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रमाकर चौधरी, सेवानिवृत्त चीफ मैनेजर, भारतीय स्टेट बैंक

किडनी आ ओकर संबंधित बीमारी/ किडनी बीमारी संबंधित अन्य आवश्यक बात/ किडनी सम्बन्धित बीमारी हेतु उपचार/ लिवर (यकृत) / जिगर/ लिवर बीमारीक सुरक्षा, ओकर जांच आ उपचार/ हृदय(Heart)/ हृदयक वाह्य संरचना/ हृदयक आंतरिक संरचना/ हृदय मे अवस्थित वाल्व(वाल्व)/ हृदय सँ सम्बन्धित बीमारी(अस्थिर एनजाइना)- हृदय सँ सम्बन्धित किछु सामान्य बीमारी आ बीमारी चिनहैक लेल अनेकानेक परीक्षण


किडनी आ ओकर संबंधित बीमारी

पाचन तंत्र मे किडनीक भूमिका अति महत्वपूर्ण होइत अछि। आइ काल्हि देखि रहल छी जे अधिकांश लोक किडनी सम्बंधित बीमारी सँ ग्रसित भ जाइत छथि। हम किडनी आ ओहि सँ सम्बंधित बीमारी आ ओकर सुरक्षा आ उपचार विषय मे चर्चा कय रहल छी।
किडनीक भूमिका शरीर मे उपस्थित लवण, पोटासियम, फॉस्फोरस इत्यादि कें नियंत्रित करै मे मुख्य अछि।
किडनिक बीमारी अहाँक खाइ-पिबैक आदैत , जीवन चर्या, आ वंशानुगत कारक इत्यादि कारण सँ होइत अछि।
किडनी जोड़ा मे होइत अछि, ठीक पाँजारक निच्चा मे। ओकर आकार मुट्ठी जकाँ होइत अछि। ओ मेरुदंडक
दुनू भाग मे रहैत अछि । एक टा एक भाग आ दोसर दोसर भाग मे।
किडनी स्वस्थ रहैक लेल परम आवश्यक अंग होइत अछि। ओ रक्त के छानि शुद्ध करैत अछि। रक्त मे अवस्थित विषाक्त पदार्थ, व्यर्थ पदार्थ या अन्य सब दोषपूर्ण पदार्थ के छानि कें हटा दैत अछि। ई व्यर्थ पदार्थ सब थैली मे जमा भ जाइत अछि आ ओ पेशाव माध्यम सँ वाहर निकैल जाइत अछि।
किडनी शरीरक पीएच(PH) नियंत्रित करैत अछि, ओ एक तरहक हॉर्मोन श्रावित करैत अछि जे रक्त चाप नियंत्रित करैत अछि, रक्त कोशिका निर्माणक प्रक्रिया मे सेहो किडनिक भूमिका अछि आ ओ एक तरहक
विटामिन डी कें सक्रिय करैत अछि जे आँत द्वारा कैल्शियम अवशोषण मे सहायक होइत अछि। एहि तरहेँ किडनी अति महत्वपूर्ण अछि।
अधिक रक्त चाप आ मधुमेह सँ किडनी क्रमिक रूप सँ खराव भ जाइत अछि। अधिक तर अनेक तरहेँ शरीर रुग्ण रहलाक कारण सँ सेहो किडनी पर असैर पड़ि जाइत अछि।
किडनीक खराबी सँ अनेकानेक शारीरिक समस्या आबि जाइत अछि। हड्डी कमजोर, नस कमजोर, शरीर मे विटामिन आ पौस्टिक तत्व सभक बहुत कमी इत्यादि होमय लागैत अछि। अगर बहुत दिन तक किडनी खराब रहैत अछि त अंततः पूर्ण रूपेण किडनी काज केनाय बन्द क दैत अछि आ तखन मरीज कें डायलायसिस पर राखि रक्त के साफ शरीर सँ बाहर करय पड़ैत अछि। एहि सँ बीमारी छुटैत नहि अछि बल्कि किछु समय तक एहि उपचार सँ जिंदगी जरूर बाँचल रहैत अछि। तेँ हेतु किडनी केना स्वस्थ बनल रहय एहि पर प्रारम्भ सँ ध्यान देबाक चाही।
किडनी सबन्धित अनेक तरहक बीमारी होइत अछि।
1. दीर्घकालिक किडनी बीमारी।
जखन रक्तचाप बढ़ल रहैत अछि या मधुमेह रहैत अछि तखन धीरे धीरे ओ किडनी मे अवस्थित ग्लोमुरेलाई के क्षति पहुँचबैत अछि। ग्लोमुरेलाइ किडनी मे अवस्थित अत्यंत लघु रक्त वाहिका होइत अछि तथा इएह रक्त के छनैत अछि आ दोषपूर्ण पदार्थ के हटवैत अछि। क्रमसः धीरे धीरे अधिक रक्त चाप तथा मधुमेह सँ ओ अंततः पूर्णरूपेण क्षति भ जाइत अछि आ तखन कहैत छी जे किडनी काज केनाय बन्द क देलक अर्थात किडनी फेल। एहि तरहक किडनीक खराबी दीर्घकालीक बीमारी कहल जाइत अछि।
2. किडनी मे पाथर।
जखन व्यर्थ पदार्थ तथा खनिज तत्व(minerals) सभक क्रिस्टिलीकरण किडनी मे भ जाइत अछि तखन ओ ठोस पाथर रूप मे किडनी मे खराबी करैत अछि। अक्सर छोट पाथर पेशाव माध्यम सँ निकलि जाइत अछि मगर नमहर तँ शल्य चिकित्सा सँ बाहर निकालल जाइत अछि। समय सँ उपचार कय पूर्ण रूपेण एहि सँ चंगा भेल जा सकैत अछि।
3. ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस
जखन ग्लोमेरु अर्थात किडनिक अंदरक छोट नलवाहिका संक्रमित भs
फुलि (inflamted) जाइत अछि , ओकरा "ग्लोमेरूलोनेफ्राइटिस" कहल जाइत अछि। कखनो काल बच्चाक जन्म काल ओ भ जाइत छैक परञ्च ओ अपने ठीक भ जाइत छैक। एकर उपचार एन्टीइन्फेक्शन दवाइ सँ भय जाइत अछि।
4.पॉलीसिस्टिक बीमारी।
किडनी मे साधारण सिस्ट भ सकैत अछि। कखनो काल एहि सिस्ट सभक कारणे किडनीक कार्य वाधित होइत अछि।
5. मूत्र प्रणालीक संक्रमण ( Urinary tract infection) आ तत्पश्चात किडनी बीमारी।
मूत्र प्रणाली मे रोगाणु द्वारा संक्रमण होयब सामान्य थिक। ई संक्रमण, बैक्टीरिया द्वारा होइत अछि। ई पूर्णतया दवाइ सँ ठीक भ सकैत अछि। अगर ओकरा संक्रमित छोड़ि देल जाइत अछि तखन संक्रमण किडनी धरि पहुँचि जाइत अछि। ताहि सँ क्रमिक रूपेण किडनी कार्य वाधित होइत अछि। अंततः किडनी फेल भ जाइत अछि। तेँ समय रहैत मूत्र प्रणालीक संक्रमण चिकित्सक सुझाव अनुरूप दवाइ खा पूर्णतया ठीक क लेबाक चाही।

