प्रणव कुमार झा
भारत मे क्रिटिकल केयर कार्यबल: एनबीईएमएस के भूमिका आ भविष्य
भारत में हालफिलहाल के वर्ष में गहन चिकित्सा इकाई (आईसीयू) सुविधा आ क्रिटिकल केयर बेड के संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि भेल अछि। ई प्रक्रिया निरंतर चलि रहल अछि। उच्च गुणवत्ता वला गहन चिकित्सा, कुशल इंटेन्सिविस्ट, नर्स, आ सहायक कर्मचारी पर निर्भर करैत अछि। आब आईसीयू बेड के भौतिक विस्तारक संग क्रिटिकल केयर कार्यबल के तेजी से विकास सेहो महत्वपूर्ण बनि गेल अछि। भारत मे रोगी के बोझ के देखैत, नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन्स इन मेडिकल साइन्सेस (एनबीईएमएस) चिकित्सा के क्षेत्र में विशेषज्ञ प्रशिक्षण, जेना कि स्किल एन्हान्समेंट फेलोशिप (एफएनबी), के लेल सतत प्रयास कऽ रहल अछि। दुर्भाग्य संऽ आजुक सामय मे विश्व के सबसे बेसी प्रदूषित शहरक लिस्ट मे भारतक शहर सब टॉप पोजीशन पर लाइन से ठाढ़ भेल अछि, एत्त तक की उत्तर भारत के गाम सब सेहो वायु आ जल प्रदूषण के विषाक्तता से बांचल नहि रहल अछि। हद संऽ बेसी बढ़ल वायु आ जल प्रदूषण के कारण श्वसन संबंधी रोग भारत में प्रमुख स्वास्थ्य खतरा मे से एकटा बानि गेल अछि । ताहि लेल श्वसन चिकित्सा आ संबंधित विशेषज्ञता (जेना, तपेदिक आ छाती रोग) क्रिटिकल केयर प्रशिक्षण के लेल एकटा बृहद पूल बनबैत अछि। समूचा देश में दर्जनों मेडिकल कॉलेज श्वसन चिकित्सा में एमडी अथवा डिप्लोमा कार्यक्रम प्रदान करैत अछि, जे प्रत्येक साल सैकड़ों छाती रोग विशेषज्ञ पैदा करैत अछि (उदाहरण लेल, 2024 में “ट्यूबरकुलोसिस एंड चेस्ट डिजीज” में 710 पोस्ट-ग्रेजुएट सीट सूचीबद्ध छल)। अस्थमा, सीओपीडी, टीबी आ अन्य श्वसन रोग के उच्च प्रसार ई बात के प्रतिबिम्बित करैत अछि। श्वसन आ छाती चिकित्सा के बहुत रास स्नातकोत्तर विशेषज्ञ, संगहि एनेस्थेसियोलॉजी आ आंतरिक चिकित्सा के स्नातकोत्तर, प्रायः आईसीयू में काज करैत छथि अथवा क्रिटिकल केयर के क्षेत्र में आगू विशिष्ट प्रशिक्षण लैत छथि। मुदा हाल धरि, ई पूल के औपचारिक रूप से प्रशिक्षित इंटेन्सिविस्ट में परिवर्तित करबाक लेल कोनो समर्पित क्रिटिकल केयर सुपर-स्पेशलिटी पाइपलाइन नहि छल। एनबीईएमएस ई रिक्तता के भरबाक लेल कदम उठौने अछि। 1.46 अरब जनसंख्या लेल सुलभ, गुणवत्तापूर्ण क्रिटिकल केयर सुनिश्चित करबाक लेल आ की की जरूरत अछि एकरा लेल, विशेष रूप से बृहद कॉरपोरेट अस्पताल आ विशेषता केंद्र, के डीएनबी क्रिटिकल केयर के प्रशिक्षण स्थल के रूप में चिन्हित कय मान्यता प्रदान कैल जा रहल अछि।
