प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका

विदेह नूतन अंक
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संतोष कुमार राय 'बटोही' 
पार्वती केर शपथ
(धारावाहिक नाटक)

(नेपथ्य मे पार्वती , महादेव, नंदी, नारद, भक्त, भक्तिन, एकटा छोट बालक आओर बालिका, आओर समाज छथि। मंच सजाउल गेल छै। मंच केँ दृश्य कैलाश पर्वत माफिक छै।)


पहिल दृश्य

( महादेव आओर पार्वती अपन-अपन आसन पर बैसल छथि।नंदी केर प्रवेश।)

नन्दी : तीनू लोकक स्वामी महादेव आओर माता पार्वती केँ सेवक नन्दी केँ तरफ सँ साष्टांग प्रणाम !
(नंदी माटि मे छाती केँ बल सुति रहैत छथि आओर दुनू हाथ जोरि कऽ महादेव आओर माता पार्वती दिस बढ़ा दैत छथि। )

महादेव आओर पार्वती (एके संगे आशीर्वाद केँ मुद्रा मे हाथ बढ़ाबैत) : जुग-जुग जीवअ पुत नन्दी।

महादेव : देश-दुनिया केँ की हाल छै पुत्र नन्दी ?

नन्दी : पृथ्वी पर अपराध बढ़ि गेल अछि। जनानी केँ ऊपर जुल्म बेसी बढ़ि गेल अछि। बलात्कार घटना बढ़ि गेल अछि। गोली कांड बढ़ि गेल अछि। बात- बात मे नवयुवक सभ बंदूक-पिस्तौल निकालि लैत अछि। प्रेम प्रसंग मे हत्या बढ़ि गेल छै।

पार्वती : सोशल मीडिया दुआरे हत्या आओर आत्महत्या सेहो बेसी भऽ रहल अछि।

महादेव : हँ, देवी ! सोशल मीडिया केँ दुआरे अपराध बढ़ि गेल छै। बंगाल मे डाक्टर केँ संग घटना घटि गेलै। घोर अपराध !!!

( नारद केर प्रवेश)
नारद : महादेव आओर माय पार्वती केर जय। स्वामी भूलोक मे अनर्थ भऽ रहल छै। जनानी केँ पाछा मर्द निधो कऽ पड़ल छै। माय पार्वती एकर निदान केल जाउ , नहि तँ अनर्थ भऽ जेतै।

पार्वती : हे नारद ! एकर निदान तँ महादेव करताह। जखन रावण, भस्मासुर, कंस, हिरण्याक्ष, हरणकशिपु वगैरह केँ महादेवजी, ब्रह्माजी, विष्णुजी मिलि कऽ नष्ट केलाथि ।

महादेव : देवी ! एकर निदान हेतै । धीरज राखु।

पार्वती : आब कतेक धीरज राखी महादेव ! जखन मर्द सभ नंग्टे घर सँ निकलतै तखन अहाँ किछु करबै ? जनानी केर दुर्दशा देखि कऽ हम कारुणिक भऽ रहल छी।

नारद : महादेव ! माय पार्वती केर गप्प सुनल जाउ ।

महादेव : पापी केँ पापकर्मक निदान हेतै। पापक घैला भरअ दियौ देवी ! बालिका केर हत्या कखनहु उचित नहि कहल जेतै।

नारद : महादेव देर भऽ रहल अछि। हम घुमि-घुमि कऽ देखि रहल छियैय बैजनाथ धामक नगरी देवघर अछि । आओर बिहार प्रदेश मे बाबा रहलाक बादो जनानी केँ लेल कोनहु सुरक्षा नहि छै।

पार्वती : महादेव इ गप्प ठीक नहि कहल जायत ।अहाँ धेयान नहि दैत छियैय। अगर आबो धेयान नहि देबै तँ हम खुदे ब्रह्माजी आओर देवी सरस्वती सँ ऐ विषय पर गप्प करअ लेल ब्रह्मलोक जायब ।

( पार्वती आसन पर सँ उठि कऽ ब्रह्मलोक विदा भेलीह । नारद जी सेहो विदा भेलाह। कैलाश पर्वत पर सिर्फ महादेव आओर नन्दी रैह गेलाह।)

नारद : जय माय पार्वती की।( इ कहैत नारद विदा भेलाह अपन बाबूजीक ब्रह्मलोक।)

(पर्दा गिर गेल आओर पहिल दृश्य केर अवसान) भेल।)
 

-संतोष कुमार राय 'बटोही' , ग्राम - मंगरौना, पोस्ट - गोनौली, भाया - अंधराठाढ़ी, जिला - मधुबनी, बिहार-८४७४०१ मोबाईल नं॰ 6204644978; सम्प्रति - शिक्षक 
 

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