किडनी बीमारी संबंधित अन्य आवश्यक बात

*किडनी बीमारीक लक्षण*

जावत धरि लक्षण नहि अबैत अछि तावत धरि किछु पता नहि चलैत अछि जे किडनी क्रमिक खराब होइ के तरफ अछि। तें हेतु ओकर सुरक्षा (prevention) हेतु ध्यान रहक चाही आ समय समय पर जांच सेहो करेबाक चाही। छोट मोट लक्षण त पता सेहो नहि चलि पबैत अछि आ ओकरा लोक ध्यानों नहि द पबैत अछि।
(क)छोट मोट लक्षण
1. अपन प्रति दिनक दिनचर्या पर , काज सभ पर फोकस नहि क पबैत छी आ चिकित्सक स्ट्रेस के अनुमान लगा दवाइ सेहो द दैत अछि।
2. थकान थकान के अनुभूति होइत अछि। शारीरिक स्फूर्ति कम भ गेल अछि ई अनुभूति कs आलस्य मे रहैत छी।
3. ठीक सँ सुतैत नहि छी। कहैत छी जे नीन्द मे दिक्कत भ रहल अछि।
4.अरुचि सेहो भ जाइत अछि। भोजन रुचि पूर्वक नहि करैत छी।
5.अनुभव करैत छी जगह जगह हमर माँश पेशी ऐंठ रहल अछि।
6. पैर और टखना फुलि जाइत अछि।
7.आँखि केर निचुलका हिस्सा सेहो फूलि जाइत अछि।
8. शरीरक त्वचा रुक्ष भ जाइत अछि।
9. देर रात्रि मे पेशाबक वेग किछु अधिके आबय लगैत अछि।

ई सब भेल छोट छोट लक्षण । मगर एहि सब लक्षण सँ एहि निष्कर्ष पर कदाचित नहि जा सकैत छी जे किडनी बीमारी भइये गेल। मगर संभावना त अछिये जे हो न हो कहीं किडनी बीमारी नहि त भ रहल अछि। तें जांच करा पक्का भ जाय ताहि मे कोन हर्जा।

(ख)किडनी बीमारीक किछु गम्भीर लक्षण जकरा पर ध्यान देनाय अति आवश्यक होइत अछि।

हर समय जी मिचलैत रहब, रद्द होयब, भोजन करबाक बिल्कुल इच्छा नहि होयब, पेशाब भेनाइ बिल्कुल कम भ जायब, लाल रक्त कोशिका कम भ जायब, शरीर मे पानि जमा भ जायब(fluid retention), शरीरक पोटासियम स्तर सामान्य सँ अधिक एकाएक भ जायब, हृदय(heart) के ऊपरी भाग पेरीकार्डियम फुलि जायब एहि तरहेँ ई सब गम्भीर लक्षण होइत अछि जाहि पर तुरन्त ध्यान द प्रतिकारक हेतु उपाय प्रारम्भ क देबाक चाही।

*संभाव्य कारक*

किडनी बीमारी किनका होइक अधिक संभावना होइत अछि।

1. अगर कियो मधुमेह सँ ग्रषित होइत छथि आ ओहि पर ओ ध्यान नहि दैत छथि तखन संभावना रहैत अछि जे क्रमिक रूपेन हुनकर किडनी खराब भ रहल छन्हि।

2. अगर किनको सदैव रक्त चाप बढ़ल रहैत छन्हि आ ओ एकर उपचार नहि करैत छथि तखन हुनको किडनी बीमारी हेबाक संभावना रहैत छन्हि।

3. परिवार में जँ किनको क्रोनिक किडनी बीमारी भेल छन्हि , तs किछु संभावना रहैत छैक किडनीक बीमारी लेल।

4.बहुत अधिक उम्रक लोक कें सेहो संभावना रहैत छैक किडनी संबंधित बीमारी लेल।

*परीक्षण*

चिकित्सक लोकनि विभिन्न तरहक परीक्षण कय पता करैत छथि जे किडनी बढियां जकाँ अपन कार्य क रहल छैक वा नहि। अगर नहि त की स्थिति छैक। आ तद अनुकूल उपचार करैत छथि।

1. GFR परीक्षण।

ई परीक्षण अछि "ग्लोमेरुलर फिल्टरेशन रेट"

एहि परीक्षण सँ पता चलि जाइत अछि जे किडनी कतेक नीक जकाँ अपन कार्य क रहल छैक। अर्थात किडनिक कार्यक वास्तविक स्थित की छैक।

2. अल्ट्रासाउंड / सी टी स्कैन

एहि सँ चिकित्सक देखि ई पता करैत छथि जे किडनिक आकार प्रकार (shape/size) ठीक अछि कि नहि, कोनो ट्यूमर नहि त छैक, पेशाब नली(Urinary tract) सेहो देखि लैत छथि। एहि तरहेँ देखि पता करैत छथि जे किडनी सामान्य अछि वा नहि।

3. बॉयोप्सी

एहि परीक्षण मे चिकित्सक मरीज कें बेहोश क एक टा छोट टुकड़ी किडनी मे सँ निकालि परीक्षण करैत छथि आ पता करैत छथि जे कोन तरहक बीमारी छैक आ किडनी के कतेक जोखिम पहुँचेने छैक।

4. पेशाब परीक्षण

एहि परीक्षण सँ चिकित्सक पता करैत छथि जे पेशाब मे कहीं एल्ब्यूमिन नहि त आबि रहल छैक। एल्ब्यूमिन एक तरहक प्रोटीन छैक आ ओकर पेशाब मे उपस्थित बतबैत छैक जे किडनीक क्षति भ रहल छैक।
 

5.रक्त क्रेटीन स्तर परीक्षण

ओकर सामान्य स्तर होइत अछि 0.5 सँ 1 .0 धरि। जँ सामान्य सँ बढ़ल अबैत अछि तखन ई इंगित करैत अछि जे किडनी के क्षति भ रहल छैक।



एहि तरहेँ ई सब विभिन्न तरहक परीक्षण होइत अछि जाहि सँ चिकित्सक लोकनि एहि निष्कर्ष पर पहुँचैत छथि जे किडनीक बीमारी छैक वा नहि। अगर छैक तँ कोन स्थिति मे छैक। तद अनुकूल उपचार करैत छथि।