एनबीईएमएस भारत में क्रिटिकल केयर प्रशिक्षण के क्षेत्र में एकटा महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहल अछि। मेडिकल काउन्सिल ऑफ इंडिया (जे आब एनएमसी के रूप में जानल जाइत अछि) 2010-2012 में क्रिटिकल केयर मेडिसिन (सीसीएम) के एकटा अलग सुपर-स्पेशलिटी के रूप में मान्यता देने छल, मुदा सरकारी मेडिकल कॉलेज में डीएम क्रिटिकल केयर सीट के संख्या सीमित रहल। एनबीईएमएस डीआरएनबी (डोक्टोरेट ऑफ नेशनल बोर्ड) कार्यक्रम के माध्यम से क्रिटिकल केयर प्रशिक्षण के व्यापक स्तर पर विस्तार कऽ रहल अछि। वर्तमान में, लगभग 90% क्रिटिकल केयर विशेषज्ञ प्रशिक्षण सीट एनबीईएमएस के अंतर्गत अछि, जखनकि पारंपरिक विश्वविद्यालय डीएम कार्यक्रम के तहत केवल एकटा छोट हिस्सा तैयार भऽ रहल अछि। ई स्पष्ट रूप से देखबा मे आबैत अछि कि एनबीईएमएस भारत में लगभग बहुतायत क्रिटिकल केयर प्रशिक्षण के नेतृत्व कऽ रहल अछि।
विशेष रूप से, एनबीईएमएस के बहुत रास प्रशिक्षण कार्यक्रम निजी अस्पताल आ समर्पित क्रिटिकल केयर केंद्र में आधारित अछि। अन्य विशेषज्ञता जे प्रायः सरकारी मेडिकल कॉलेज में पढ़ायल जाइत अछि के उलट क्रिटिकल केयर प्रशिक्षण में निजी क्षेत्र में तेजी से विस्तार भेल अछि। एनबीईएमएस निजी क्षेत्र के सक्षम आईसीयू के 3-वर्षीय डीएनबी क्रिटिकल केयर रेजिडेंसी चलाबै लेल मान्यता दऽ रहल अछि। डीआरएनबी क्रिटिकल केयर मेडिसिन के लेल पात्रता में जनरल मेडिसिन, पेडियाट्रिक्स, श्वसन चिकित्सा, एनेस्थेसिया, आ इमरजेंसी मेडिसिन में एमडी/डीएनबी शामिल अछि। वर्तमान में, 211 अस्पताल में 551 डीआरएनबी सीसीएम सीट एनबीईएमएस द्वारा मान्यता प्राप्त अछि। अगला कदम इंटरवेंशनल पल्मोनोलॉजी में एफएनबी आ डीआरएनबी पल्मोनरी मेडिसिन के पाठ्यक्रम शुरू करब अछि। निजी क्रिटिकल केयर केंद्र के सहभागिता सऽ ट्रेनी के उच्च-तीव्रता बला आईसीयू, आधुनिक उपकरण, आ रोगी के उच्च केस लोड के अनुभव प्राप्त भऽ रहल अछि। कुल मिला कऽ कहल जा सकय अछि जे भारत में अखन 10 मे से 9 नव प्रशिक्षित इंटेन्सिविस्ट एनबीईएमएस कार्यक्रम के उत्पाद अछि। ई भारत के विशेषज्ञ प्रशिक्षण के आवश्यकता के समाधान में एनबीईएमएस के महत्वपूर्ण योगदान के प्रमाण अछि।
कोविड-19 महामारी भारत के लेल एकटा कठिन परीक्षा के समय छल, जे क्रिटिकल केयर संसाधन आ विशेषज्ञ जनशक्ति के तीव्र कमी के पोल खोलि सभके सामने आनलक। ई संकट आपदा मे अवसर के रूप मे सरकार, एनबीईएमएस, पेशेवर सोसाइटी, आ निजी स्वास्थ्य सेवा प्रदाता के बीच सहयोग के उत्प्रेरक बनल छल। एनबीईएमएस आ निजी अस्पताल एकटा रिकॉर्ड समय में विशेषज्ञ के प्रशिक्षण आ तैनाती के विस्तारक लेल संयुक्त रूप से काज कएलक। उदाहरण के लेल, बहुत रास निजी अस्पताल कोविड निदान लेल समर्पित क्रिटिकल केयर केंद्र के रूप में शामिल कएल गेल छल। ऐ अस्पताल में से बहुत रास पहिनेहे से एनबीईएमएस प्रशिक्षण कार्यक्रम के आयोजन करैत छल, जाहि सऽ वरिष्ठ रेजिडेंट आ हाल में योग्य डीएनबी इंटेन्सिविस्ट महामारी के पीक के दौरान अग्रिम पंक्ति के कार्यबल बनि काज केने छल।
