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कुमार मनोज कश्यप

अधः पतन

आई अखबारक सुर्खी मे आयल खबरि जे - ‘विदेश मे कमऊआ बेटा के माय-बाप के मरबाक जनतब भेटलै लहाश के सड़ि-गलि गेलाक बाद’ - सभ चौक-चौड़ाहा पर गर्मा-गरम बहस के मुद्दा छलै। माय-बाप अपन पेट काटि एकमात्र बेटा के पढ़ा-लिखा कs सुयोग्य बनेलकै। बेटा नौकरी करय अमेरिका की गेलै; ओतहि के भs कs रहि गेलै। बेटा-पुतोहू आजाद ख्याल के आ विदेशी संस्कृतिक रंग सs रंगल ..... बूढ़ माय-बाप के अपना संग राखब अपन स्वतंत्रता मे बाधक लगलै। परिणामतः बूढ़हा-बूढ़ही अपन फ्लैट मे बाँचल जीवन काटैत छलै। दुर्भाग्य एतबे नहिं, बूड़ही के तेहन लकबा मारलकै जे हाथ-पैर के संग-संग बोलियो बन्न भs गेलै। बूड़हा ओकर सभ परिचर्या करैत छलै। बेटा के कर्तव्य बस एतबा धरि छलै जे मास-दू मास पर फोन कs कs हाल-चाल पूछि लै। दुर्भाग्य के अततः तखन भेलै जखन एक राति बूड़हा जे सूतलै से फेर उठलै नहिं। बूड़ही अथबल आ बौक ..... चाहियो कs साईत किछु कs नहिं पाओल हेतै आ अहुँछिया काटि कs अंततः ओहो प्राण त्यागि देने हेतै। फ्लैट सs सड़ाईन दुर्गन्ध पसरलै तखन पड़ोसी पुलिस के बजेलकै आ पुलिस केबाड़ तोड़ि दुनू नर-कंकाल बहार केलकै।

अखबारक एहि खबरि पर खसैत मानवियता, लोपित होईत मानवीय संवेदना, पश्चिमी सभ्यता के अंधानुकरण, शहरीकरण सs अधः पतन होईत संस्कृति आदि नहिं जानी कतेको मुद्दा उठलै बहस मे ……लोक अपन-अपन सुनल-देखल खिस्सा सभ सेहो सुनेलकै, किछु लोक के भावना नोर बनि कs सेहो टघरलै। तकरा बाद सभ किछु सामान्य सन भs गेलै। अखबार के ओ बसिया पन्नो साईत कोनो आर काज मे आबि गेल हेतै। 

-सम्प्रति: भारत सरकार के उप-सचिव, संपर्क: सी-11, टावर-4, टाइप-5, किदवई नगर पूर्व (दिल्ली हाट के सामने), नई दिल्ली-110023, # 9810811850 ईमेल: writetokmanoj@gmail.com

 

 

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