किडनी सम्बन्धित बीमारी हेतु उपचार

वास्तविकता अछि जे एकर उपचार मे ई ध्यान देल जाइत अछि जे बीमारी होइक कारण की सब छलैक। कहीं शरीरक रक्त चाप नहि त बढ़ल रहैत छलैक, कहीं मधुमेह नहि त बढि गेल छलैक, कहीं कोलेस्ट्रॉल नहि त बढ़ल छलैक, ई सब ध्यान मे रखैत चिकित्सक ओहेन दवाइ दैत छथि जाहि सँ ई सब नियंत्रण मे रहैक आ किडनीक खराबी और नहि बढ़ै । किडनी अपन कार्य करैत रहैक ओकर ध्यान देल जाइत अछि, अर्थात ओकर कार्य करैक क्षमता संरक्षित रहैक। एहि मे चिकित्सक फूलनाइ कम होइ लेल तथा लाल रक्त कोशिका मे बृद्धि होइक लेल(जँ एनीमिया भ गेल छैक) दवाइ द सकैत छथि अगर एहि सब तरहक लक्षण देखा पड़ैत छैक।



समुचित डाइट या खानपानक महत्व दवाइ सँ कम नहि तें ओहि पर ध्यान देनाय अति आवश्यक भ जाइत छैक। किडनी संदर्भित बीमारीक कारण सभ कें दूर करवाक लेल नीचा लिखल किछु परामर्श अछि।

1. खान पान और दवाइ के प्रवन्धन ओहेन हेवाक चाही जे मधुमेह बिल्कुल नियंत्रण मे रहय।

2.अधिक कोलेस्ट्रॉलयुक्त पदार्थ नहि खेबाक चाही।

3. प्रति दिनक आहार मे नूनक मात्रा कम करी।

4. जे पदार्थ हृदय(heart) स्वास्थ्य लेल बढियां नहि छैक जेना तेल घी के आहार मे वर्जित या कम करू। ओहि लेल बढियां जे होइत छैक जेना फल सब्जी इत्यादि ओकरा पर ध्यान देवाक चाही।

5. मदिरा पान तथा सिगरेट बिल्कुल वर्जित।

6. प्रति दिन शरीर सँ कार्यशील

(active) रहू। हल्का टहलनाइ फायदा करत।

7. अपन शरीरक वजन नियंत्रित रहबाक चाही।



जँ एक बेर किडनी खराब भ गेल तँ ओ और अधिक खराब नहि हो ताहि लेल उपचार होइत अछि । आगाँ जँ खराब होइते जायत तँ अंततः किडनी अपन कार्य केनाय पूर्णतःबन्द कय दैत छैक। ओहना परिस्थिति मे मात्र डायलीसिस उपचार या किडनी ट्रांसप्लांट ई दू टा उपाय अछि। डायलीसिस मे रक्त के गंदगी के छानैक प्रक्रिया शरीर सँ बाहर मशीन द्वारा होइत अछि । 3-4 घंटा लागि जाइत छैक प्रक्रिया मे। अक्सर सप्ताह मे औसतन 3 बेर कराबय पड़ैत छैक।(मरीजक हालत जेहन होइत अछि तेहन उपचार)

ट्रांस्प्लांट मे जँ कियो डोनर तैयार होइत छथिन्ह तखन हॉस्पिटल तथा चिकित्सक कें सब तरहेँ किडनी मैचिंग संदर्भित संतुष्टि उपरान्त किडनी ट्रांसप्लांट कs देल जा सकैत अछि।



सर्वोत्तम तथ्य अछि जे सभ कियो के अपन स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हेबाक चाही। एक तँ ओहेन दिन चर्या, आहार - विहार हेबाक चाही जे किडनी खराब हेबाक संभावना बिल्कुल नहि वा बहुत कम होइक । दोसर संभाव्य कारण सँ प्रभावित छी वा नहि , कहीँ खराब भेनाइ प्रारम्भ नहि त भ गेल ताहि लेल नियमित जांच अवश्य करेबाक चाही ताकि समय रहैत प्रतिकार कs सकी।



विशेष ध्यान देवाक योग्य बात जाहि सँ किडनी संबंधित बीमारीक संभावना के कम कएल जा सकैत अछि।

1. जँ एस्पिरिन या आइब्रूफेन दवाइ खाय पड़ैत अछि तँ चिकित्सक परामर्श सँ ओकर खोराक़ प्रवन्धन हेतु अवश्य संपर्क करू। कारण ओ किडनी कें क्षति पहुँचबैत अछि। कोशिश करू कम खाय के प्रयोजन होइक। अपने मोने नहि। चिकित्सक केर अनुशंसा परम आवश्यक।

2.दिन भरि मे पानि उचित सँ कम कथमपि नहि पिबू। शरीरक मुताविक जे उचित अछि अवश्य पीबू।

3.रक्त चाप तथा मधुमेह बीमारी बिल्कुल नियंत्रण मे रहय ताहि लेल प्रवन्ध करवाक चाही।

4. सिगरेट आ मदिरा सँ परहेज केनाय नीक रहत।

5. खान पान मे नूनक मात्रा कम रहय ओकर प्रयास बढियाँ रहत।

6. अधिक नून, अधिक जानवर वला प्रोटीन(चिकन), पालक, बीट, सकरकंद मे ओहेन रसायन सेहो होइत अछि जाहि सँ किडनी मे पथरीक संभावना बढ़बैत अछि तेँ ओ सब समीचीन रूप सँ खेबाक चाही।

7. बिना चिकित्सक परामर्श अन्हाघाहिस कैल्शियम सप्लीमेंट सेहो ठीक नहि। कारण कोनो कोनो सप्लीमेंट किडनी पथरीक संभावना बढ़बैत अछि।



सब किछु के बाद ई श्रेयस्कर होयत जे समय समय पर सब किछु लेल नियमित जांच कराओल जाय ताकि समय पर समुचित खान पान और दिनचर्या सँ सभ किछु नियंत्रण कए सकी।


लिवर (यकृत) / जिगर

लिवर(Liver)

लिवरक नाम यकृत , जिगर , कलेजा सेहो अछि।

पाचन तंत्रक एक अत्यधिक महत्वपूर्ण अंग अछि। ई एक प्रकारक ग्रंथि छी।

शरीरक आंतरिक अंग में लिवर सबसँ

नमहर अंग /ग्रंथि होइत अछि। ओकर आकार फुटबॉल जकाँ होइत अछि। मुख्यतया ओ पेटक उपरका भाग मे दाहिना तरफ होइत अछि। डायफ्राम के निच्चा आ अमाशय(stomach) सँ ऊपर। एकर थोरे बहुत भाग पेटक बांयाँ तरफ तक सेहो रहैत अछि।

एकर वजन करीब डेढ़ किलो होइत अछि। शरीर मे पाचन क्रिया तथा शरीरक सुरक्षा(defence) मे लिवरक बहुत अधिक महत्व अछि। शरीरक अंदर सैकड़ों रासायनिक क्रिया मे लिवरक भूमिका महत्वपूर्ण अछि। शरीर मे आनो अंगक अवश्यकीय रसायन सभ लिवर द्वारा श्रावित होइत अछि तें ओकरा आवश्यक ग्रंथि कहल जाइत अछि।