महामारी के दौरान किछू नवाचारपूर्ण स्टॉपगैप प्रशिक्षणक उपाय सेहो शुरू कएल गेल छल। औपचारिक रूप से प्रशिक्षित इंटेन्सिविस्ट के सीमित उपलब्धता के देखैत, किछू राज्य गैर-आईसीयू डॉक्टर के अपस्किलिंग शुरू कएने छल। उदाहरण के लेल, केरल में 300 से बेसी गैर-आईसीयू डॉक्टर आ 180 नर्स के संकट के दौरान आईसीयू में कर्मचारी के रूप में मदद करबाक लेल संक्षिप्त क्रिटिकल केयर प्रशिक्षण देल गेल छल। तहिना, स्वास्थ्य मंत्रालय आ एम्स ऑनलाइन क्रैश कोर्स शुरू कएलक, जे कोनो इच्छुक डॉक्टर के लेल आईसीयू प्रबंधन पर केंद्रित छल। ई प्रयास, यद्यपि पूर्ण विशेषज्ञ प्रशिक्षण के विकल्प नहि छल, तथापि क्षेत्र में इंटेन्सिविस्ट के अभाव में क्रिटिकल केयर के विस्तार के लेल महत्वपूर्ण छल। ई लचीला, स्तरीय प्रशिक्षण मॉडल भविष्य के आवश्यकता के लेल संस्थागत कएल जा सकैत अछि।
निजी क्षेत्र के सहभागिता अन्य तरीका से अपरिहार्य साबित भेल। भारत में अधिकांश स्वास्थ्य सेवा (65%-75% से अधिक) निजी अस्पताल प्रदान करैत अछि, आ कोविड के पहिल लहर के समय अधिकांश मौजूदा आईसीयू बुनियादी ढांचा ओकरे लग छल। पहिल लहर में, किछु राज्य निजी अस्पताल के एकीकरण में संघर्ष कएलक, मुदा किछु अन्य राज्य ऐ मे सफल भेल। उदाहरण के लेल, ओडिशा राज्य निजी अस्पताल के साथ साझेदारी में 17 कोविड-समर्पित अस्पताल स्थापित कएलक, जे सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल पर आधारित छल। सरकार ई अस्पताल के भुगतान कएलक ताकि आईसीयू बेड कोनो बेगरता बाला रोगी के लेल उपलब्ध होय, चाहे फीस जे होय। ई पीपीपी मॉडल क्रिटिकल केयर क्षमता के तेजी से वृद्धि कएलक। कोविड-19 से मुख्य सबक ई अछि कि सभटा उपलब्ध संसाधन के ओप्टिमम उपयोग होय विशेष रूप से सार्वजनिक-निजी सहयोग के माध्यम संऽ। ई क्रिटिकल केयर सेवा के विस्तार के गति के बहुत तेज कऽ सकैत अछि।
गुणवत्ता आ पहुँच सुनिश्चित करब में चुनौती
निजी आ सार्वजनिक संस्थान के माध्यम से तेजी से विस्तार पर गुणवत्ता आ निगरानी के एकरूपता बनौने रखनाइ एकटा चुनौती अछि। जेना-जेना भारत एनबीईएमएस आ अन्य मार्ग से बेसी इंटेन्सिविस्ट पैदा करत, तहिना सुनिश्चित करब जरूरी अछि कि ई विशेषज्ञ सभ उच्च मानक के पूर्ण करैत छथि। गुणवत्ता आ सुलभ क्रिटिकल केयर पर निरंतर ध्यान देबाक आवश्यकता अछि।
