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अरविन्द गुप्ता

केदार बाबूः दीर्घ जीवन यात्रा, महान उपलब्धि

 

निश्चित रूपें दीर्घ जीवन यात्रा, महान उपलब्धि। प्रभात फाउंडेशनक मुकेश जी हमरा फोन कयलनि आ दुखद समाचार देलनि जे हमर प्रिय मैथिली लेखक केदार बाबू नहि रहलाह। ई खबरि अप्रत्याशित नहि छल, किएक तँ ओ विगत किछु बर्खसँ दमासँ पीड़ित छलाह, जाहि कारणे हुनका लेल घरसँ बाहर निकलब मुश्किल भऽ गेल छलनि। मुदा हमरा लेल ई समाचार विनाशकारी छल। दरभंगा जिलाक नेहरा गाममे 3 अप्रैल, 1936 केँ जन्मल श्री केदार नाथ चौधरी 2 अप्रैल, 2024क साँझ 88 वर्षक आयुमे अपन शरीर छोड़ि देलनि। ई घटना कोनो साहित्य प्रेमीक लेल दुखद अछि। हुनका बाद हुनक परिवारमे वृद्ध पत्नी श्रीमती कुमुद चौधरी आ दूटा बेटी क्रमशः किरण आ अर्चना छथिन। ममता गाबय गीत मैथिली भाषाक पहिल चलचित्र थिक संगे टा उपन्यास सेहो ओ लिखलनि। हमर परिचय श्री केदार नाथ चौधरी जी सँ भेल जखन हम लहरियासरायमे रहि रहल छलहुँ। जखन ओ अपन पहिल उपन्यास चमेलीरानीक सृजन कयलनि, 2004मे एकरा प्रकाशित करबाक लेल दिल्ली आबि गेलाह। एहि पुस्तकमे राज्यक राजनीतिमे नैतिक पतनक चर्चा कयल गेल अछि। हमर छोट भाय दीपक नेशनल बुक ट्रस्टमे हिन्दी सम्पादक छथि; तेँ ओ सभ हुनका सँ भेँट करबाक लेल हमर घर अयलाह। दीपक हुनका कहलकनि जे ई पुस्तक एन. बी. टी. द्वारा प्रकाशित नहि होयत। हँ, यदि ओ चाहैत छथि तँ राष्ट्रीय पत्रिका 'साक्षी भारत' क प्रकाशक आ प्रधान सम्पादक बड़ भाइ साहिब अरविन्द गुप्ताजी अपन पुस्तक प्रकाशित कऽ सकैत छथि। हुनका ई 'प्रस्ताव' पसिन्न पड़ल। जखन हमरा कहल गेल तँ हमरा सेहो एकटा कुलीन व्यक्तिक सेवा करबामे खुशी भेल आ हम राजी भऽ गेलहुँ। पुस्तक तैयार कयल गेल आ अन्तमे प्रकाशित भेल। हमरा सभ लग तखन आइएसबीएन सेहो नहि छल, तेँ ई पुस्तक बिना आइएसबीएनके छपायल गेल छल। लोकसभ किताब लऽ लेलनि आ तेँ संयोगसँ हम प्रकाशक सेहो बनि गेलहुँ।