सारांश मे लिवरक मुख्य कार्य अछि

1. पाचन तंत्र सँ अवै वला सभ रक्त कें शुद्ध क अन्य अंग कें आपूर्ति करैत अछि।

2. शरीरक अंदर रासायनिक प्रक्रिया मे जे कोनो हानिकारक(toxic) रसायन बनैत अछि तकरा हानिरहित(detoxify) करैत अछि।

3. दवाइ जे हम सब खैत छी ओकरा मेटाबोलाइज क शरीर द्वारा अवशोषित हेवाक योग्य रसायन मे परिवर्तित करैत अछि।

4.शरीरक अंदर विभिन्न तरहक कार्य हेतु विभिन्न तरहक प्रोटीनक आवश्यकता पड़ैत छैक जेना कि रक्तक थक्का बनवैक लेल प्रोटीन। ई प्रोटीन सव लीवरे बनबैत अछि।

5.शरीर मे जे उर्जाक उपयोग होइत अछि ग्लाइकोजन रूप मे। भोजन सँ प्राप्त ग्लूकोज़ सँ ग्लाइकोजन मे परिवर्तनक कार्य लिवर करैत अछि आ ई ग्लाइकोजन लिवर कोशिका एवं शरीरक मांशपेशी कोशिका मे जमा रहैत अछि। एहि संरक्षित ऊर्जा सँ शरीर जरूरत परला पर ऊर्जाक उपयोग करैत अछि।

6. कोलेस्ट्रॉल एवं ट्रायगलीसराइड निर्माण मे लिवर के भूमिका होइत अछि।

7.लिवर पित्त(bile) के निर्माण करैत अछि जे कएल गेल भोजन के पचवै मे सहायक होइत अछि।

8.लिवर इन्सुलिन हॉरमोन तथा अन्य हॉरमोन सब के तोरैत अछि आ ओकर उपयोग मे अनैक योग्य बनबैत अछि।

9. लिवर कएल गेल भोजन सँ विटामिन ( विटामिन ए , विटामिन डी, विटामिन ई, विटामिन के, विटामिन बी 12)आ खनिज सब( आयरन फेरी टीन रूप मे जाहि सँ नया रक्त कण बनैत अछि) कें संग्रहित करैत अछि आ आवश्यतानुसार ओकर सभक काज शरीर मे होइत रहैत अछि।

10. लिवर भोजन मे लेल गेल वसा (fat) के अलग केनाय आ ओकरा संग्रहित केनाय के कार्य करैत अछि। आवश्यतानुसार जखन आवश्यता होइत अछि, ओहि सँ शरीरक हेतु ऊर्जा निर्गत होइत अछि।

11. लिवर शरीर मे जरूरत होइ बला एंटीबाडी और एंटीजन सभक सेहो निर्माण करैत अछि।

एहि तरहें लिवर शरीर मे बहुत महत्वपूर्ण काज सभ करैत अछि। लिवर स्वस्थ रहय ताहि लेल उचित खान पान और दिनचर्या अति आवश्यक अछि।



लिवर विषय मे एक महत्वपूर्ण तथ्य अछि जे ओ बहुत शक्तिशाली होइत अछि। ओकरा अपन पुनर्निर्माण के क्षमता अद्भुद अछि। शरीरक करीब 10 प्रतिशत रक्त लिवर मे रहैत अछि।


लिवर बीमारीक सुरक्षा, ओकर जांच आ उपचार

*लिवरक बीमारी आ ओकर सुरक्षा एवं उपचार।*



जँ अपन खान पान और जागरूकता सुदृढ रहय तँ अधिकाधिक संभावना रहैत अछि जे लिवर सम्बन्धित बीमारी सँ बाँचल रही।

सुरक्षा हेतु की सब पर ध्यान देबाक चाही , किछु बात निच्चा बता रहल छी।



1. मदिरा पान बिल्कुल नहि करू आ जँ करबे करैत छी तँ बिल्कुल अल्प मात्रा एवं संजमित रूप सँ।

2. शरीरक वजन अगर बढि रहल अछि तँ ओहि पर ध्यान दियौक जे अधिक नहि बढ़ए।

3.मधुमेह बीमारी खास क टाइप 2 हेबा सँ बाँचल रहू। कम और समुचित ग्लायसेमिक लोड बला आहार सँ त एहि बीमारी सँ बाँचल रहल जा सकैत अछि।

4. शरीर पर कोनो तरहक टैटू नहि बनबेबाक चाही।

5. शरीर मे जँ सुइया लेबाक प्रयोजन पड़ैत अछि तँ ध्यान देबाक चाही जे जाहि सुइयाक प्रयोग भ रहल अछि ओ बिल्कुल दोसरा के सुइया दै मे प्रयोग नहि भेल हो। अर्थात बिल्कुल नया ।

6. दोसराक शरीरक रक्त या शरीर तरल सँ संपर्क सँ सुरक्षित रहबाक चेस्टा करू।

7. खून चढेवाक प्रयोजन पड़ला पर ध्यान देवाक चाही जे ई पूर्ण सुरक्षित अछि।

8. असुरक्षित सेक्स बिल्कुल नहि।

9. किछु ओहेन रसायन या टोक्सिन होइत अछि जाहि सँ लिवर बीमारीक संभावना रहैत अछि। एहि सँ सुरक्षित रहक चाही।

10. किछु कें पारिवारिक इतिहास रहैत छन्हि लिवर बीमारी कें। हुनका बिल्कुल सतर्क और सजग रहबाक चाही।

11. साफ सफाई पर ध्यान देबाक चाही। भोजन खेबा मे, बनेबा मे, पानि पिबैक मे इत्यादि सभ मे ताकि कोनो तरहक संक्रमण सँ दूर रही।

12. बिना चिकित्सक अनुशंसाक दवाइ अन्हाघाहिस नहि खेबाक चाही।

13. जँ संभावना हो जे हेपेटाइटिस वला लोकक संपर्क मे आबि सकैत छी तँ टीका ल लेब श्रेयस्कर।



*लिवर बीमारीक कारण आ ओकर विभिन प्रकार।*



1. *संक्रमण*

परजीवी (parasites) एवं वायरस सँ लिवरक संक्रमित हेबाक संभावना रहैत अछि। संक्रमण भेला पर लिवर मे सुजन भए जाइत छैक आ ओकर कार्य करैक क्षमता धीरे धीरे कम होमय लगैत अछि। जाहि व्यक्ति के लिवर ,वायरस सँ संक्रमित होइत अछि ओकर रक्त, सीमेन, जूठा भोजन, पानि आ संपर्क सँ ई पसरि सकैत अछि। सामान्यतया तीन तरहक हेपेटाइटिस वायरस होइत अछि।