मान्यता आ निगरानी: एनबीईएमएस-मान्यता प्राप्त अस्पताल के विविध समूह में प्रशिक्षण गुणवत्ता के मानकीकरण लेल मजबूत निगरानी तंत्र के आवश्यकता अछि। एनबीईएमएस लऽग एकटा पाठ्यक्रम आ मान्यता मानदंड अछि, मुदा प्रत्येक प्रशिक्षण केंद्र के पर्याप्त केस एक्सपोजर, संकाय, आ सुविधा प्रदान करब सुनिश्चित करबाक लेल निरंतर निगरानी आवश्यक अछि। समान रूप से, देश भरि के आईसीयू (सार्वजनिक आ निजी अस्पताल दूनू में) सामान्य गुणवत्ता मानक आ ऑडिट के अधीन होएबाक चाही।
प्रशिक्षण मानक: दूरस्थ निजी अस्पताल में क्रिटिकल केयर विशेषज्ञ प्रीमियर संस्थान में प्रशिक्षित विशेषज्ञ जकाँ सक्षम होबाक चाही। एनबीईएमएस द्वारा विकसित मानकीकृत पाठ्यक्रम आ परीक्षा प्रक्रिया मददगार अछि, मुदा एकरूप नैदानिक एक्सपोजर के सेहो आवश्यकता अछि। उच्च-कौशल केंद्र में रोटेशन, सिमुलेशन-आधारित प्रशिक्षण, संकाय विकास कार्यक्रम आदि प्रशिक्षण के एकरूप आ गुणवत्तापूर्ण बनेबा मे मदद कऽ सकैत अछि। विश्वविद्यालय (एमडी/डीएम) कार्यक्रम आ एनबीईएमएस कार्यक्रम के बीच संरेखण सुनिश्चित करबाक चाही कि सभ स्नातकोत्तर विशेषज्ञ समान योग्यता मानक के पूर्ण करैथ। निरंतर चिकित्सा शिक्षा आ पुनर्प्रमााणन सेहो कौशल के अद्यतन रखबा में मदद कऽ सकैत अछि।
निवेश: विशेषज्ञक संख्या आ आईसीयू क्षमता बढ़ाबै लेल अधिकाधिक निवेश के आवश्यकता अछि। नेशनल हेल्थ मिशन के लक्ष्य सुलभ, गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा के पहुँच सुधारब अछि, आ ऐ में स्पष्ट रूप से क्रिटिकल केयर शामिल होबाक चाही। एकरा प्रोत्साहन भेटबा के चाहि जे बेसी मेडिकल कॉलेज डीएम क्रिटिकल केयर कार्यक्रम शुरू करै आ राज्य अस्पताल प्रशिक्षित इंटेन्सिविस्ट के नियुक्त करै। नर्सिंग आ संबद्ध स्वास्थ्य प्रशिक्षण में निवेश सेहो समान रूप से महत्वपूर्ण अछि, कियाकि आईसीयू देखभाल एकटा टीम प्रयास से ही संभव अछि।
सेवा के वितरण: अखन तक, अधिकांश उन्नत क्रिटिकल केयर सुविधा (आ प्रशिक्षित विशेषज्ञ) शहरी केंद्र में केंद्रित अछि। शहरी-ग्रामीण अंतर के कम करब एकटा प्रमुख चुनौती अछि। एकरा लेल रचनात्मक समाधान, जेना कि विशेषज्ञ के उच्च-कौशल केंद्र में रोटेशन, टेली-आईसीयू नेटवर्क, आ मूल क्रिटिकल केयर प्रशिक्षण प्राप्त चिकित्सक द्वारा संचालित “स्टेप-डाउन” उच्च-निर्भरता इकाई के विकास, के आवश्यकता अछि।
संयुक्त मान्यता कार्यक्रम: एनबीईएमएस द्वारा 2023 में शुरू कएल गेल संयुक्त मान्यता कार्यक्रम के लग जिला स्तर पर प्रशिक्षित आ प्रशिक्षण के तहत विशेषज्ञ के उपलब्ध कराबै के बहुत संभावना अछि। ई चुनौती के समाधान लेल समन्वित नीति कार्रवाई के आवश्यकता अछि। प्रशिक्षण कार्यक्रम के तेजी से वृद्धि के साथ नियम के तालमेल राखब जरूरी अछि।
भारत के क्रिटिकल केयर प्रशिक्षण कार्यक्रम, मुख्य रूप से एनबीईएमएस द्वारा संचालित, विशेषज्ञ चिकित्सा कार्यबल के निर्माण में उल्लेखनीय प्रगति कएल अछि। 1.46 अरब जनसंख्या के बढ़ैत आईसीयू सेवा के मांग के साथ, ई प्रयास नियमित रूप से उन्नत आ भारत के आवश्यकता के अनुरूप बनायल जा रहल अछि।
