१.१४.पण्डित भवनाथ झा-हितनाथ झा

(मैथिलीमे ग्रामगाथा विधाकेँ नव जीवन देनिहार, पाठकीय विधाक अगुआ। संपर्क-9430743070)
पण्डित भवनाथ झा
2016-17 मे जखन हम 'कोइलख'क विषयमे एक पोथी लिखबाक विचार कयलहुँ तँ पोथीक रूप-रेखा तैयार करबाक क्रममे ध्यानमे आयल गामक वनखण्डी महादेवक मन्दिर, जे भद्रकाली मन्दिरसँ सटले सड़कक उत्तर दिस अवस्थित अछि आ हालहि ओहि मन्दिरक जीर्णोद्धार भेल छलैक, ओहिपर किछु तथ्यात्मक वर्णनक जनतब लेल सोचिए रहल छलहुँ जे ककरासँ सम्पर्क कयल जाय, जे सूचना प्रामाणिक हो। एक दिन फेसबुक अथवा कोनो पत्रिकामे स्मरण नहि अछि, देखल प. भवनाथ झाक एक आलेख जे वनखण्डी महादेवपर पुरातात्विक सामग्रीक अध्ययन जे हमरा लेल एक वरदान रूपमे साबित भेल आ निश्चिन्त भेलहुँ जे आब एहि विषयपर सेहो एक प्रामाणिक आलेख कोइलख पोथीमे रहतैक। हिनकासँ परिचित नहि छलहुँ, नामो नहिएँ सुनल छल प्रायः। गाम रुपौली छनि से प्रायः ओही आलेखमे पढ़ने रही। फेसबुकक मैसेन्जर मे हिनका हम अपन आवेदन देल जे हम एहि आलेखकेँ अपन एक पोथी 'कोइलख' मे सम्मिलित करय चाहैत छी जाहिसँ पोथीक महत्व आर बढ़ि जैत। हिनक उदारता जे तुरत अपन सहमति प्रदान कयलनि आ ओ वक्तव्य अविकल कोइलख मे हिनक नामक उल्लेख कय प्रकाशित कयल। ओ वक्तव्य छल- "Archological Remains at Vankhandinath Shiva Temple at koilakha near Bhadrkali Temple."
दिनांक 05 मइ 2017केँ हम कोइलख गाम स्थित भद्रकाली मन्दिरमे दर्शनक लेल गेलहुँ। ओही ठाम मन्दिरक सामने उत्तरमे एक टा महादेव मन्दिर अछि। ई पूरा परिसर ऊँच डीहपर अवस्थित अछि। परिसरक द्वारपर वनखण्डीनाथ महादेव मन्दिर लिखल अछि। एकर ई नाम कोन साक्ष्यक आधारपर पड़ल, से अज्ञात अछि। मन्दिरमे दू टा शिवलिंग स्थापित छैक, जे नव अछि। एही गर्भगृहमे दक्षिण-पश्चिम कोणमे एक टा चबूतरापर कारी पाथरक दू टा पुरातात्विक सामग्री अछि जे एहि स्थानक प्राचीनताक प्रमाण अछि। मन्दिरक पुजारीक सूचनाक अनुसार एही परिसरसँ ई दुनू सामग्री भेटल, जकरा एकटा चबूतरा बनाए राखि देल गेल।
ई शिवलिंग थिक, जे टूटल अछि। एहिमे शिवमेखलाक नीचाँ यन्त्र अछि। पहिल चक्रमे पाँच दल छैक आ प्रत्येक दलपर बीजाक्षर तिरहुतामे उत्कीर्ण अछि। गौरीशंकर मन्दिर, जमुथरि जकाँ एतहु अक्षर आ यंत्र उभारि कए लिखल गेल अछि, मुदा घसाएल अछि, तेँ ओकरा पढ़ि नहि सकलहुँ। समुचित प्रकाशक अभाव सेहो छल। एहि चक्रसँ नीचाँ दोसर चक्र सेहो छैक, जे पूर्णतः खण्डित अछि। शिल्प आ लिपिक दृष्टिसँ जमुथरिक तथाकथित भैरव (वस्तुतः शाके 1151 अर्थात 1229 ई.मे स्थापित कन्यकेश्वर शिव)सँ साम्य रखैत अछि। एहिमेसँ दोसर सामग्री तँ मूल मन्दिरक आमलक अथवा अमलक थिक, जाहिसँ स्पष्ट होइत अछि जे एतए कारी पाथरक एकटा मन्दिर छल होयत। एहि अमलक ऊपरवला अंश टूटल अछि।