हेपेटाइटिस A

हेपेटाइटिस B

हेपेटाइटिस C



2. *इम्यून सिस्टम आधारित*

शरीरक इम्यून सिस्टम प्रहार सँ व्यक्तिक कोनो अंग प्रभावित भए सकैत अछि जकरा ऑटो इम्यून डिसऑर्डर कहल जाइत अछि। एहि मे जँ लिवर प्रभावित होइत अछि ओकरा ऑटो इम्यून लिवर बीमारी कहल जाइत अछि। मुख्यतया तीन प्रकारक ई बीमारी होइत अछि।

1.ऑटो इम्यून हेपेटाइटिस

2.प्राइमरी बायलरी कोलनजायटिस

3.प्राइमरी स्कलेरोसिंग कोलनजायटिस



3. *वंशानुगत लिवर बीमारी*

जँ माता पिता दुनू में या कोनो एक मे लिवर बीमारी हेतु असामान्य जीन रहैत अछि तँ संभावना रहैत अछि जे ओकर बच्चा में ई वंशानुगत बीमारी होइक।



एहि बीमारिक नाम अछि

1.हिमोक्रोमेटोसिस

2.विल्सन लिवर बीमारी

3.अल्फा-1 एन्टीट्रिप्सिन कमी लिवर बीमारी।



4. *लिवर कैंसर*



5. *लिवरक अन्य बीमारी*

लिवर मे वसा केर जमाव(Non Alcoholic Fatty Liver Disease)

अल्कोहल सेवन आधारित लिवर बीमारी।



लिवर बीमारी कें जँ बिना उपचार छोड़ि देल जाइत अछि तखन लिवर शिरोसिस भए जाइत छैक आ अंततः ओ काज केनाय बिल्कुल बन्द कए दैत छैक। तें ओकर उपचार बिना देरी प्रारम्भ अवश्य करबाक चाही।



*लिवर बीमारीक लक्षण इत्यादि।*



एहि बीमारी मे सदैव रोग पहचान करै बला लक्षण हेबे करैत अछि कोनो जरूरी नहि। तेँ ओकर चिकित्सीय परीक्षण करबैत रहनाइ जरूरी अछि।

ओना कखनो काल किछु लक्षण सेहो देखा पड़ैत अछि जे हम निच्चा मे बता रहल छी।

1. त्वचा आ आँखि पीयर भ जायब।

2.पेट दर्द आ पेट फूलल रहब।

3.पैर आ टखनी मे सूजन

4.चमड़ी मे खुजलाहट।

5. पेशाबक आ पैखानाक रंग खूब पीयर।

6.अत्यधिक अरुचि

7.थकान थकानक अनुभूति

8. रद्द हेवाक प्रविर्त्ति



*लिवर बीमारीक पहचान हेतु जांच*



ओना तँ विशिष्ट रूप सँ जाँच हेतु अलग अलग जांच होइत अछि, मगर सामान्यतया एल एफ टी (Lever Function Test) सँ एक नजरि मे बहुत किछु पता चलि जाइत अछि जे लीवर बढियां सँ काज कए रहल अछि वा नहि। आगाँ अल्ट्रासाउंड, सी टी स्कैन, बाईऑप्सि , हेपेटिटिटिस परीक्षण कएल जाइत अछि , ई सुनिश्चित होइक लेल जे कोन तरहक लिवर बीमारी अछि।



*लिवर बीमारिक उपचार।*

लिवर बीमारीक जाँच मे कोन तरहक बीमारी पहचान मे आयल अछि एहि अनुरूप चिकित्सक उपचार करैत छथि। किछु तँ एहेन खराबी रहैत अछि जे मात्र दिनचर्या ठीक केला सँ दूर भए जाइत अछि जेना अल्कोहल बन्द कए देनाय, अपन वजन आहार एवं दैनिक व्यायाम सँ नियंत्रित केनाय।

किछु ओहेन लिवर बीमारी जेना संक्रमण आधारित बीमारी। एहि हेतु चिकित्सक दवाइक अनुशंसा करैत छथि।

किछु ओहेन लिवर बीमारी जाहि मे शल्य चिकित्सा एवं ट्रांसप्लांट हेतु आवश्यकता होइत अछि।

सारांश मे ई बात सत्य अछि जे लिवर शरीर मे अति महत्वपूर्ण एवं शक्तिशाली अंग अछि । किछु बीमारी ओकर शक्तिशाली हेबाक कारण सँ किछु परहेज मात्र सँ आराम भ जाइत अछि। ( जेना कि हेपेटाइटिस -A) लिवर एक मात्र अंग अछि जकरा पुनःसृजन(Regenerate) करैक क्षमता होइत अछि। ओहि सँ सम्बंधित बीमारी होइ लेल बाहरी कारक जकरा लोक अपन सावधानी राखि रोकि सकैत अछि। सावधानी रखला सँ बचाव बिल्कुल संभव अछि एवं उपचार सँ बचाव पर अधिक जोड़ देल जाय ओ श्रेयष्कर अछि।


हृदय(Heart)

*मानव हृदय*

हृदय मुट्ठी आकारक एक अंग होइत अछि जे सम्पूर्ण शरीर में सभ अंग के रक्त भेजैक लेल रक्तक पंप करैत अछि।

हृदय रक्त वहिका तंत्रक मुख्य और प्राथमिक अंग थिक आ ओकर चारि प्रकोष्ठ होइत होइत अछि । ई प्रकोष्ठ सभ मांशपेशी सँ बनल रहैत अछि तथा ओ विद्युतीय आवेग सँ संचालित होइत रहैत अछि।



हृदय वक्ष(thorax) के अंदर छातीक बाँयाँ भाग मे अवस्थित रहैत अछि। शरीरक सभ अंग सँ आयल रक्त के हृदय पंप कए लंग्स(Lungs) मे पहुँचबैत अछि आ ओतय सभटा रक्तऑक्सीजन सँ युक्त भए जाइत अछि। पुनः ई ऑक्सीजनयुक्त रक्त लंग्स सँ हृदय मे लौट अबैत अछि आ हृदय ई ऑक्सीजनयुक्त रक्त कें पम्प कए सम्पूर्ण शरीरक सभ अंग के पठबैत अछि। हृदयक विषय मे ई एक रोचक बात अछि जे मनुष्यक हृदय पूरा जिनगी मे औसत करीब साढ़े तीन अरव बेर धडकैत अछि। एकर वजन मात्र 200 सँ 425 ग्राम होइत अछि। रोज ओ 6000 सँ 7500 लीटर रक्त कें पम्प करैत अछि।



*हृदयक मुख्य कार्य*

1. पम्प कएऑक्सीजनयुक्त रक्त कें सभ अंग मे पठेनै।

2.शरीरक सभ अंग लेल आवश्यकीय तत्व आ हॉर्मोन संचरण हेतु कार्य करैत अछि।

3. शरीरक अंग सभ सँ न्यून ऑक्सीजनयुक्त रक्त कें प्राप्त केनाय आ ओकरा पम्प कए ऑक्सीजनयुक्त करैक लेल लंग्स मे पठेनै।

