिली साहित्य मे 'व्यास' जीक एकटा एहन योगदान छनि जे देखबा मे छोट-छिन छनि मुदा ओकर प्रभाव आ चर्चा, बड़का-बड़का काज सँ बेसी रहलनि, से कहल जा सकैछ। कतेक लोक करें तँ कंठस्थ हेतनि 'व्यास' जीक ई सुप्रसिद्ध कविता। कारण, गेय रहने कंठस्थ करब बहुते सहज छै। मात्र चौबीस पन्नाक बाल-पोथी 'अक्षर-परिचय' भले ही 'व्यास' जी रचित सभ सँ पातर, सभ सँ कम पन्नाक पोथी छनि मुदा छनि बेस महत्वपूर्ण। नेना-भुटका लेल ई पोथी अनमोल उपहारे बुझू। आ सभ सँ महत्वपूर्ण बात जे एहि तरहक पोथी (नेना सभ केँ अक्षर सँ परिचय कराबैत) एहि सँ पहिने तँ नहिए छलए, मैथिली मे। आ एकर बादो प्रायः एहि तरहक किछु लिखल नहि गेल अछि। ओना भ' सकैए प्रकाशित भेल हुअए आ हमरा जनतब मे नहि आएल हुअए। "अक्षर परिचय" पोथी मे नेना सभ लेल सभ किछु अछि। अक्षर सँ परिचित करबैत, शब्द आ छोट-छोट वाक्य धरि पढ़ब-लिखब सिखबैत सन। जँ एहि पोथी केँ नीक, चिक्कन कागज पर, सुन्दर-सुन्दर चित्रक संग पुनः प्रकाशित करबाओल जाए तँ ई पोथी नेना सभ केँ बहुत आकर्षित करतनि। आ घर-घर राखल जाएत, से विश्वास अछि। एहि दिस ध्यान देथि 'व्यास' जीक संतति आ प्रकाशक लोकनि तँ माँ मैथिलीक प्रति बड़का उपकार होइतनि।

आब कने गप्प क' लैत छी "अक्षर परिचय" पोथीक भीतरक कंटेंट केर। नेना सभ लेल पोथीक सृजन करैत बहुत बातक ध्यान राखब आवश्यक रहैत छै। बाल-कविता, बाल-कथा, किंवा कोनो विधाक बाल-साहित्यक रचना करैत रचनाकार केँ ध्यान राखबाक चाही जे ओ बाल-साहित्यक पोथी एहन हुअए जे एकटा नेनाक शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक विकासक लेल 'टॉनिक'क काज करए। एकटा नेनाक मोन मे शिक्षाक प्रति रुचि बढ़एबाक काज करए ओ पोथी। संगहि नेनाक मोन मे जिज्ञासा जगएबाक काज सेहो करए। आ मनोरंजक तँ सहजहि हेबाके चाही। मनोरंजक रहतैक तखनहि ने रुचि सँ पढ़त नेना सभ आ रुचि सँ पढ़त तँ स्वत: बेर-बेर पढ़ए चाहत। अपन संगी-साथी के सेहो पढ़ि क' सुनाओत, पोथी देखाओत सभ केँ। माने अपना रुचिगर लगतनि तँ सहजहि ओ दोसरो लेल रुचि जगएबाक आग्रही बनत। से सभटा बातक ध्यान राखल गेल अछि एहि पातर-छितर पोथीक सृजन करैत। बाल-पोथी सभ मे भाषाक सहजता पर विशेष ध्यान देब सेहो आवश्यक रहैत छै। आ से 'व्यास' जी ततेक ध्यान रखलनि अछि जे नेना सभक लेल लिखल गेल एहि पोथी में कतहु संयुक्ताक्षर नहि भेटत। "अटकन मटकन खेल खेलाउ" नेना सभ लेल लिखल गेल एकटा एहन कविता अछि, जकरा पढ़ैत नेना तँ नेना, नेनाक माएओ-बाप प्रफुल्लित भ' जाइथ। तेहन प्रवाह छनि 'व्यास' जीक लिखल एहि बाल-कविता मे। ई प्रवाह बाल-कविताक लेल सभ सँ आवश्यक तत्व अछि। कविता छन्दयुक्त हुअए किंवा छन्दमुक्त, प्रवाहयुक्त तँ हेबाके चाही ने ! आ प्रवहमान रहने नेना-भुटकाक ठोर पर सहजता सँ चढ़ि जाइत छै कविता। दीर्घावधि धरि कंठस्थ सेहो रहैत छै पढ़ल गेल कविता। से नेनाक लेल लिखल जाए कि चेतन लेल। एम्हरे एकटा बाल-कविता-संग्रहक भूमिका मे केदार कानन जीक लिखल भूमिका पढ़लहुँ। से हुनकर कहल बात हमरा बेसी काल मोन पड़ैत रहैए। ओ कहलनि अछि, "पाँती के तोड़ि तोड़ि लिखि देब कविता नहि भ' सकैत अछि, से गुणीजन लोकनि जनैत छथि। कविता कठिन साधना थिक।" आ से साधक छलाह 'व्यास' जी। छन्द पर नीक पकड़ छलनि 'व्यास' जीक। हमरा हिसाब सँ 'व्यास' जीक बाल-कविता 'अटकन-मटकन खेल खेलाउ' के कालजयी रचना कहल जा सकैछ। आ तैँ ओहि कविता के हम हू-ब-हू एहि ठाम संलग्न करए चाहब।