भद्रकालीक प्रतिमा सेहो 13मसँ 14म शतीक मानल गेल अछि। दुनू मन्दिरक अवलोकन कएलासँ प्रतीत होइत अछि जे एके कालमे एहि स्थानपर शिव आ शक्ति दुनू मन्दिर आमने-सामने छल होयत, जे एहि स्थानकेँ विशेष गरिमा प्रदान करैत अछि। गर्भगृहक दोसर कोणमे हनुमानक पाथरक प्रतिमा अछि, जे अधिक प्राचीन नहि अछि। गर्भगृहक बाहर गाछक तरमे अनेक छोट-छोट शिवलिंग राखल अछि, जाहिमेसँ एकोटा अधिक प्राचीन नहि बुझाएल। (सन्दर्भ : कोइलख-लेखक हितनाथ झा, पृष्ठ-121-22)।
उपर्युक्त कथ्य तँ भेल पुरातत्वविद प. भवनाथ झाक विषयमे, किन्तु समीक्षकक रूपमे सेहो हिनक समीक्षकीय दृष्टिसँ परिचित भेलहुँ, अपनहि पोथीक हिनक समीक्षासँ, जे आकर्षित तँ कयबे कयलक, स्पष्ट संकेत सेहो कम प्रभावशाली नहि बुझना गेल। सामान्यतया देखल जाइत अछि जे अधिकांश समीक्षक खाली प्रशंसे क' अपन विधि पूरा करैत छथि, अवगुणक दिस कम ध्यान दैत छथि आ जँ दैतो छथि तँ समाधान नहि बतबैत छथि मुदा जखन हिनक समीक्षा देखलहुँ, तँ भान भेल जे हिनक संस्कृत आ मैथिलीक प्राचीन साहित्यक कतेक विशाल भण्डार छनि। महामहोपाध्याय उमापति उपाध्याय, महामहोपाध्याय गोकुलनाथ उपाध्यायक विषयमे किछु शंका निवारण कएलनि आ महामहोपाध्याय भैयन शर्मा (जे कोइलखक छलाह, हुनक चर्च हम कोइलखमे नहि कयने छलहुँ) सविस्तार सप्रमाण लिखलनि आ इहो लिखलनि जे ओहि भैयन झाक अन्वेषण होएबाक चाही। प. भवनाथ झा लिखैत छथि --" हमरा जनैत पुस्तककेँ देखबाक दू टा दृष्टि होइत छैक--पहिल जे, जे अछि, से केहन अछि? जे नै छैक तकर चर्चे कोन? लिखबाक लेल तँ बहुत किछु छैक! एखनि एतबेसँ संतोष। मुदा दोसर दृष्टि होइत छैक जे आर की की रहबाक चाही।
स्पष्ट अछि जे पहिल दृष्टि टकसाली समीक्षा थिक, जतए ममत्व नै रहैत छैक, दोसरक बेटाक गुण-दोषक विवेचन जकाँ। मुदा दोसर प्रकारक दृष्टि अपन वस्तुकेँ देखबाक दिशा थीक। पहिल प्रकारक दृष्टिमे पुस्तक बड्ड नीक अछि। दोसर दृष्टिसँ देखलापर किछु निराशा हाथ लगैत अछि। पुस्तकक शीर्षक थीक कोइलख। मात्र सारस्वत इतिहास कोनो गामक सम्पूर्णताक द्योतक नहि भए सकैत अछि।...मानि लिय जे ई कोइलखक सारस्वत इतिहास थीक तखन पुस्तक देखि मन आह्लादित भए जाइत अछि।" (सन्दर्भ: विदेह 405म अंक, 01 नवम्बर 2024, पृष्ठ-100-103) आ एहि पोथीक शीर्षक दिस ल' गेलाह आओर निराशाक कारण दिस ध्यान आकृष्ट करौलाह, जे तर्क संगत अछि।