4. शरीर मे उपस्थित कार्बनडाई ऑक्साइड एवं बेकार पदार्थक परिवहनक (transporting) कार्य करैत अछि।

5. शरीरक रक्त चाप सामान्य बनेने रखैत अछि।



एहि तरहेँ हृदय, रक्त आ रक्त वहिका ई तीनू मिलि ह्रदय प्रणाली (cardio vascular system) कहबैत अछि आ ओ सदैव कार्य करैत रहैत अछि।





*हृदय आ परिसंचरण तंत्र*

हृदय कें अपन कार्य सुचारु रूप सँ करैक लेल परिसंचरण तंत्रक भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होइत अछि।

*ओकर विभिन्न प्रकार*

1. फुफ़्फ़सी(पल्मोनरी) परिसंचरण।

(Pulmonary Circulation)



एहि परिसंचरण में हृदयक दाहिना भागक वेंट्रिकल सँ ऑक्सीजन रहित रक्त(De-oxydised blood) फुफ्फुस (लंग्स) में जाइत अछि ऑक्सीजनयुक्त होइक लेल आ पुनः ओ ऑक्सीजनयुक्त रक्त फेर हृदय में अवैत अछि।



2. दैहिक परिसंचरण(systemic circulation)



एहि परिसंचरण माध्यम सँ ऑक्सीजनयुक्त रक्त कें हृदय द्वारा पम्प कए सम्पूर्ण शरीरक अंग सभ कें पहुँचायल जाइत अछि आ ओहि शरीरक अंग सँ ऑक्सीजनरहित (de-oxydised blood) कें पुनः हृदय में आनल जाइत अछि।



3. कोरोनरी परिसंचरण(coronary circulation)

स्वयं हृदय माँशपेशी सँ बनल होइत अछि आ ओ सम्पूर्ण शरीरक अंग सभ के ऑक्सीजनयुक्त रक्त लगातार क्रम में पहुँचबैत रहैत अछि ।ओकरा निरंतर कार्य करैक हेतु सेहो अलग सँ ऑक्सीजनयुक्त रक्त चाही।जाहि परिसंचरण माध्यम सँ ऑक्सीजनयुक्त रक्तक आपूर्ति हृदय कें होइत अछि ओकरा कोरोनरी परिसंचरण कहल जाइत अछि। ई अत्यंत जरूरी परिसंचरण होइत अछि।



ओही तरहेँ मस्तिष्क के अलग सँ बिल्कुल ताजा और शुद्ध ऑक्सीजनयुक्त रक्त निरन्तर कार्यशील रहैक लेल चाही जे कि परसंचारित होइत रहैत अछि।


हृदयक वाह्य संरचना

*हृदयक वाह्य संरचना।*

(1).हृदयक वाह्य संरचना मे सर्वप्रथम पेरीकार्डियम होइत अछि। ह्रृदय एक तरल सँ भरल कैविटी मे अवस्थित रहैत अछि। ओहि कैविटी कें पेरिकार्डियल कैविटी कहल जाइत अछि। एहि कैविटीक दीवाल और परत झिल्ली रूप मे रहैत अछि आ तकरे पेरीकार्डियम कहल जाइत अछि।

ई पेरीकार्डियम, हृदय कें फाइबर झिल्ली सँ चारु कात सँ घेरि सुरक्षित केने रहैत अछि।



ओ एक टा तरल श्रावित सेहो करैत रहैत अछि जे हृदय लेल चिकनई(Lubricant) पदार्थ थिक आ ओहि सँ हृदय अन्य अंगक घर्षण सँ सुरक्षित होइत अछि।



हृदय जे फैलइत सिकुरैत अछि ताहि लेल सेहो पेरीकार्डियम मे ओतेक खाली जगहक(hollow space) व्यवस्था रहैत अछि जाहि सँ हृदय कें अपन पूर्ण अधिकतम आकार लेबा मे आसानी रहैक । अर्थात हृदयक जगह समावेश (positioning) लेल पेरीकार्डियम युक्त रहैत अछि।



पेरीकार्डियम 2 परत मे होइत अछि। (क)पहिल बाह्य परत कें विसेरल परत कहल जाइत अछि। ई परत सीधा हृदय के बाहर तरफ सँ घेरने रहैत अछि।



(ख) विसेरल परत सँ ठीक बाद दोसर परत होइत अछि जे पेरीटल परत कहल जाइत अछि।



पेरिटल परत थैलीनुमा(sac) रूप मे होइत अछि जे हृदयक वाह्यतम भाग मे रहैत अछि । कैविटी युक्त एहि परत मे तरल रहैत अछि जे कि हृदय लेल चिकनई(lubricant) उद्देश्यक पूर्ति करैत रहैत अछि।



(2). हृदयक वाह्य संरचना मे आव हृदय भित्तिक (Heart wall) विषय मे चर्चा करैत छी।



हृदय भित्तिक तीन परत होइत अछि।

प्रथम परत एपिकार्डिम होइत अछि। ई वाह्यतम परत मे एक पातर झिल्ली वला परत सेहो रहैत अछि जे चिकनई (lubricant) प्रदत्त करैत रहैत अछि आ वाह्य भाग कें सुरक्षित रखैत अछि।



दोसर परत कें मायोकार्डियम कहल जाइत अछि। ई माँशपेशी उत्तक सँ बनल मोट परत रहैत अछि । पम्प करैक काज एही मायोकार्डियम द्वारा होइत अछि। ओकरा हृदय भित्तिक मध्य परत कहल जाइत अछि।





तेसर परत कें एंडोकार्डियम कहल जाइत अछि। सबसँ भितुरका परत होइत अछि जे हृदयक अंदर चैम्बर(प्रकोष्ठ) एवं वाल्व सभ कें अपन परतक अंदर रखने रहैत अछि। ई हृदयक अंदरूनी देवाल पर रक्त कें सटै(stick) सँ बचवैत छैक ताकि रक्त थक्का खतरा सँ सुरक्षित रहल जा सकै।



एहि तरहें ई भेल हृदयक वाह्य संरचना।


हृदयक आंतरिक संरचना

रक्त वहाव नियंत्रण हेतु हृदयक अंदर प्रकोष्ठ एवं वाल्व निरंतर कार्य करैत अछि। मानव हृदय मे चारि गोट प्रकोष्ठ(चैम्बर) होइत अछि। निच्चा चारुक नाम अछि।

1.वाम भागक एट्रियम

2.दहिना भागक एट्रियम

3. वाम भागक वेंट्रिकल

4.दहिना भागक वेंट्रिकल

एट्रियम/एट्रिया

एट्रिया वेंट्रिकल से छोट होइत अछि। एट्रियाक दीवाल वेंट्रिकल कें तुलना मे पातर आ थोड़ेक कम माँशपेशी वला होइत अछि।