 दू साल बाद 2006 मे हुनकर दोसर किताब करार आयल। ई एकटा अलग भावसँ लिखल गेल पुस्तक छल। उपन्यास, जे जीवनक दार्शनिक पक्षकेँ उजागर करैत अछि, सामान्य पाठकक लेल दिलचस्प नहि भऽ सकैत अछि, मुदा गंभीर पाठकसभ एकर सराहना केलनि। अगिला साल 2007 मे चमेलीरानीक दोसर संस्करण निकालय पड़लनि। चमेलीरानी एते लोकप्रिय आ प्रसिद्ध भs गेल जे केदार बाबूकेँ पुस्तकक दोसर संस्करण प्रकाशित करबाक लेल पाठक सभक दबावक सामना करय पड़लनि। आ पाठक सभक भारी माँग पर हुनका एकर दोसर भाग 'माहुर' लिखऽ पड़लनि। ई पुस्तक 2008 मे प्रकाशित भेल छल। 2011 धरि हुनक पुस्तक करारकेँ पुनः प्रकाशित करय पड़लनि। एहि बेर पुस्तकक आवरण बदलि देल गेल छल। जखन हम लेखकक घर जाइत छलहुँ हम हुनका सँ भेँट करैत छलहुँ। ओ हमरा अपन जीवनक घटना आ अनुभव बड्ड रोचक ढंगसँ सुनाबैत छलाह। हम कहि सकैत छी जे हुनक कथोपकथन शैली बड्ड अद्वितीय छलनि। ओ अपन युवावस्थामे महन्त मदन मोहन दासजीक सङ्ग बम्बइमे मैथिलीक पहिल चलचित्र 'ममता गाबय गीत' क निर्माणक कथा सुनाबैत छलाह आ दोसर अमेरिका पलायन सहित दुनिया भरिमे हुनक यात्राक जे अनुभव छल सेहो सुनाबैत छलाह। फिल्मक कहानी लोक सभ लेल बड्ड रोचक अछि, तेँ हम हुनका फिल्म 'ममता गाबय गीत' के निर्माणक कहानी पर उपन्यास लिखबाक आग्रह कयलहुँ। ओ कहलनि जे हुनक किछु अन्य मित्र सेहो एहन अनुरोध कयने छलाह। लेखन गम्भीरतासँ शुरू भेल आ ई हमरा लग संस्मरण 'अबारा नाहितन' क रूपमे आयल। ई 2012 मे प्रकाशित भेल छल। एहि पुस्तकक प्रकाशनक सङ्ग केदार बाबू मैथिली साहित्यिक जगतमे आरो बेसी लोकप्रियता प्राप्त करय लगलाह। आब हुनकर किताबक माँग देशक सीमासँ बाहर नेपालक मैथिली धरि छल। सम्भवतः फिल्मक कहानीसँ बेसी एहि पुस्तकमे वर्णित फिल्मक निर्माणक कहानी लोक सभकेँ पसिन्न पड़लै। मैथिली भाषा आ मिथिला दुनियाक सेवाक भावनासँ चलचित्र बनेबाक लेल युवा सभक संघर्षक कथा एहि पुस्तकमे बड्ड रोचक रूपसँ अंकित अछि। एहि पुस्तकक कथा ई अछि जे एक दिन मैथिली-मिथिलाक सेवा करैत काल एहि युवक सभकेँ कोना 'अबारा' घोषित कयल गेल छल। एहि उपन्यासक अन्त धरि किछु तथाकथित मैथिली सेवकक दोहरा चरित्र पर अहाँ व्यंग्यात्मक भावसँ भरि जायब।

केदार बाबूक लेखनक जादू आब साधारण पाठक वर्गकेँ पार कऽ शिक्षित लेखक आ सम्पादक सभ धरि पहुँचल। कोलकातासँ प्रकाशित पत्रिका मिथिला दर्शनक सम्पादक श्री रामलोचन ठाकुर हुनका अपन पत्रिका लेल एकटा धारावाहिक उपन्यास लिखबाक आग्रह कयलनि। केदार बाबूक धारावाहिक उपन्यास 'हीना' आब हुनक पत्रिका मे प्रकाशित होबऽ लागल। ई पुस्तक हुनक प्रवासक अनुभव पर आधारित अछि जखन उपन्यासक नायिका सैन फ्रांसिस्कोसँ बिहारक एकटा छोट गाममे अबैत छथि। जखन एहि पुस्तकक प्रकाशनक बात आयल तखन लेखक हमरा स्मरण कयलनि। हीनाक पहिल संस्करण 2013 मे प्रकाशित भेल छल। दोसर दिस 'अबारा नहितन' लोकप्रियताक सभ सीमा पार कऽ रहल छल। दरभंगा के हुनकर बहुत रास डॉक्टर दोस्त, जे मैथिली किताब पढ़िकऽ थकि गेल छलाह, हुनका ई किताब हिन्दी मे उपलब्ध कराबय के आग्रह केलनि। जखन ई खबरि हमरा लग आयल तखन हम तुरन्त अनुजवत कुमार परिमल द्वारा एकर हिन्दीमे अनुवाद करौने छलहुँ आ 2013मे ई पुस्तक सेहो प्रकाशित कयलहुँ आ एहि तरहेँ हिन्दी पाठकसभक जिज्ञासा शांत भेल। पुस्तक 'अबारा नहितन' क मैथिली संस्करण छपायल गेल आ दोसर संस्करण सेहो ओही साल प्रकाशित भेल। एहि बीच, मैथिली भाषाक लेल राष्ट्रीय पुस्तक न्यास द्वारा गठित एकटा समिति पटनामे आयोजित अपन एकटा बैठकमे कतेको पुस्तक प्रकाशित करबाक निर्णय लेलक, जाहिमे अबारा नहितन सेहो एकटा छल। आ अन्ततः ई पुस्तक एनबीटीसँ 2016मे प्रकाशित भेल छल। आब कोलकाता स्थित पत्रिका मिथिला दर्शनकेँ फेरसँ केदार बाबूक नव उपन्यासक आवश्यकता पड़लै। तखन 'अयना' प्रकाशमे आयल; उपन्यासकेँ पत्रिकामे धारावाहिक रूप देल गेलै। एहि उपन्यासमे लेखक दिल्ली स्थित देशक सबसँ पैघ प्रकाशन गृहक मैथिली प्रकाशन गृहक प्रति अपन कथित द्विधा भावकेँ स्पर्श करैत छथि। 2018मे ई पुस्तकक रूपमे प्रकाशित भेल छल। ई लेखकक अन्तिम पुस्तक साबित भेल। एकर बाद केदार बाबू अस्वस्थ अनुभव करय लगलाह, कारण ओ दमासँ पीड़ित छलाह। हुनका लेल लेखन आब संभव नहि छल। अमेरिका, यूरोप, ईरान, जापान आ हांगकांग सन देशक यात्रा संस्मरणपर पुस्तक लिखबाक हुनक इच्छा ओहिना रहि गेलनि। एहि बीच बहुत रास किताब आउट ऑफ प्रिंट भऽ गेल। "चमेलीरानी" क तेसर संस्करण 2019 मे प्रकाशित भेल छल, जखन कि चारिम संस्करण 2020 मे प्रकाशित भेल छल। माहुर 2019मे न्यू कलेवरमे (दोसर संस्करण) प्रकाशित भेल छल। "हीना" क दोसर संस्करण 2020 मे प्रकाशित भेल छल। ई चक्र लगातार चलैत रहैत अछि। ई सभ पुस्तक हमर दिल्ली स्थित प्रकाशन गृह इंडिका इन्फोमीडिया द्वारा प्रकाशित कयल गेल छल।