आ से एक बेर आर हमरा उचित कर्तव्य बोध दिस ध्यान दिऔलनि। 2018 ई. मे मैथिली मचान, दिल्ली द्वारा मधुबनी लिटरेचर फेस्टिवल, राजनगरमे आयोजित सम्मेलनमे प. भवनाथ बाबू आमन्त्रित छलाह आ हमहूँ बजाओल गेल छलहुँ। प्रायः हुनकासँ पहिल बेर भेँट भेल छल। जखन राजनगरसँ हम हजारीबाग वापस जाइत छलहुँ, तँ एक टा प्रसंगक विषयमे जे सम्मेलनमे खटकल छल, हम फेसबुकमे पोस्ट क' देलियैक, जाहिमे अनेक टिप्पणी आयल, मुदा हिनक टिप्पणी जे आयल से तर्कसंगत लागल। लिखने रहथि, एकरा सार्वजनिक जे अहाँ केलियैक, से अहाँकेँ उचित छल, पहिने संयोजिकाकेँ एहि विषयमे व्यक्तिगत रूपसँ कहितियनि। कतेक कठिन होइत छैक कोनो आयोजनक इन्तिजाम करब आ छोट-मोट त्रुटिकेँ सार्वजनिक नहि करी। हमरो हिनक बात जँचल, मुदा तीर तँ धनुषसँ निकलि गेल छलैक। हुनक ई बात हम आगाँक लेल गीरह बान्हि लेलहुँ।
एक प्रसंग आर मन पड़ि रहल अछि। गत वर्षक अप्रैल मासक। 'यूट्यूब'मे एक साक्षात्कार छलैक जे परिस्थिति कत'सँ कत' लोककेँ ल' जाइत छैक, कोन स्थिति आदमीकेँ देखा दैत छैक आ लोक भले कतबो प्रभावशाली हो, कोना विवश भ ' जाइत अछि। दुर्भाग्यसँ ओहि साक्षात्कारक जे मुख्य अंग छलाह से हमरे गामक, हमरासँ 4-5 वर्गक सीनियर आ घरक पड़ोसी सेहो। हमहूँ ओ साक्षात्कार देखने-सुनने रही, दुखी भेल रही आ कतेक लोकक फोनो आयल जे वैह ओ व्यक्ति छथि। एक दिन ओही प्रसंग भवनाथ बाबूक सेहो हमर मैसेन्जरपर एक मैसेज आयल, जकर जवाब हम देने रहियनि--" एखने अपनेक पोस्ट देखल। हमरहु नहि बूझल छल। हमर घरक बगलमे हिनक घर छनि। किछु दिन पहिने हमहूँ ई साक्षात्कार देखल। बादक स्थिति बहुत बढियाँ नहि रहलनि, से की कारण नहि कहि सकैत छी। " हुनक जवाब आयल --" सादर। हिनक एक पुत्रीक विवाह रुपौलीमे हमर पितियौत भाइसँ भेल छनि, तेँ हम कने बेसी खोजमे रही। "
हिनक फेसबुकक पोस्ट जखन-जखन देखैत छी, तँ कोनो ने कोनो सार्थक विषय आधारित रहैत छनि। कौलिक विद्वत् परम्पराक प्रतीक प. भवनाथ झा जेहने विशिष्ट पुरातत्वविद छथि, तेहने प्राचीन पाण्डुलिपक संरक्षक, जेहने कर्मकांडक निष्णात पंडित छथि, तेहने संस्कृत साहित्यक गूढ़ अध्येता, जेहने सम्पादकक दायित्वक निर्वहन करैत छथि, तेहने साहित्य लेखनमे सेहो पटुता प्राप्त कयने छथि। मैथिली साहित्यक कथाकारक रूपमे सेहो ज्ञात छथि। अनेक संस्कृत साहित्यक पोथीक अनुवाद व्याख्या सहित कयने छथि।
हिनक बौद्धिकताक मिशालक लेल हिनकहि लिखल फेसबुकक पोस्ट जे 23 सितम्बर 2025 क' अपन जन्मदिनपर लिखने रहथि, एहि ठाम प्रस्तुत क' रहल छी आ हिनक दीर्घ जीवनक माँ भद्रकाली कोइलख देवीसँ प्रार्थना करैत छी जे एहिना स्वस्थ रहथि, एहिना सभ क्षेत्रमे सक्रिय रहथि आ मिथिलाक मान-सम्मान बढ़बैत रहथि।
"आइ
हमर जन्मदिन थीक-
23
सितम्बर। प्रस्तुत अछि एतए विगत वर्ष
(सितम्बर
2024सँ
सितम्बर
2025)
लेखा-जोखा।
एहिना सभ वर्ष बितैत जाए से कामना अछि।
•
ई विगत वर्ष हमर जीवनक स्वर्णिम वर्ष रहल। एको टा टैबलेट दबाई नै एलहुँ,
ई सभसँ पैघ बात!!