1. निजी क्षेत्र के साथ साझेदारी: निजी क्षेत्र के गतिशीलता आ क्षमता, जखन सार्वजनिक स्वास्थ्य प्राथमिकता आ मानक द्वारा निर्देशित होय, तऽ क्रिटिकल केयर बुनियादी ढांचा आ मानव संसाधन में अंतर के कम करबा में मदद कऽ सकैत अछि।
2. टेली-आईसीयू विस्तार: मेट्रो अस्पताल में टेली-आईसीयू हब छोट शहर के आईसीयू के सहयोग कऽ सकैत अछि।
3. नर्सिंग प्रशिक्षण: नर्सिंग आ संबद्ध स्वास्थ्य प्रशिक्षण में निवेश बढ़ाबै के आवश्यकता अछि। योग्य विद्यार्थी सभ के सेहो करियर विकल्प के रूप मे ऐ क्षेत्र के अवसर के रूप मे देखबा के दरकार छैक। (विशेष जानकारी लेल पढु हमर ई लेख https://pranawjha.blogspot.com/2024/08/blog-post_14.html)
4. जिला स्तर पर सुविधा: जिला अस्पताल में आईसीयू इकाई स्थापित करब आ रेफरल लिंकेज सुधारब जरूरी अछि।
5. निरंतर निगरानी: मान्यता, संकाय योग्यता, आ परिणाम के आवधिक समीक्षा (जैसे, रोगी मृत्यु दर, आईसीयू में जटिलता दर) गुणवत्ता बनाए रखब में मदद कऽ सकैत अछि।
एनबीईएमएस के नेतृत्व में भारत के क्रिटिकल केयर प्रशिक्षण कार्यक्रम एकटा मजबूत नींव प्रदान कऽ रहल अछि। गुणवत्ता आ मात्रा के संतुलन बना के राखब आ सुलभ, उच्च-गुणवत्ता क्रिटिकल केयर सुनिश्चित करबा लेल रणनीतिक समर्थन के आवश्यकता अछि। ई सुनिश्चित करत कि भारत के 1.46 अरब जनता लेल विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्र में, क्रिटिकल केयर सेवा तक पहुँच प्राप्त करब स्वस्थ भारत के निर्माण में एकटा महत्वपूर्ण कदम होयत।
संदर्भ:
1. NBEJMS, प्रो० मीनू बाजपेयी, वाइस-प्रेसिडेंट, एनबीईएमएस
2. National Board of Examinations in Medical Sciences (NBEMS). “DrNB Critical Care Medicine Seats 2024.” उपलब्ध: [NBEMS Official Website].
3. Indian Society of Critical Care Medicine (ISCCM). “Guidelines for ICU Standards and Training.” उपलब्ध: [ISCCM Official Website].
4. Ministry of Health and Family Welfare, Government of India. “COVID-19 Response and Training Initiatives.” उपलब्ध: [MoHFW Official Website].
5. World Health Organization. “India’s Health Workforce: Challenges and Opportunities.” उपलब्ध: [WHO Official Website].
6. “Public-Private Partnerships in Healthcare: Lessons from COVID-19.” The Lancet, 2021.
7. National Health Mission. “Framework for Affordable Healthcare.” उपलब्ध: [NHM Official Website].
-प्रणव कुमार झा, राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड, नई दिल्ली
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