प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका

विदेह नूतन अंक
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कुमार मनोज कश्यप

१ टा लघुकथा

ढ़ीठ

ट्रेन खुजिते स्टेशन पर भीड़ खतम हुअs लागल छलै। एकटा महिला अपन नेना के कोरा मे लेने सुगा-मेना बना घुमा-घुमा कs खोएबाक यत्न कs रहल छलीह। मुदा नेना छलै कि खेबा लेल किन्नहुँ तैयार नहिं....   मुँहे छीप लै ... आ कोरा सँ उतरबाक हेतु प्रयासरत! खोएबाक प्रयास मे असफल भेला पर स्त्री के चेहरा पर कखनो-कखनो तामसक रेख बिजलौका जकाँ चमकि जाई; मुदा क्षणे मे विलोपित सेहो भ' जाई। ओ ओकरा नव-वस्तु वा लोक के देखा-देखा पोल्हबै जे कहुना एको-दू कौर आर खा लै। सफलता-असफलता के ई खेल चलिते छलै कि सहसा मैल सs कारी चिक्कट भेल अर्धनग्न देह, जाड़ सs दाँत कटकटबैत, बेर-बेर खसैत पोंटा सुड़कैत एकटा पाँच-छौ साल के छौंड़ा याचना मे आँजुर जोड़ने ओहि स्त्री के बाट छेकि लेलकै। "हट्ट .......कल्लर!!! केहन ढ़ीठ लगा कs ठाढ़ अछि! सपरतीभ ने देखियौ! भागै छैं कि नहिं ....... एखने लतिया देबौ। छुतहर नहिं तन!!  माय-बाप जनमा कs छोड़ि देलकनिहैं भीख माँगै लै। जो जे जनमेलकौ तकरे खो गs ..." स्त्री तामसे बजैत रहलीह। मुदा ओ छौंड़ा ओहिना निर्विकार याचना मे ठाढ़।

"मम्मी! हमरा भूख नै अछि तैयो आहाँ मुँह मे ठुसै छी। ओ खाई लै माँगैयै तैयो ओकरा नै दै छियै?'  नेनाक प्रतिवाद सुनि कुपित ओ स्त्री    'हुँह .........!!! ' कहैत नेना के कोर सs एक कात उतारि बाटी मे बाँचल सामग्री रेलक पटरी पर फेकs लागल रहथि।

ओ छौंड़ा एखनो ओहिना एक टक बाटिये दिस देखि रहल छल।

 

-कुमार मनोज कश्यप, सम्प्रति: भारत सरकार के उप-सचिव, संपर्क: सी-11, टावर-4, टाइप-5, किदवई नगर पूर्व (दिल्ली हाट के सामने), नई दिल्ली-110023 मो. 9810811850 / 8178216239 ई-मेल : writetokmanoj@gmail.com 

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