हुनक प्रारम्भिक पुस्तक सभ बहुधा उमाकांत झा जी द्वारा संपादित कयल गेल छल, जखन कि पुस्तक सभक प्रस्तावना भीमनाथ झा जी सन प्रख्यात विद्वान आ रामलोचन ठाकुर सन गंभीर सम्पादक द्वारा लिखल गेल छल। एहि पुस्तकक ब्लर्बमे पद्मश्री डॉ. मानस बिहारी वर्मा, प्रख्यात पत्रकार अरविंद मोहन आ सुजीत कुमार झा (आज तक फेम), पूर्व वरिष्ठ भारतीय रेलवे अधिकारी कामेश्वर चौधरीक लेखन सेहो शामिल अछि। प्रभात फाउंडेशनक अधिकारी मुकेश झा जी अपन पुस्तकक प्रचारमे बहुत सहयोग देलनि। स्वर्गीय महन्त मदन मोहन दास जी के जेठ बेटा आशुतोष कुमार जी, आर कमलेश झा जी सेहो हुनकर किताब के प्रचार केने छथि।

समय-समय पर मिथिला दुनियाँक लोक हुनक साहित्यिक योगदान लेल सम्मान करैत रहलनि। 2013मे झारखण्ड मैथिली मंच, राँची द्वारा हुनका 'विदेह साहित्य सम्मान', 2016मे 'प्रबोध साहित्य सम्मान' 2016मे 'अबारा नहितन' पुस्तकक लेल 'केदार सम्मान' सँ सम्मानित कयल गेल छलनि। समय-समय पर केदार बाबूक जीवन आ लेखनपर पत्रिका सभमे चर्चा होइत रहल। हालहिमे श्री गजेन्द्र ठाकुर द्वारा सञ्चालित आ संपादित मैथिली केर सबसँ प्रतिष्ठित ऑनलाइन पत्रिका 'विदेह' हुनका पर केन्द्रित एकटा विशेषांक प्रकाशित केलक। ई अंक बाद मे प्रिंट रूपमे सेहो आबि गेल जे ओहि पर शोध करय बला छात्रक लेल सेहो उपयोगी अछि। बहुतो छात्र हुनकर साहित्य पर शोध सेहो कऽ रहल छनि। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय सहित बिहारक अन्य विश्वविद्यालयमे स्नातकोत्तरमे हुनक पुस्तक सभक अध्ययन कयल जा रहल अछि। केदार बाबू, जे अपन जीवनक तेसर चरणमे लिखनाइ शुरू कयलनि, मैथिली पाठक सभक बीच एहन लोकप्रियता प्राप्त कयलनि जे विरले लोक प्राप्त करैत अछि। हुनकर लोकप्रियता एहन अछि जे पत्रिका मे या चर्चा के दौरान विद्वान अक्सर हुनकर तुलना हास्य सम्राट हरिमोहन झाक कृतिसँ करैत छथि।

एहन महान साहित्यकारक दूटा इच्छा हुनक जीवनकालमे पूरा नहि भऽ सकल आ ओ छल 'चमेलीरानी' 'माहुर' पर एकटा फिल्म या टीवी धारावाहिक बनयबाक, जाहि सँ दर्शक आ पाठकक बीच व्यापक पहुँच बनै आ एहि दूटा उपन्यासक हिन्दी आ अंग्रेजी भाषामे अनुवाद होय। जीवनकालमे नहि, मुदा निकट भविष्यमे हुनक ई इच्छा शीघ्रहि पूरा हएत से उम्मेद अछि। निष्कर्षमे हम ई कहैत चाहैत छी जे हमरा एकटा पत्रिका सम्पादकसँ किताबक प्रकाशक बनेबाक श्रेय हुनका जाइत छनि। प्रणाम।

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