•
उत्कृष्ट घरमे एही वर्ष बेटीक विवाह भेल।
•
विद्यापतिक कृति
#भूपरिक्रमण
क पाठोद्धार आ हिन्दी व्याख्या कएल,
जे ईसमाद,
दरभंगासँ प्रकाशित भेल। एकर अंगरेजी अनुवाद श्री विजय देव झाजी कएलनि।
•
तत्त्वम् फाउण्डेशन फॉर पॉलिसी एण्ड रिसर्च आ राष्ट्रीय पाण्डुलिपि
मिशन,
संस्कृति मन्त्रालय,
भारत सरकारक परियोजनाक अन्तर्तगत एहि वर्ष पाण्डुलिपिसँ पहिल बेर
4
पोथीक सम्पादन कएल जाहिमेसँ दू टा प्रकाशित भए चुकल अछि-
o 1. #सभाविनोद,
o 2. #सभाकौमुदी।
o #भूकम्पनिर्णय
पोथीक पाठोद्धारमे सेहो परियोजनाक अन्तर्गत सहायता कएल।
•
श्रीमद्दयानन्द आय कन्या महाविद्यालय,
चोटीपुरा
(उत्तर
प्रदेश)मे
राष्ट्रीय पाण्डुलिपि मिशनक तत्त्वावधानमे पाण्डुलिपिक
#लिप्यन्तरण_कार्यशाला
मे
9
टा ग्रन्थक लिप्यन्तरण कराओल। ई कार्यशाला सुखद रहल। एतए स्नातक आ
आचार्य कक्षाक छात्रालोकनिकेँ संस्कृत भाषाक ज्ञान रहनि।
•
कुमारभास्करवर्मसंस्कृत-पुरातनाध्ययनविश्वविद्यालयः,
नालबाड़ी,
आसाममे तीन दिनक लिप्यन्तरण कार्यशालामे स्थानीय लिपि बमुनिया
(असमी
लिपिक एक प्रभेद)
सँ दू टा अप्रकाशित ग्रन्थक लिप्यन्तरण कराओल।
• "तत्त्वचिन्तामणि
का सारतत्त्व
‘मणिसार’
और उसके प्रणेता म.म.
गोपीनाथ"-
‘कृति
रक्षण’,
संस्कृति मन्त्रालय,
दिल्ली के द्वारा प्रकाशित,
राष्ट्रीय पाण्डुलिपि मिशन, vol. 1, No 2, August 2025, pp. 119-128, 2025ई.
•
एहि वर्ष दू टा सम्मान भेटल-
o #हस्तप्रतिलिपिविशेषसम्मानम्,
कुमारभास्करवर्मसंस्कृत-पुरातनाध्ययनविश्वविद्यालयः,
नालबाड़ी,
आसाम। दिनांक
27.6.2025
o #सद्गृहस्थ_संत_जगन्नाथ_चौधरी_शोध_सम्मान, 2025-
जयराम शोध संस्थान,
सुल्तानपुर, 24
अप्रैल,
2025.
• Participation as Group Member- PRE-CONFERENCE WORKING GROUPS,
International Conference on “Reclaiming India’s Knowledge Legacy
Through Manuscript Heritage”, Dated: 11–13 September 2025, Group 2,
Proposal submitted- :A Draft Focusing on Survey and Documentation.”
Published in- Gyan Bharatam, Working Group Report, pp. 31-45.
आरो बहुत रास बौद्धिक काज-
इसमाद प्रकाशनक लेल।
https://brahmipublication.com/pt-bhavanath-jha/ "
(सन्दर्भ
:
प.
भवनाथ झाक फेसबुकक
टाइमलाइन, 23
सितम्बर 2025)
अपन मंतव्य editorial.staff.videha@zohomail.in पर पठाउ।