एट्रिया रक्त प्राप्त करैक हेतु एक प्रकोष्ठ होइत अछि जे बड़ी नस(Large vein) सँ रक्त प्राप्त करैत अछि।

वेंट्रिकल

वेंट्रिकल नमहर प्रकोष्ठ होइत अछि संगहि ओ अधिक माँशपेशी

सँ बनल होइत अछि। ओ पम्प करैक काज करैत अछि। पम्प

कए ओ रक्त कें संचरण(सर्कुलेशन) हेतु धकेल दैत छैक।

ओ बड़ी धमनी सँ जुरल रहैत अछि जेकि रक्त परिसंचरण हेतु रक्त निर्गत करैत अछि।

दहिना एट्रियम एवं दहिना वेंट्रिकल वाम भागक प्रकोष्ठ(एट्रियम एवं वेंट्रिकल) सँ तुलनात्मक दृष्टि सँ छोट होइत अछि।

ओकर (दहिना भागक प्रकोष्ठ) दीवाल सेहो कनी पातर होइत छैक, आकार सेहो कम होइत छैक, कनी कम मांशपेशी वला होइत अछि कारण दहिना आ वाम भाग वला प्रकोष्ठक कार्य अलग अलग अछि।

जे दहिना तरफ सँ रक्त अवैत अछि ओ फुफुस (पल्मोनरी) परिसंचरण सँ मगर वाम भाग वला रक्त जे प्रकोष्ठ सँ अवैत अछि ओकरा पम्प कए सम्पूर्ण शरीरक सभ अंग मे पठौल जाइत अछि। प्रकोष्ठक कार्यक अनुरूप ओकर आकार एवं प्रकार होइत अछि।

रक्त वहिका(Blood vessels)

मनुष्य मे बन्द परिसंचरण तंत्र होइत अछि। ओकर अर्थ ई अछि जे एहि परिसंचरण तंत्र मे रक्त बन्द नलिका मे वहैत अछि।

रक्तक दवाव आ गति अधिक रहैत अछि। पदार्थक आदान प्रदान उत्तक तरल सँ होइत अछि।

एहि तरहक परिसंचरण मे वहिकाक(vessels) आकार प्रकार आवश्यतानुसार कत्तौ छोट आ कत्तौ पैघ होइत अछि।

हृदयक वाह्य संरचना मे अनेकानेक रक्त वहिका कार्य करैत अछि, और ओ हृदय अंतर्गत अन्य प्रमुख(major) रक्त वहिकाक संग मिलि एक नेटवर्क बनेने रहैत अछि तथा समग्र रूपेण पद्धति (systematic)सँ कार्य करैत रहैत अछि।

रक्त वहिका( Blood vessels) विभिन्न प्रकारक होइत अछि ।

1. नस(vein) : - नस द्वारा ऑक्सीजनरहित(De oxygenated) रक्त हृदय मे पहुँचैत अछि। हृदय मे पहुँचला सँ पहिले रक्त इन्फीरियर एवं सुपीरियर वेना कावा मे जाइत अछि आ ओतय सँ ओकर निकासी दहिना भागक एट्रियम मे होइत अछि।

2. केशिका(capillaries):- धमनी और नसक बीच एक रक्त वहिकाक नेटवर्क जे बहुत पातर ट्यूब जकाँ होइत अछि तकरा केशिका (capillary) रक्त वहिका कहल जाइत अछि।

3.धमनी(Arteries):- रक्त वहिका जकर दीवार(wall) मांशपेशी सँ बनल(Mascular) होइत अछि आ ओ एक ट्यूब जकाँ होइत अछि। हृदय सँ ऑक्सीजनयुक्त रक्त शरीरक विभिन्न अंग मे ओही रक्त वहिका द्वारा जाइत अछि। एहि रक्त वहिका कें धमनी कहल जाइत अछि।

सबसँ नमहर धमनी ऐरोटा कहल जाइत अछि जकर शाखा प्रशाखा विभिन्न अंग सँ छोट छोट धमनी सँ जुरल रहैत अछि। एहि छोट छोट धमनी सँ सभ अंग धरि ऑक्सीजनयुक्त रक्त आपूर्ति होइत रहैत अछि।


हृदय मे अवस्थित वाल्व(वाल्व)

वाल्व हृदयक चैम्बर सभ मे नस कें बीच फाइबर सँ बनल फ्लैप होइत अछि जे रक्त के सदैव आगाँ तरफ जाय , पाछाँ तरफ घुरि नहि अबैक ताहि लेल उपस्थित रहैत अछि। वाल्व सुनिश्चित करैत अछि जे रक्तक वहाव एक्के दिशा (Unidirection) मे होइक।

वाल्वक कार्यक अनुसार ओ दू प्रकारक होइत अछि।

1.एट्रियोवेंट्रिकुलर वाल्व:- एट्रिया और वेंट्रिकलक बीच जे वाल्व होइत अछि ओकरा एट्रियोवेंट्रिकुलर वाल्व कहल जाइत अछि। दहिना कातक एट्रिया आ वेंट्रिकल कें बीच जे वाल्व होइत अछि तकरा ट्रिकसपिड(Tricuspid) वाल्व कहल जाइत अछि।

ओही तरहें वामा तरफ एट्रिया आ वेंट्रिकल कें बीच जे वाल्व होइत अछि तकरा मिटरल(Mitral) वाल्व कहल जाइत अछि।

2.सेमिळूनर वाल्व(अर्ध चंद्राकार वाल्व):- वामा कातक वेंट्रिकल तथा ऐरोटाक बीच जे वाल्व होइत अछि तकरा सेमिळूनर वाल्व कहल जाइत अछि। ओही तरहेँ दहिना कातक वेंट्रिकल तथा

पल्मोनरी धमनीक बीच एक टा वाल्व रहैत अछि तकरो सेमिळूनर वाल्व कहल जाइत अछि।

१०
हृदय सँ सम्बन्धित बीमारी(अस्थिर एनजाइना)- हृदय सँ सम्बन्धित किछु सामान्य बीमारी आ बीमारी चिनहैक लेल अनेकानेक परीक्षण

* *अस्थिर एनजाइना**

एहि मे छाती , बैंह, जबड़ा, कन्हा, गर्दैन मे दर्द एवं खिंचावक अनुभूति होमय लगैत अछि। आराम के स्थिति मे या कोनो मिहनत नहियों केलाक स्थित मे एहि तरहक दर्द होइत अछि।

साँस फुलनै,पसीना एनै, रद्द भेनै, पेट मे दर्द भेनै, चक्कर एनै, थकान लगनै,बेहोशी एनै इत्यादि सभ सेहो भ सकैत अछि। कखनो काल एहि सब लक्षण कें ठीक सँ नहि बूझि पबैत छथि। मगर एहि सब पर ध्यान देबाक चाही।

कखनो काल पेट मे गैसक कारण सँ सेहो छाती मे दर्द होइत अछि। ओ किछु खेला पिलाक कारण सँ होइत अछि आ ओ थोरे कालक बाद स्वयं ठीक भ जाइत अछि।