--अटकन-मटकन खेल खेलाउ
--आम बीछि गाछीसँ लाउ
--इचना माँछक साना होइछ
--ईटासँ घर महल बनैछ
--उचकुनकेँ चुल्हा पर देखू
--ऊसर खेतमे गोबर फेकू
-ऋषिमुनि सबहिक फूट समाज
लृ--लृ-लृ सँ कोनो ने काज
--एक पहिल गिनतीकेँ मानू
--ऐना एक कतहुसँ आनू
-ओल बहुत कबकब अछि भाइ
--औँटल पानि बहुत सुखदाइ
अं--अंगा हमर छोट भय गेल
अः--अः धन हमर चोर लय गेल

--ककबासँ अहँ सिटू केस
--खटरलालकेँ लगलनि ठेस
--गदहा होइयै पशुमे बूड़ि
--घड़ी अधिक छूनहिसँ दूरि

--चलू सभहि मिलि देखू नाच
--छओ पैसामे किनलहुँ साँच
--जलमे बहुतो जीव रहैछ
--झट द' करब नीक नहिँ होइछ

--टटका जलसँ खूब नहाउ
--ठकक संगमे पड़ी ने बाउ
--डमरू डिमडिम बजबी आनि
-- ढकर--ढकर नहि पीबी पानि

--तरबामे नहि होइए केश
--थरथर काँपथि डरें धनेश
--दही-चुड़ामे गारू आम
--धनधन छला भरत ओ राम
--नरक जाएब जँ करबे पाप

-- पड़ा--पड़ा कटतौ ओ साप
--फटक लगा क' बाहर भेल
--बड़द केँ चरब' लए गेल
--भरत नाम पर अछि ई देश
--महाराज कहबथि मिथिलेश

--यश भगवानक अपरंपार
--रमा संगमे करथि विहार
--ललका धोती पहिरू बाउ
--वनमे एसगर अहाँ ने जाउ
--शठ रावणकेँ मारल राम
--षड्मुख सुर-सेनापति नाम
--सभसँ पैघ थिका भगवान
--हम सभ करी हुनक गुणगान
क्ष--क्षत्रिय ऊपर रक्षाक भार
त्र-ज्ञ-- त्र-ज्ञ पढ़ि बस अक्षर पार

एहि गेय कविताक अतिरिक्त एहि पोथी मे अछि नेना सभ लेल देल गेल अक्षर चिन्हबाक टास्क, दू पन्ना मे। तकर बादक छओ पन्ना मे अछि पढ़बाक अभ्यास लेल छोट-छोट शब्द सभ। '' स सँ ल' ' 'अ:' धरिक मात्रा सँ युक्त शब्द सभ। तकर बाद ककहारा आ तकर बाद पाठ एक सँ ल' ' एगारह धरि छोट-छोट वाक्य बला, छोट-छोट अध्याय सभ। आ सभ सँ अन्त मे भगवानक विनती। एहि पोथीक विषय मे एतेक विस्तार सँ चर्चा करबाक पाछाँ कारण ई अछि जे बेसी-सँ-बेसी लोक केँ एहि पोथीक विस्तृत जनतब होइन। आ एकर उपयोगिता बुझथि सभ। घर-घर राखल जाए ई महत्वपूर्ण पोथी। अन्त मे एहि पोथी "अक्षर परिचय" मे संलग्न आठ पाँतिक विनती सेहो टिपिए दैत छी। बहुत नीक विनती अछि। देखल जाए नेना सभ लेल सरल भाषा मे लिखल गेल 'विनती' --

जय भगवान जय भगवान ।
हम सभ करी अहँक गुणगान ।।
अहिँक रचल अछि ई संसार ।
जल थल नभक अहीँ आधार ।।
माता पिता मित्र अरु भाए ।
सतत रहू अहाँ हमर सहाय ।।
ईश हमर अवगुण हरि लेब ।
विनती करी, नीक मति देब ।।

कतेक नीक विनती छै ने ! एहन विनती पढ़ैत जे बच्चा नमहर होएत, भगवान वास्तव मे हुनका नीक मति देबे करथिन!

संपादकीय सूचना- एहि सिरीजक पुरान क्रम एहि लिंकपर जा कऽ पढ़ि सकैत छी-

मैथिली साहित्यमे उपेन्द्र नाथ झा 'व्यास' एवं हुनक परिवारक योगदान-1

मैथिली साहित्यमे उपेन्द्र नाथ झा 'व्यास' एवं हुनक परिवारक योगदान-2

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