स्थिर एनजाइना मे दर्द शरीरक स्थिति बदलला पर आराम होइत अछि। समुचित दवाइ और आराम ओकर उपचार थिक। अस्थिर एनजाइना कें गंभीर मानि तुरन्त और शीघ्राति शीघ्र नीक चिकित्सक एवं चिकित्सालय सँ संपर्क करवाक चाही। एहि मे दर्दक अनुभूति शरीरक कोनो पैटर्न मे होइते रहैत अछि। शरीरक पैटर्न पर निर्भर नहि रहैत अछि ।



**अस्थिर एनजाइनाक वास्ते या अन्य हृदय सम्बन्धित बीमारी सभ लेल परीक्षण(Tests)*

1. रक्त परीक्षण:- रक्त परीक्षण कए चिकित्सक हृदयक ट्रोपोनिन(cardiac troponin) स्तर देखैत छथि। एहि स्तर कें देखि ओ सुनिश्चित करैत छथि जे छातीक दर्द हृदय घातक एनजाइनाक कारण सँ अछि या अन्य कारण सँ। चिकित्सक ओकर अलावा वसा, कोलेस्ट्रॉल, सरकरा एवं प्रोटीन सभक सेहो स्तर देखैत छथि जाहि सँ चिकित्सा करै मे सुविधा होनि। ट्रोपोनिन l केर सामान्य स्तर 0-0.04 मानल जाइत अछि।



2. इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम(ECG):-

एहि परीक्षण सँ ई पता चलैत अछि जे हृदयक अंदर विद्युतीय आवेगक(electrical impulse) की स्थिति अछि?हृदयक धड़कन कहीं काफी अधिक -कम नहि तँ छैक वा धड़कन छैहो वा नहि? हृदयक धड़कन (Heart rhyme) सँ एहि पैटर्न कें पता चलैत अछि जे हृदय मे रक्त प्रवाह मंद अछि या रुकैतो अछि?

एहि तरहें ई परीक्षण हृदयगत बीमारी मे महत्वपूर्ण होइत अछि।



3.छातीक एक्स- रे(X-ray):-

छातीक एक्स -रे सँ चिकित्सक ई सुनिश्चित करैत छथि जे कहीं अन्य कारण सँ त नहि छातीक दर्द अछि। ओहि सँ हृदय के आकार कें देखल जाइत अछि। लंग्स(फुफुस) सेहो देखल जाइत अछि।



4. तनाव परीक्षण(Stress Test):-

तनावक दरमियान हृदयक कार्य करैक स्थिति की रहैत अछि , ओहि दरमियान संदर्भित अन्य पैमाना सभक परीक्षण , हृदयक धड़कन इत्यादि हेतु तनाव परीक्षण कराओल जाइत अछि। एहि परीक्षण मे मरीज कें ट्रेडमिल , या चिकित्सीय साईकल पर चढ़ा कें जांच कएल जाइत अछि।

चिकित्सक ई देखैत छथि जे तनावक स्थिति मे हृदय केहेन प्रतिक्रिया करैत अछि।



5. इक्कोकार्डियोग्राम परीक्षण(Echo cardiogram Test):-

एहि परीक्षण मे ध्वनि तरंगक माध्यम सँ चलैत(moving) हृदयक चित्र प्राप्त होइत अछि। एहि सँ देखल जाइत अछि जे हृदय अंदर रक्तक वहाव सामान्य अछि वा नहि। ई परीक्षण तनाव स्थिति मे सेहो करायल जाइत अछि जकरा तनाव इकोकार्डियोग्राम(stress Echo Test) कहल जाइत अछि।

6.न्यूक्लियर तनाव परीक्षण(Nuclear Stress Test):-

एहि परीक्षण कें एमपीआई(MPI) परीक्षण सेहो कहल जाइत अछि। एमपीआई(MPI) अर्थात मायोकार्डियल परफ्यूजन इमेजिंग। एहि परीक्षण सँ हृदय मांशपेशी मे रक्तक प्रवाह आराम के स्थिति मे तथा तनावक स्थिति दुनू स्थिति मे केहेन अछि ई पता लगैत अछि। एहि परीक्षण मे एक रेडियोधर्मी अनुरेखक(radio active tracer) रक्त मे इन्जेक्शन द्वारा देल जाइत अछि। एकटा विशिष्ट स्कैनर सेहो लागल रहैत अछि जे देखैत अछि जे कोना कोना रेडियो एक्टिव ट्रेसर रक्त द्वारा हृदयक धमनी मे जाइत अछि। जतय ओकर उपस्थिति न्यून या बिल्कुल नहि रहैत अछि ओ दृष्टिगत भ जाइत अछि। एहि परीक्षण मे किछु समय तँ लगैत अछि मगर तनाव परीक्षण थोरे सटीक होइत अछि।





7.कार्डिएक कंप्यूटरीकृत टोमोग्राफी (CT) परीक्षण:-

एहि परीक्षण सँ ई पता चलैत अछि जे कहीं हृदयक आकार कहीं नमहर((enlarged) नहि तँ भए गेल अछि। इहो पता चलैत अछि जे हृदयक धमनी कतय पातर भ गेलैक अछि।



8.एमआरआइ(MRI) परीक्षण:- कार्डिएक मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग

एहि परीक्षण मे चुम्बकीय क्षेत्र एवं रेडियो तरंगक माध्यम सँ हृदयक एवं ओकर रक्त वहिका सभक विस्तृत फ़ोटो लेल जाइत अछि । नीक सँ पता चलैत अछि जे हृदयक संरचना एवं रक्त वहिकाक स्थिति केहेन अछि।



9. कोरोनरी एंजियोग्राफी:-

एहि परीक्षण मे हृदयक रक्त वहिकाक (Blood Vessels) अवलोकन एवं परीक्षण हेतु एक्स-रे केर प्रयोग होइत अछि। एहि परीक्षण कें कार्डिएक कैथीटेराइजेशन सेहो कहल जाइत अछि। एहि परीक्षण मे एक पातर ट्यूब जकरा कैथेटर कहल जाइत अछि, ओकरा बैंह वा ग्रोइन(जांघ आ पेटक बीचक स्थान) मे उपस्थित रक्त वहिकाक माध्यम सँ हृदयक धमनी मे प्रवेश करायल जाइत अछि। एक तरहक रंग(dye) कें कैथेटर मे इंजेक्ट कएल जाइत अछि। ओहना स्थिति मे एक्स रे द्वारा जे फ़ोटो खिंचल जाइत अछि ओ बहुत स्पष्ट बतबैत अछि जे कोना कोना रक्तक बहाव धमनी सभ मे भ रहल अछि। कोनो रक्त प्रवाह अवरुद्धता या न्यून अवरुद्धता कें पता चलि जाइत अछि एहि परीक्षण सँ।

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